नेशनल बम डेटा सेंटर की नई रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 2014 में 37 बम धमाके, 2015 में 46 बम धमाके, 2016 में 69 बम धमाके, 2017 में 70 बम धमाके और 2018 में 117 ऐसे बम धमाके हुए.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें कथित तौर पर अंबाला ज़िले की एक ग्राम पंचायत ने पुलवामा आतंकवादी हमले को लेकर ग्रामीणों से कहा है कि वे किराए पर रह रहे कश्मीरी छात्रों से 24 घंटे के अंदर अपना मकान खाली करवाए.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्सों में गिरफ़्तारियां हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट से खनन पर रोक के आदेश आने के बाद आज लोग ओडिशा में नियमगिरि के आसपास स्थापित पुलिस छावनियों को हटाने की मांग को लेकर संघर्षरत हैं.
किसी आतंकी हमले के बाद निंदा और बदले के बजाय इंसाफ़ और समाधान की बात क्यों नहीं की जाती? अभी जिस बदले की हमारे सत्ताधीश बात कर रहे हैं, कभी उन्होंने इस बात पर ग़ौर किया है कि क्या उसका कोई सार्थक परिणाम निकलेगा?
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिख कर कहा है कि हिंदूवादी संगठन पुलवामा हमले के बाद कश्मीरियों और आम मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं और दंगा भड़काना चाहते हैं.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ के अलावा शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन और अब्दुल गनी भट की भी सुरक्षा वापस ले ली है.
बीते शनिवार को एक न्यूज़ एजेंसी द्वारा ख़बर प्रसारित की गई थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण मामले में सीबीआई को जांच का आदेश दिया गया है.
पुलवामा आतंकी हमले के बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने राज्य में कश्मीर के 12 छात्रों की पिटाई कर दी थी. इसके बाद से ही राज्य में कश्मीरी छात्रों के बीच डर का माहौल है. हालांकि पुलिस ऐसी किसी घटना से इनकार कर रही है.
गायों की मौत के संबंध में दो लोगों को निलंबित किया गया. अक्षयपात्र फाउंडेशन करता है हिंगोनिया गोशाला का संचालन. भाजपा पार्षदों ने मांग की है कि गायों की मौत के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर गोहत्या का मामला दर्ज किया जाए.
केरल के कोट्टियूर में नाबालिग से बलात्कार के दोषी पादरी पर अदालत ने दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह घटना 2016 में हुई थी और 2017 में किशोरी ने एक बच्चे को जन्म दिया था.
नोट: ये ख़बर समाचार एजेंसी भाषा की ओर से गलती से जारी कर दी गई थी. पाठकों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है.
मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम की रासुका के तहत गिरफ़्तारी के विरोध में भी छात्र ने प्रदर्शनों का आयोजन किया था. परिवारवालों ने कहा कि पुलिस ने गिरफ़्तारी का कारण नहीं बताया है.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने सरकार के नियंत्रण से पूरी आज़ादी की मांग करते हुए दो अन्य चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक संरक्षण देने और वित्तीय स्वंतत्रता की मांग रखी.
आख़िर क्यों स्थानीय कश्मीरी, जो अपेक्षाकृत रूप से पढ़े-लिखे और संपन्न हैं, इस तरह अपनी जान दांव पर लगाने को तैयार हो जाते हैं?