द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई चुनाव व्यय की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव अभियान पर भाजपा ने 49.68 करोड़ रुपये ख़र्च किए, वहीं कांग्रेस का कुल व्यय 27.01 करोड़ रुपये का रहा.
हाल ही में कल्याणकारी नीतियों की आड़ में नकदी बांटने की प्रथा आम हो गई है, ख़ासकर चुनाव के समय. निष्पक्ष चुनाव कराने में ‘फ्रीबीज़’ बांटने को एक बड़ी चुनौती के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. अगर इस मुद्दे पर काबू नहीं पाया गया तो इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा.
कर्नाटक की चामराजनगर सीट से भाजपा उम्मीदवार वी. सोमन्ना द्वारा जद (एस) प्रत्याशी मल्लिकार्जुन स्वामी को नामांकन वापस लेने के कथित प्रयासों का खुलासा सोशल मीडिया पर प्रसारित एक ऑडियो क्लिप में हुआ. इसके बदले में सोमन्ना ने ‘धन और सरकारी वाहन’ की पेशकश की थी.
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि मतगणना में वीवीपैट पर्चियों की गिनती की शुरुआत से ही ईवीएम में मतदाताओं का विश्वास हासिल किया जा सकता है. वीवीपैट प्रणाली के साथ ईवीएम मतदान प्रणाली का सटीक होना सुनिश्चित करते हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति मनमाना और संस्थागत अखंडता और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. गोयल को 19 नवंबर 2022 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था.
चुनाव आयोग का यह निर्णय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2014 के बाद से हुए 21 राज्य विधानसभा चुनाव में दलों के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर लिया गया. आयोग के आदेश में कहा गया है कि आप ने चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी होने की आवश्यकता को पूरा किया है.
कर्नाटक के भाजपा विधायक और बागवानी मंत्री मुनिरत्न ने एक चुनाव अभियान कार्यक्रम में ईसाई समुदाया पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए उन पर हमला करने का आह्वान किया था. चुनाव अधिकारियों की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया.
राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद से बने माहौल में कांग्रेस इस नई और सकारात्मक छवि के बूते ख़ुद को सिर्फ और मजबूत कर सकती है. देश की सबसे पुरानी पार्टी का दायित्व है कि वह दूसरों के लिए जगह बनाए और किसी भी विपक्षी मोर्चे में इसे केंद्रीय भूमिका दिए जाने की मांग को इसके आड़े न आने दे.
वीडियो: राहुल गांधी की संसद सदस्यता उन्हें सूरत की अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रद्द हुई है. कोर्ट के इस निर्णय पर क़ानूनविदों ने सवाल उठाए हैं. इस मसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
विपक्ष के बिना लोकतंत्र की नदी सूख जाएगी. हर सरकार ग़लती करती है और ग़लतियां होने, उन्हें सुधारने में कोई शर्म नहीं है. पर जिन देशों में एक ही दल और उसके सुप्रीम नेता को ही लोकप्रियता और जनसमर्थन प्राप्त हो और विपक्ष कमज़ोर या ग़ायब हो, वहां इस सरकार और नेता की कोई ग़लती आपदा का रूप ले लेती है.
राहुल गांधी का चीनी घुसपैठ और अडानी विवाद को उठाना भाजपा की सबसे बड़ी ताक़तों- राष्ट्रवाद और भ्रष्टाचार मुक्त छवि- पर चोट करता है. पहली बार है, जब भाजपा ने राहुल के हमलों के जवाब में ‘पप्पू’ कहकर मज़ाक नहीं बनाया. महीनेभर में राहुल को जिस तरह से घेरा गया, वह दिखाता है कि यह बौखलाई हुई है.
डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि कोई भी संविधान बुरा हो सकता है यदि इसे अमल में लाने वाले लोग बुरे हों. उनका कथन इस संदर्भ और प्रासंगिक हो जाता है कि कैसे संवैधानिक अधिकारों को तबाह करने के लिए नौकरशाही और निचली न्यायपालिका के स्तर पर सामान्य क़ानूनों का उपयोग या दुरुपयोग किया जाता है. लोकसभा से राहुल गांधी की सदस्यता जाना इसी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
यूनाइटेड किंगडम में राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार की आलोचना में कुछ नया नहीं था, सिवाय इसके कि वे विदेशी दर्शकों के सामने बोल रहे थे. संभव है कि यही वजह है कि भाजपा- जो 2024 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को वैश्विक नेता के तौर पर पेश करना चाहती है- इतनी बौखलाई हुई नज़र आ रही है.
साल 2013 में लखनऊ के एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से उस याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा था, जिसमें कहा गया था कि उसे उन राजनीतिक दलों पर रोक लगानी चाहिए, जो जाति और धार्मिक आधार पर सभाएं करते हैं. नई दिल्ली: बीते महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर एक जवाबी हलफनामे में चुनाव आयोग ने गैर-चुनाव अवधि के दौरान अधिकार क्षेत्र की कमी और आदर्श आचार संहिता के बाहर