कर्नाटक के भाजपा विधायक और बागवानी मंत्री मुनिरत्न ने एक चुनाव अभियान कार्यक्रम में ईसाई समुदाया पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए उन पर हमला करने का आह्वान किया था. चुनाव अधिकारियों की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया.
बेंगलुरु: कर्नाटक के बागवानी मंत्री मुनिरत्न के खिलाफ ईसाई समुदाय के खिलाफ नफरती भाषण देने के आरोप में राजधानी बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.
द हिंदू के मुताबिक, मुनिरत्ना ने आरआर नगर में एक चुनाव अभियान कार्यक्रम में और बाद में एक निजी कन्नड़ समाचार चैनल में बोलते हुए आरोप लगाया था कि ‘झुग्गियों में धर्मांतरण गतिविधियां’ चल रही हैं. उन्होंने लोगों से ‘उन्हें मारने और उन्हें वापस भेजने’ का आह्वान किया था.
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के इलेक्शन फ्लाइंग स्क्वॉड-11 के टीम लीड मनोज कुमार ने मंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर राजराजेश्वरी नगर पुलिस ने उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, की विभिन्न धाराओं और विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत मामला दर्ज किया है.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 10 मई को होंगे और मतगणना 13 मई को होगी. कर्नाटक विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल इस साल 24 मई को समाप्त होगा.
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. पार्टी ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 104 सीटें हासिल की थीं, वहीं कांग्रेस को 80 सीटें, जबकि जनता दल (सेक्युलर) को 37 सीटें मिली थीं.
मालूम हो कि चुनावों की घोषणा से चार दिन पहले बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने विवादास्पद रूप से राज्य में मुसलमानों के लिए अब तक 4 प्रतिशत आरक्षण को हटाते हुए इसे राज्य के प्रभावशाली समुदायों – लिंगायत और वोक्कालिगा – के बीच समान रूप से वितरित कर दिया है.
वोक्कालिगा के लिए कोटा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. पंचमसालियों, वीरशैवों और लिंगायतों वाली अन्य श्रेणी के लिए कोटा भी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है.
मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी में जोड़ा गया है, जिसमें कुल 10 प्रतिशत हैं और इसमें ब्राह्मण, जैन, आर्यवैश्य, नागरथ और मोदलियार शामिल हैं.
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के आरक्षण के लिए संविधान के तहत कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि सरकार ने मुसलमानों को पात्रता से बाहर कर दिया है, जबकि जैन (दिगंबर) और ईसाई आरक्षण के पात्र हैं.