एक्सक्लूसिव: 2002 के गुजरात दंगों पर उसी साल ब्रिटिश राजनयिकों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में दंगों को पूर्व नियोजित बताते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार ठहराया गया था. तब इस रिपोर्ट के लीक होने पर विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह ने ब्रिटिश विदेश सचिव से बात की थी, पर रिपोर्ट के निष्कर्षों का विरोध नहीं किया था.
साक्षात्कार: इतिहासकार, शिक्षाविद और नारीवादी उमा चक्रवर्ती देश की आज़ादी के समय छह साल की थीं. शिक्षा, समाज सेवा, फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यापक काम कर चुकीं उमा का कहना है कि आज धर्म के आधार पर हो रही लिंचिंग, दंगे आदि स्वतंत्रता आंदोलन और उससे जुड़े वादों के साथ धोखा हैं.
निरपराधों की हत्याएं, स्त्रियों के साथ खुली ज़्यादतियां, अपने ही मुल्क में शरणार्थी बनने को अभिशप्त लोग, क़ानून के रखवालों द्वारा अत्याचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में ढिलाई के आरोप, हिंसा के धार्मिक या सांप्रदायिक होने के स्पष्ट पुट... हम घटनाओं के सिलसिले को दोहराते देख रहे हैं, बीच में बस एक लंबा अंतराल है.
नरेंद्र मोदी की छवि को ख़राब करने वालीं तीस्ता सीतलवाड़ अकेली नहीं हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थानों ने भी अतीत में गुजरात हिंसा और मुख्यमंत्री के रूप में मोदी द्वारा चलाई गई सरकार की भूमिका पर कड़ी टिप्पणियां की थीं.
गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर 'झूठे सबूत गढ़कर नरेंद्र मोदी समेत कई निर्दोष लोगों को फंसाने की साज़िश रचने का आरोप लगाया है. सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम ज़मानत के चलते अब तक उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट में गुजरात स्थित जस्टिस ऑन ट्रायल नामक एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया है कि बीबीसी की दो भाग की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ ने भारत की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है. बीबीसी के ख़िलाफ़ इस संबंध में मानहानि की एक अन्य याचिका एक भाजपा नेता द्वारा दायर की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला यह उन शिकायतों के जवाब में दिया, जिसमें कहा गया था कि मामले के एक दोषी को नोटिस नहीं दिया जा सका, क्योंकि वह अपने पते पर नहीं मिला. आरोप है कि बचाव पक्ष सुनवाई को टालने की कोशिश कर रहा है. बिलक़ीस ने दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
दिल्ली की एक अदालत ने बीबीसी, विकिपीडिया और इंटरनेट आर्काइव को भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर एक मानहानि के मुक़दमे के संबंध में समन जारी किया है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में आरएसएस, विहिप और भाजपा जैसे संगठनों की मानहानि की गई है.
अहमदाबाद के नरोदा गाम में 2002 सांप्रदायिक दंगे के दौरान 11 लोगों की हत्या हुई थी, जिसके सभी आरोपियों को बीते माह बरी कर दिया गया. अब सार्वजनिक हुए 1,728 पृष्ठों के अदालती आदेश में कहा गया है कि जांच एजेंसी ने गवाहों के बयानों का सत्यापन नहीं किया था.
सुप्रीम कोर्ट बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाइयों में दोषियों की सज़ा माफ़ी से संबंधित फाइलें सरकार ने अदालत के समक्ष रखने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब वह राज़ी हो गई है.
गुजरात: कोर्ट ने 2002 के दंगों के दौरान गैंगरेप और हत्या के मामलों में शामिल 26 आरोपियों को बरी किया
गुजरात के गांधीनगर ज़िले के कलोल में साल 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान अलग-अलग घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के एक दर्जन से अधिक सदस्यों की हत्या और सामूहिक बलात्कार के आरोप में शामिल 39 लोगों में से 13 की मामले के लंबित रहने के दौरान मौत हो गई थी.
गुजरात के दाहोद ज़िले में रणधीकपुर में बीते 7 मार्च को यहीं के एक मुस्लिम ऑटोरिक्शा चालक से दुर्घटना हो गई थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे. घटना के बाद मृतक और घायल व्यक्ति के परिजनों ने रणधीकपुर के उस इलाके में गए, जहां मुस्लिम रहते थे. इनकी धमकी के बाद मुस्लिम लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है.
वीडियो: 24 फरवरी, 2023 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के तीन साल पूरे हो गए. इस इलाके के शिव विहार में रहने वाले सलीम मलिक नामक एक व्यक्ति के लिए इस हिंसा ने उस याद को ताज़ा कर दिया था, जो उन्होंने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान देखा था.
वीडियो: 28 फरवरी 2002 को नरोदा पाटिया, अहमदाबाद में कौसर बानो की बस्ती पर हमला हुआ था. वह गर्भवती थीं. हत्यारों ने पेट चीरकर गर्भस्थ शिशु को आग के हवाले कर दिया था. इस दर्दनाक वाक़ये पर कवि अंशु मालवीय की कविता.
किसी मसाला फिल्म के एक गाने का ऑस्कर के लिए नामांकन भारतीय जनता को हर्षोन्मादित कर देता है. लेकिन, एक विदेशी चैनल द्वारा ज्ञात तथ्यों को दोहराने वाली डॉक्यूमेंट्री, जिसे भारत में दिखाया भी नहीं जाएगा, देश के ख़िलाफ़ एक साज़िश हो जाती है.