बीते जनवरी माह में अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 19 जुलाई 2021 को लोकसभा को बताया था कि सेबी अडानी समूह की कंपनियों की जांच कर रहा है. अब सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उनके द्वारा अडानी समूह पर लगे किसी भी गंभीर आरोप की जांच नहीं की गई थी. इन विरोधाभासी बयानों के बाद विपक्ष के हमलावर होने पर वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह लोकसभा में दिए अपने बयान पर क़ायम है.
हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जनवरी में जारी एक रिपोर्ट के बाद अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट देखी गई. एलआईसी ने समूह की कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले बढ़ाई या बाद में, इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है.
अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया है. अडानी समूह ने इन आरोपों को नकारा है, जिसके बाद फर्म की ओर से कहा गया है कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.
अडानी एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड ने शेयर बाज़ार को बताया कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने उसके 20,000 करोड़ के एफपीओ में एंकर निवेशक के तौर पर 300 करोड़ रुपये निवेश करके 9,15,748 शेयर ख़रीदे हैं. विपक्ष के नेता धोखाधड़ी के आरोपों के बीच एलआईसी और एसबीआई के अडानी समूह में निवेश पर सवाल उठा चुके हैं.