एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा विश्लेषण किए गए हलफ़नामों के अनुसार, 514 मौजूदा लोकसभा सांसदों में से नौ पर हत्या, 28 पर हत्या के प्रयास और 16 पर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध से जुड़े आरोप हैं, जिनमें बलात्कार के तीन आरोप भी शामिल हैं.
भारतीय स्टेट बैंक का सारा कामकाज डिजिटल प्रणाली से होता है. किसी भी तरह का रिकॉर्ड या जानकारी हासिल करना हो तो केवल एक क्लिक से हो जाता है. पर बैंक पूरे देश के सामने झूठ बोल रहा है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी हासिल करने में काफी वक़्त लगेगा. यह झूठ किसके दबाव में बोला जा रहा है?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2022-23 में छह राष्ट्रीय दलों द्वारा आय के रूप में घोषित 3,076.88 करोड़ रुपये में से 59% से अधिक अज्ञात स्रोतों से आया था. इसमें से चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय का हिस्सा 1,510.61 करोड़ रुपये या 82.42% था. इसका बड़ा हिस्सा भाजपा को मिला.
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15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करते समय सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया था कि वह अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण 6 मार्च तक दे, जिसे चुनाव आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट प्रकाशित करेगा.
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक़, भाजपा के 90 राज्यसभा सदस्यों में से 23 प्रतिशत ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, वहीं कांग्रेस के 28 में से 50 फीसदी सांसद इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में समाजवादी पार्टी द्वारा सबसे अधिक 561.46 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की गई, जो 2021-22 में 1.23 प्रतिशत बढ़कर 568.369 करोड़ रुपये हो गई. इसके बाद भारत राष्ट्र समिति का नंबर है, जिसकी संपत्ति 2020-21 में 319.55 करोड़ रुपये थी जो 2021-22 में 512.24 करोड़ रुपये हो गई.
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चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने चिंता जताई कि योजना से जुड़ी गोपनीयता समान नहीं है, जहां किसी विपक्षी दल को यह नहीं पता होगा कि दान देने वाला कौन है, पर विपक्षी दल को दान देने वालों का पता जांच एजेंसियों द्वारा लगाया जा सकता है.
2021-22 में आठ राष्ट्रीय दलों की कुल आय 3,289 करोड़ रुपये थी, जिसमें अज्ञात स्रोतों का हिस्सा 66% था. इस अवधि में भाजपा की कुल आय 1,917 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 1,161 करोड़ रुपये या 61% अज्ञात स्रोतों (अधिकांश चुनावी बॉन्ड) से मिले. इसके बाद टीएमसी थी, जिसकी कुल आय (546 करोड़ रुपये) का 97% अज्ञात स्रोतों से आया था.
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों की गुमनाम फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग पास चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए दान का विवरण होना चाहिए. इसे अदालत में अपने पास रखें. हम उचित समय पर इस पर गौर कर सकते हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक़, भाजपा के 129 विधायकों में से 107 (83%) करोड़पति हैं, जबकि कांग्रेस के 97 विधायकों में से 76 (78%) करोड़पति है. चार में से तीन निर्दलीय विधायक भी करोड़पति हैं.
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने 233 राज्यसभा सांसदों में से 225 के आपराधिक, वित्तीय और अन्य पृष्ठभूमि विवरणों का विश्लेषण किया है. भाजपा के 85 राज्यसभा सांसदों में से लगभग 23 कांग्रेस के 30 सांसदों में से 12 और टीएमसी के 13 सांसदों में से 4 ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग की सबसे अपारदर्शी प्रणाली है. इसके ज़रिये भाजपा ने विधायक ख़रीदने और सरकारें गिराने का काम किया.