दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मामलों का उल्लेख करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि उन्होंने भारत में धर्मांतरण विरोधी क़ानून, हेट स्पीच, अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के लोगों के घरों और पूजा स्थलों को तोड़ने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि को दर्ज किया है.
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अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री की ओर से सभी सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों को भेजे एक पत्र में कहा गया है कि अगली सूचना तक महिलाओं की शिक्षा स्थगित करने के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आगाह किया कि कट्टरपंथी इस्लामी शासन को इसके परिणाम झेलने होंगे.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आस्थाओं की विविधता के घर भारत में हमने लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमले देखे हैं. दो महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में सीधे तौर पर चिंता व्यक्त की है. इस रिपोर्ट पर भारत की ओर से कहा गया है कि पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर तैयार
आज जब हम एक ऐसे ख़तरे से रूबरू हैं जहां सचमुच अपने लोकतंत्र को खो सकते हैं, हमारे लिए यह बहुत ज़रूरी है कि इस बात पर यक़ीन रखें कि हम इस तबाही से ख़ुद को बचा सकते हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत ने अपनी ज़रूरतों के चलते रूस के साथ साझेदारी की थी, क्योंकि अमेरिका ऐसा करने की स्थिति में नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय नेतृत्व के साथ सीधे जुड़ने के लिए काफी प्रयास किए हैं.
भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर अमेरिकी विदेश विभाग की 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स' रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में ऐसे भी मामले देखे गए हैं, जहां विशेष रूप से पत्रकारों को उनके पेशेवर काम के लिए निशाना बनाया गया या उनका क़त्ल कर दिया गया.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत में मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं संबंधी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए उनके भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर ने कहा कि लोगों को हमारे बारे में विचार रखने का अधिकार है. हमें भी उनकी लॉबी और वोट बैंक के बारे में विचार रखने का अधिकार है. हम भी अमेरिका समेत अन्य लोगों के मानवाधिकारों की स्थिति पर अपने विचार रखते हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को ‘यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम’ में अपने संबोधन में कहा कि अधिकारियों ने म्यांमार की सेना द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ व्यापक और चरणबद्ध अभियान के तहत आम नागरिकों पर बड़े पैमाने पर अत्याचार के पुष्ट आंकड़ों के आधार पर इसे ‘नरसंहार’ बताया है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने देश से निकल जाने के अमेरिकी प्रस्ताव को मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह राजधानी कीव में ही रुकेंगे. वहीं, अधिकारियों ने बताया है कि दो दिनों के घमासान के बाद हुई झड़पों में सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं और पुलों, विद्यालयों और अपार्टमेंट की इमारतों को भारी नुकसान हुआ है. उधर, रूस ने पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों पर जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी है.
रूस की सेना का दावा है कि उसने यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक विमानतल को अपने कब्ज़े में ले लिया है, साथ ही रूसी सैनिक कीव में घुस चुके हैं. रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उनका कोई सैनिक हताहत नहीं है, वहीं यूक्रेन ने कहा कि क़रीब हज़ार रूसी सैनिक मारे गए हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अन्य देशों को चेतावनी दी है कि रूसी कार्रवाई में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के प्रयास के ऐसे परिणाम होंगे, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे होंगे. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अकारण हमले की निंदा की. भारत ने तनाव कम करने का आह्वान किया. वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने रूस में अपने सैनिकों को वापस लेने की अपील की.
कर्नाटक में बीते कई दिनों से मुस्लिम छात्राओं के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर विवाद है, जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई भी चल रही है. इसे लेकर अमेरिकी सरकार के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामले के राजदूत ने टिप्पणी पर भारत ने कहा कि देश के आंतरिक मामलों पर किसी अन्य मक़सद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं है.
ईरान और 2015 के परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले यूरोपीय देशों के बीच वार्ता में जून से गतिरोध है. ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफ़ा तरीके से इस समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी, जिससे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया था.
इस बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता है कि वो अमेरिका, जिसने 2001 से 2020 तक ख़ुफ़िया जानकारी पर 1000 अरब डॉलर से अधिक ख़र्च किए हैं, इतना अयोग्य था कि उसे दो दशकों से अधिक समय तक तालिबान के साथ पाकिस्तान के संबंधों का कोई अंदाज़ा ही नहीं हुआ.