टेक्नोलॉजी को वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन इसे मुक्त बाज़ार में अनियंत्रित, क़ानूनी उद्योग के रूप में काम करने की इजाज़त देने की ज़रूरत नहीं है. इस पर क़ानून की लगाम होनी चाहिए. तकनीक रह सकती है, लेकिन उद्योग का रहना ज़रूरी नहीं है.
वीडियो: डीएनए के पूर्व विशेष संवाददाता और स्वतंत्र पत्रकार दीपक गिडवानी का फ़ोन नंबर पेगासस की जासूसी वाली संभावित सूची में शामिल है. इस मुद्दे पर दीपक गिडवानी से द वायर की बातचीत.
वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में पंजाबी भाषी अख़बार ‘रोज़ाना पहरेदार’ के एडिटर-इन-चीफ जसपाल सिंह हेरां का नाम भी शामिल है. जसपाल सिंह से इस मामले पर द वायर की बातचीत.
वीडियो: पेगासस जासूसी विवाद को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने जांच आयोग गठित किया है. इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा, लेकिन वह हाथ पर हाथ रखकर बैठा है, इसलिए हमने ऐसा फैसला किया. पश्चिम बंगाल ऐसा क़दम उठाने वाला पहला राज्य है.
पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुई सूची में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और एयरसेल-मैक्सिस जैसे हाईप्रोफाइल मामले संभालने वाले प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह, उनकी पत्नी और उनकी दो बहनों के नंबर भी शामिल हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुए दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि पेगासस के ज़रिये संभावित निगरानी के दायरे में रिलायंस की दो कंपनियों, अडाणी समूह के अधिकारी, गेल इंडिया के पूर्व प्रमुख, म्युचुअल फंड से जुड़े लोगों और एयरसेल के प्रमोटर सी. शिवशंकरन के नंबर भी शामिल थे.
अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी चार सांसदों ने एक बयान जारी कर कहा कि अब बहुत हो चुका है, एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग के संबंध में हालिया खुलासे इस विश्वास को पुष्ट करते हैं कि इसे नियंत्रण में लाया जाना चाहिए.
पेगासस जासूसी विवाद को लेकर गठित जांच आयोग के दो सदस्य कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा, लेकिन केंद्र हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है, इसलिए हमने एक जांच आयोग गठित करने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल ऐसा क़दम उठाने वाला पहला राज्य है.
जब सरकारें यह दिखावा करती हैं कि वे बड़े पैमाने पर हो रही ग़ैर क़ानूनी हैकिंग के बारे में कुछ नहीं जानती हैं, तब वे वास्तव में लोकतंत्र की हैकिंग कर रही होती हैं. इसे रोकने के लिए एक एंटीवायरस की सख़्त ज़रूरत होती है. हमें लगातार बोलते रहना होगा और अपनी आवाज़ सरकारों को सुनानी होगी.
पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर और इसके सहयोगियों द्वारा लीक हुए डेटाबेस की जांच में इज़रायली कंपनी एनएसओ ग्रुप की ग्राहक अज्ञात भारतीय एजेंसी द्वारा निगरानी के संभावित टारगेट के तौर पर अनिल अंबानी और उनके रिलायंस समूह के एक अधिकारी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन नंबर भी मिले हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा सर्विलांस के संभावित लक्ष्यों वाले लीक डेटाबेस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नंबर होने की जानकारी सामने आने के 24 घंटों के अंदर ही फ्रांस ने मामले की जांच के आदेश दिए. वहीं, इज़रायल ने आरोपों की जांच के लिए अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी इज़रायल इकाई द्वारा जारी एक हिब्रू बयान को ग़लत तरीके से उद्धृत करने, ग़लत अनुवाद करने और ग़लत व्याख्या करने वाली कुछ वेबसाइटों की ख़बरों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है. संगठन की ओर से कहा गया है कि इन ख़बरों का इस्तेमाल मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को ख़ारिज करने के प्रयास में किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.
वीडियो: द वायर ने बीते कुछ दिनों में अपनी विभिन्न रिपोर्ट के माध्यम से बताया है कि इज़रायल के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये किस तरह पत्रकारों, नेताओं और सरकारी लोगों के फ़ोन नंबरों को निशाना बनाया गया. पेगासस स्पायवेयर आपके फ़ोन में कैसे भेजा जाता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, ये जानकारी दे रहे हैं याक़ूत अली.
पेगासस प्रोजेक्ट: 2018 में महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रतिबंधित एचटीबीटी कपास की बिक्री को लेकर मोंसैंटो की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. इसी दौरान कंपनी से जुड़े छह वरिष्ठ अधिकारियों के नंबर उस सूची में डाले गए, जिन्हें सर्विलांस के संभावित टारगेट के रूप में चुना गया था.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि पेगासस का हमला आपातकाल से भी बड़ा है. जब कांग्रेस शासन के दौरान जासूसी के मामले सामने आए थे, तब भाजपा ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. अब यह सत्ता में है, लेकिन संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है.