भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका के मक़सद पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्रिटिश देश में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति लाए थे, जिसने समाज को तोड़ा. हमें इसे दोबारा ऐसी याचिकाओं से नहीं तोड़ना चाहिए…
बीते महीने संसद में पेश एक रिपोर्ट में संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि देश में कुल 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारक हैं, जिनमें से पचास ‘खो चुके’ हैं. इन ‘लापता’ स्मारकों में 11 स्मारक उत्तर प्रदेश के हैं और दो-दो दिल्ली और हरियाणा के. सूची में असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के स्मारक भी शामिल हैं.
शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका में केंद्र को ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित ग़लत ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास की किताबों व पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं बैठे हैं.
कर्नाटक के बीदर स्थित महमूद गवां मदरसे में बीते पांच अक्टूबर को हुई घटना. मामला सामने आने के बाद पुलिस ने नौ लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने के बाद चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के 170 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण का काम किया था. एक महीने तक चले इस अन्वेषण में प्राचीन गुफाएं, मंदिर और बौद्ध ढांचों के अवशेष एवं भित्ति अभिलेख मिले हैं, जिन पर प्राचीन लिपियों में ‘मथुरा और कौशांबी’ जैसे शहरों का उल्लेख है.
वीडियो: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह को लेकर चल रहे विवादों के चलते 1968 के समझौते और 1991 के उपासना स्थल अधिनियम पर चर्चा हो रही है. इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं याक़ूत अली.
क़ुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन देवताओं की मूर्तियों की पुन: स्थापना करने की मांग के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड ने यह मांग की है. उसका दावा है कि परिसर की मस्जिद में नमाज़ पहले से होती रही है, लेकिन भारतीय पुरतत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसे रुकवा दिया था. इससे पहले एएसआई ने अदालत में उस याचिका का विरोध किया था, जिसमें देवताओं की मूर्तियों की परिसर में फिर से स्थापना की मांग की गई थी.
दिल्ली के साकेत ज़िला अदालत में मामले को सुनते हुए जज ने सवाल किया कि वादी किस आधार पर ऐसी संरचना पर क़ानूनी अधिकार की मांग कर रहे थे जिसे कथित तौर पर 800 साल पहले नष्ट कर दिया गया था.
याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र शर्मा ने कथित रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर मौजूद केशव देव मंदिर के गर्भ गृह का ‘शुद्धिकरण’ करने की अनुमति अदालत से मांगी है. दिनेश अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष हैं और उन्होंने 19 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में भी ऐसी ही एक याचिका दाख़िल की थी. दोनों याचिकाएं अदालत में लंबित हैं.
मथुरा की ज़िला अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में मौजूद शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर वह भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास को सौंपने के मामले में दिए गए आदेश पर फिर से विचार करते हुए सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया. सितंबर 2020 में इस याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था. इस समय इसी तरह की मांग को लेकर स्थानीय अदालतों में 12 से अधिक और मामले में भी चल रहे हैं.
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग के प्रकट हो जाने से जो चमत्कृत हैं, वे जानते हैं कि यह झूठ है. ‘बाबा प्रकट हुए मस्जिद में’, ऐसा कहने वाले धार्मिक हो या न हों, अतिक्रमणकारी अवश्य हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने भाजपा नेता रजनीश सिंह की ओर से दाख़िल याचिका पर फटकार लगाते हुए कहा कि कृपया जनहित याचिका प्रणाली का मजाक न बनाएं. जाइए और शोध कीजिए. नेट/जेआरएफ़ कीजिए और अगर कोई विश्वविद्यालय आपको इस तरह के विषय पर शोध करने से मना करता है तब हमारे पास आइए.
बीते आठ मई को अनंतनाग के मट्टन में आठवीं शताब्दी के संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में हुई पूजा-अर्चना में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भाग लिया था. नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते. हालांकि प्रशासन की ओर से कहा गया है कि उपराज्यपाल को अनुमति की ज़रूरत नहीं.
वाराणसी ज़िले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित 18 ऐतिहासिक स्मारक हैं. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, 18 में से दो लापता हैं. हालांकि शहर में खोजने पर पांच स्मारकों का कोई ठिकाना नहीं मिलता और अन्य सात भी प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हैं.
दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अगले आदेश तक यहां कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने के आदेश दिए. एक याचिका में कहा गया था कि प्राचीन काल से परिसर में भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं और उन्हें आशंका है कि एएसआई उन्हें केवल कलाकृतियां मानते हुए किसी राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकता है.