बहुत कम लोगों को मालूम है कि आंबेडकर की अर्थशास्त्र पर भी गहरी पकड़ थी. लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स से उनकी थीसिस भारतीय आर्थिक इतिहास और मुद्रा नीति को समझने में मदद करती है. इस पुस्तक ने स्वतंत्र भारत की वित्तीय नींव तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
पुस्तक समीक्षा: डॉ. बीआर आंबेडकर की पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर की मूल रूप से मराठी में लिखी गई आत्मकथा का अंग्रेज़ी अनुवाद 'बाबासाहेब माई लाइफ विद डॉ. आंबेडकर' के नाम से आया है. यह किताब बाबासाहेब को विशिष्ट विद्वेता या युगांतरकारी छवि से उतारकर एक सामान्य, गृहस्थ के तौर पर सामने रखती है.
14 अक्टूबर 1956 को आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था. वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार से कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर व अन्य समाज सुधारकों के लेखों के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के प्रयास करने होंगे. पीठ ने कहा कि सरकार ने कई सुधारकों के हस्तलिखित साहित्य के ‘अद्भुत’ खंड प्रकाशित किए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से तमाम लोगों को इसके बारे में पता नहीं है.
कोई भी राजनीतिक दल जाति व्यवस्था के अंत का बीड़ा नहीं उठाना चाहता है, न ही कोई सामाजिक आंदोलन इस दिशा में अग्रसर है. बल्कि, जाति आधारित संघों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. यह राष्ट्र एवं समाज के लिए एक घातक संकेत है.
आज जैसे तीन तलाक़ में बदलाव की मांग को कट्टरपंथी धड़ा इस्लाम में दख़ल बताता है, कुछ वैसा ही आज़ादी के बाद हिंदू रूढ़ियों में बदलाव किए जाने पर अतिवादियों ने उसे हिंदू धर्म पर हमला बताया था.
संसद में आयोजित एक सम्मेलन में मोदी ने सांसदों और विधायकों से कहा कि आपने कितने मोर्चे निकालें और कितनी बार जेल गए, यह 20 साल पहले राजनीतिक करिअर में मायने रखता होगा, लेकिन अब बात बदल गई है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा, बाबासाहब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म तब अपनाया जब उन्हें भरोसा हो गया कि दलितों को हिंदू धर्म में न्याय नहीं मिलेगा.