वित्त वर्ष 2014-15 से बैंकों ने 14.56 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले: केंद्र

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में बताया है कि बट्टे खाते में डाले गए कुल 14,56,226 करोड़ रुपये के ऋणों में से बड़े उद्योगों और सेवाओं के बट्टे खाते में डाले गए ऋण 7,40,968 करोड़ रुपये के थे.

शीर्ष 50 विलफुल डिफॉल्टर पर बैंकों का 87,000 करोड़ से अधिक बकाया, मेहुल चोकसी पर सर्वाधिक

वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि मेहुल चोकसी की गीतांजिल जेम्स सबसे बड़ी डिफॉल्टर है, जिस पर बैंकों का 8,738 करोड़ रुपये बकाया है. दूसरे स्थान पर एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लि. है, जिस पर 5,750 करोड़ रुपये हैं. तीसरे नंबर पर आरईआई एग्रो लिमिटेड है, जिस पर 5,148 करोड़ रुपये हैं.

आरबीआई के विलफुल डिफॉल्टर्स के क़र्ज़ को समझौते से निपटाने के निर्णय के ख़िलाफ़ आईं बैंक यूनियन

आरबीआई ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर क़र्ज़ न चुकाने वाले) और धोखाधड़ी के मामलों के ऋण निपटान के लिए समझौते की अनुमति दी है. बैंक यूनियन इसके ख़िलाफ़ हैं. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार आम जनता के पैसों को अपने चुनिंदा मित्रों पर न्योछावर कर रही है.

पिछले पांच वर्षों में बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले: वित्त मंत्री

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के बही खाते से हटा दिया गया है.

पिछले पांच साल में बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले

वित्त राज्यमंत्री भागवत के. कराड ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बैंकों द्वारा 1,57,096 करोड़ रुपये के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले गए. मंत्री ने यह भी बताया कि जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों की सूची में मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का स्थान है.

लॉकडाउन से लघु और मझोले उद्यम सर्वाधिक प्रभावित, 2020-2021 में इनका क़र्ज़ 20,000 करोड़ बढ़ा: आरटीआई

सूचना का अधिकार के ज़रिये आरबीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) एमएसएमई की कुल ग़ैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) या फंसा हुआ क़र्ज़ सितंबर 2020 में 1,45,673 करोड़ की तुलना में 20,000 करोड़ रुपये बढ़कर सितंबर 2021 में 1,65,732 हो गया.

कैबिनेट ने ‘बैड बैंक’ के लिए 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी प्रस्ताव को मंज़ूरी दी

वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में क़रीब दो लाख करोड़ रुपये के फंसे क़र्ज़ के समाधान को लेकर ‘बैड बैंक’ के गठन की घोषणा की थी. ऐसा करने पर बैड लोन को बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है और इसी समय बैड बैंक फंसे हुए क़र्ज़ को अपने पास ले लेता है.

वर्ष 2020-21 के नौ महीनों में बैंकों ने 1.15 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाला: सरकार

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19, और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान क्रमश: 2.36 लाख करोड़ रुपये और 2.34 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है. ऐसे ऋण जिसकी वसूली नहीं हो पाती है, बैंक उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं.

बड़ी मंदी की ओर बढ़ रहा भारत, आईसीयू में जा रही अर्थव्यवस्था: पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार

नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए अरविंद सुब्रमण्यन ने दिसंबर 2014 में दोहरे बैलंस शीट की समस्या उठाई थी, जिसमें निजी उद्योगपतियों द्वारा लिए गए कर्ज बैंकों के एनपीए बन रहे थे. सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से दोहरे बैलेंस शीट के संकट से जूझ रही है.

सभी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन होना अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं: रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत आर्थिक मंदी के घेरे में है. आर्थिक सुस्ती को दूर करने की शुरुआत के लिए यह जरूरी है कि मोदी सरकार सबसे पहले समस्या को स्वीकार करे.

बहुसंख्यकवाद और अधिनायकवाद भारत को अंधेरे रास्ते पर ले जा रहा है: रघुराम राजन

अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में एक लेक्चर के दौरान पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बिना सोच-विचार के नोटबंदी लाने और बुरी तरह से जीएसटी लागू करने की वजह से भारत इस समय आर्थिक सुस्ती की दौर से गुजर रहा है.

बीते दस सालों में सात लाख करोड़ का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला गया, 80% मोदी सरकार में हुआ

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.

1 2 3