सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
मिज़ोरम की राजधानी आइजोल में गृह मंत्री के दौरे के समय स्थानीय लोगों ने बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया.
मेघालय सरकार का तर्क है कि केंद्र की इस अधिसूचना से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के खान-पान की संस्कृति प्रभावित होगी.
जन गण मन की बात की 66वीं कड़ी में विनोद दुआ ‘जय जवान, जय किसान’ और बीफ़ विवाद पर चर्चा कर रहे हैं.
पांच हज़ार कार्यकर्ताओं के अलावा, पांच मंडल इकाइयां भी भंग हो गई हैं. इसके पहले दो बड़े नेता इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ चुके हैं.
भाजपा से इस्तीफा देने के बाद बाचू ने कहा, ‘मैं लोगों की भावनाओं को लेकर समझौता नहीं कर सकता. बीफ खाना हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. हमें भाजपा की गैरकानूनी विचारधारा स्वीकार नहीं है.’
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री खांडू ने कहा, ‘केंद्र सरकार को इस नोटिफिकेशन पर दोबारा सोचना चाहिए. पूरे नॉर्थ ईस्ट में आदिवासियों की अच्छी ख़ासी संख्या है और वे मांसाहारी हैं.’
प्रदेश के तूरा ज़िले के भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार बनी तो गोमांस पर प्रतिबंध नहीं लगेगा बल्कि दाम घटाया जाएगा.
हिंदुत्ववादी गिरोह क़ानून, विस्थापन, हत्याओं और धमकियों के सहारे दलितों और मुस्लिमों की जीवन पद्धति को नष्ट करने में लगे हुए हैं.
इस महीने असम के मुख्यमंत्री के रूप में एक साल पूरे करने जा रहे सर्बानंद सोनोवाल का कहना है कि एक सुदृढ़ शासन व्यवस्था बनाने के लिए जनता की आवाज़ को भी सुना जाना ज़रूरी है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, कहा- आधुनिक बूचड़खाने चलाना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है.
हिंदुस्तान में जो व्यक्ति जितना ज़्यादा ताकतवर और प्रसिद्ध है, उसके सत्ता के पक्ष में बयान देने की संभावना उतनी ज़्यादा रहती है. चाहे वे फिल्म स्टार हों या बिज़नेसमैन, सभी ने सत्तारूढ़ दल के साथ खड़े होने की अपनी वजहें तलाश ली हैं.
पूरे उत्तर प्रदेश में तथाकथित ‘अवैध बूचड़खाने’ वास्तव में सार्वजनिक म्युनिसिपल बूचड़चाने हैं, जो भीषण उपेक्षा के कारण बदहाली का शिकार हैं.
गोवध और गायों के परिवहन पर पाबंदी को गोरक्षक दलों द्वारा हिंसक ढंग से लागू करने का ख़ामियाज़ा किसानों को उठाना पड़ रहा है. किसान अनुपयोगी मवेशी बेचकर कुछ पैसे कमा लेने के विकल्प से भी वंचित हो गए हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खानपान को जीने के अधिकार से जोड़ते हुए मीट की दुकानों पर लगी रोक को ग़लत बताया, व्यापारियों को लाइसेंस जारी करने का निर्देश.