अगर हिंदुत्ववादी आख्यान का जादू इस देश में चलेगा तो इससे यही प्रमाणित होता है कि भारत की राजनीति में विचारधारा की मौत नहीं हुई है. वह अगर दक्षिणपंथ के रूप में जिंदा है तो उसके वामपंथी या मध्यमार्गी होने की संभावना भी है.
गुजरात की जनता भाजपा सरकार से नाराज़ थी, लेकिन उनकी परेशानी को सुनने और आवाज़ उठाने वाला विपक्ष सड़कों पर नहीं था.
एक पक्षकार की ओर से पेश अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आग्रह किया कि अपीलों पर अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई, 2019 में सुनवाई कराई जाए.
ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के भ्रष्टाचार की कहानी भले ही पूरे देश में चर्चा का विषय रही है लेकिन छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी में उनके विरोधी भी उन्हें भ्रष्ट कहने से बचते नज़र आते हैं.
बसपा प्रमुख का आरोप, भाजपा ने राजनीतिक स्वार्थ में संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र को कमज़ोर किया, तानाशाही और मनमानी चल रही है.
गुजरात चुनाव राउंडअप: 'आप' ने की ख़रीद-फ़रोख़्त की जांच की मांग, अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल, कांग्रेस की मांग मतदान केंद्रों पर हो सीसीटीवी, सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई.
ख़रीद-फ़रोख़्त के आरोप के बीच 14 कांग्रेसी विधायकों के भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की ख़बर.
अगर प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति की जगह प्रधानमंत्री बनाया जाता तो उनकी राजनीतिक कुशलता 2014 में नरेंद्र मोदी की आसान जीत के रास्ते में अवरोध बन कर खड़ी होती.
लोहा लोहे को काटता है ये तो सुना ही था. अब हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए बदनाम वीरभद्र सिंह को निपटाने के लिए महाभ्रष्ट सुखराम और उनके सुपुत्र भाजपा का साथ देंगे.
अमेठी पहुंचे अमित शाह ने कहा, अमेठी की जनता राहुल से तीन पीढ़ियों का हिसाब मांग रही है. राहुल ने उठाए संघ में महिला भागीदारी पर सवाल.
भाजपा सांसद ने कहा, सांसदों का वेतन पांच वर्षों में चार गुना बढ़ गया, जबकि संसद में कार्यदिवस घटकर 60 दिन पर आ गया है, 1952-72 के बीच यह 130 दिन था.
पांच हज़ार कार्यकर्ताओं के अलावा, पांच मंडल इकाइयां भी भंग हो गई हैं. इसके पहले दो बड़े नेता इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ चुके हैं.
हिंदुत्ववादी गिरोह क़ानून, विस्थापन, हत्याओं और धमकियों के सहारे दलितों और मुस्लिमों की जीवन पद्धति को नष्ट करने में लगे हुए हैं.
संस्कृत हिंदू धर्म ग्रंथों की भाषा है, इसीलिए भाजपा का उससे कुछ अधिक ही लगाव है. यह अलग बात है कि इस भाषा की समृद्ध साहित्यिक-दार्शनिक विरासत से उसका कोई ख़ास परिचय नहीं है.
मोदी के हर क़दम ने हमें अचंभित किया है. यहां तक कि जब वे ज़हर उगलते रहे, तब भी हमारी प्रतिक्रिया ऐसी ही रही. योगी की ताजपोशी उनकी नयी पेशकश है. जो किया जा चुका है उसमें ख़ूबी तलाशना ही अब हमारा कर्तव्य रह गया है.