साल 2022 में मोदी सरकार ने बिलक़ीस बानो के बलात्कार के लिए दोषी ठहराए गए सज़ायाफ़्ता अपराधियों की रिहाई को मंज़ूरी दी थी. बिलक़ीस के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला अपने हाथ में लिया और उन हत्यारों और बलात्कारियों को वापस जेल भेजा.
बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों में से दो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि एक 'असामान्य' स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि समान शक्ति रखने वाली शीर्ष अदालत की दो अलग-अलग पीठों ने सज़ा माफ़ी के एक ही मुद्दे पर विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते आठ जनवरी को बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार ने उन्हें समयपूर्व रिहा करते हुए 'शक्ति का दुरुपयोग' किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जवनरी को बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा था. इस आदेश के बाद उनके घर पर न रहने की ख़बरें सामने आई थीं. इस बीच बीते 19 जनवरी को अदालत ने इन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया.
गुजरात सरकार द्वारा बिलकीस बानो मामले के 11 दोषियों को दी गई सज़ा माफ़ी को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को उन्हें दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था. इनमें से 10 ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर निजी कारण देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए और समय की मांग की है.
साल 2002 में बिलक़ीस के साथ हुई ज़्यादती के बाद गुजरात की दो अधिकारियों- गोधरा की तत्कालीन डीएम जयंती रवि और गोधरा सिविल अस्पताल की डॉक्टर रोहिणी कुट्टी ने उस समय के तमाम राजनीतिक-प्रशासनिक दबावों के बीच जिस ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाई, वो वाकई एक मिसाल है.
बिलक़ीस बानो की जीत भारत की उन महिलाओं और मर्दों को शर्मिंदा करती है जो इस केस पर इसलिए चुप हो गए क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करना पड़ता, उन्हें भाजपा से सवाल करना पड़ता.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जवनरी को बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा है. गुजरात के दाहोद के एसपी ने बताया है कि पुलिस को उनके आत्मसमर्पण के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है और न ही उन्हें शीर्ष अदालत के फैसले की प्रति प्राप्त हुई है.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की गुजरात सरकार द्वारा सज़ा माफ़ी और रिहाई को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे कुछ महिलाएं हैं जो बिलक़ीस को न्याय दिलाने के लिए आगे आईं.
बीते सोमवार को बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को समय से पहले रिहा करने का हक़ नहीं है. अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था.
अपने साथ हुए सामूहिक बलात्कार और परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद बिलक़ीस बानो ने अदालत के साथ उनके समर्थन में खड़े रहने वालों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी दुआ है कि सबसे ऊपर क़ानून रहे और क़ानून की नज़र में सब बराबर बने रहें.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को समय से पहले रिहा करने का हक़ नहीं है. अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा है.
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सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला यह उन शिकायतों के जवाब में दिया, जिसमें कहा गया था कि मामले के एक दोषी को नोटिस नहीं दिया जा सका, क्योंकि वह अपने पते पर नहीं मिला. आरोप है कि बचाव पक्ष सुनवाई को टालने की कोशिश कर रहा है. बिलक़ीस ने दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाइयों में दोषियों की सज़ा माफ़ी से संबंधित फाइलें सरकार ने अदालत के समक्ष रखने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब वह राज़ी हो गई है.