नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान में दिए गए नफ़रती भाषण की व्यापक आलोचना के बाद निर्वाचन आयोग ने दो लगभग समान पत्र 25 अप्रैल को भाजपा और कांग्रेस के अध्यक्षों- जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष को मिला पत्र भाजपा द्वारा राहुल गांधी के ख़िलाफ़ दर्ज शिकायत पर आधारित है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनके दल के नेताओं की हेट स्पीच पर चुनाव आयोग की ख़ामोशी से अंदाज़ मिलता है कि भाजपा नेताओं को माहौल सांप्रदायिक बनाने के लिए उसने पूरी छूट दी है.
वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के विश्लेषण के अनुसार, बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने 2019 में 58.25 लाख रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जो 2024 में बढ़कर 1.24 करोड़ रुपये हो गई. वहीं, दार्जिलिंग के मौजूदा भाजपा सांसद और उम्मीदवार राजू बिस्ता की संपत्ति में पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से 215 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
केंद्र सरकार ने 2021 में देश में निजी संस्थाओं को सैनिक स्कूल चलाने की अनुमति दी थी. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के अनुसार, ऐसे 40 निजी सैनिक स्कूलों में से कम से कम 62% ऐसे थे जो आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों, भाजपा के नेताओं, उसके राजनीतिक सहयोगियो, हिंदुत्व संगठनों, व्यक्ति और अन्य हिंदू धार्मिक संगठनों से जुड़े थे.
वीडियो: पटना के गांधी मैदान से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के बाद कैबिनेट मंत्रियों समेत सभी भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपने नाम के साथ 'मोदी का परिवार' जोड़ा है. इस बारे में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
वीडियो: राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा', आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी की तैयारी समेत विभिन्न विषयों पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत से बात कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की याचिका पर जबलपुर की एक विशेष अदालत ने मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है. तन्खा ने इन लोगों के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का नागरिक मानहानि का मुक़दमा भी दायर किया है.
आज की अयोध्या में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता के समक्ष आत्मसमर्पण और उसका प्रतिरोध न कर पाने की असहायता बढ़ती जा रही है. आम लोगों के बीच का वह स्वाभाविक सौहार्द भी, जो आत्मीय रिश्तों तक जाता था, अब औपचारिक हो चला है.
अगर हिंदू जनता को यह यक़ीन दिलाया जा सकता है कि यह मंदिर उसकी चिर संचित अभिलाषा को पूरा करता है तो इसका अर्थ है कि हिंदू मन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूरी तरह कब्ज़ा हो चुका है.
22 जनवरी को होने वाले अयोध्या के राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले संत समाज का एक वर्ग क्यों रुष्ट हो गया है?
तुलसीदास रामचरितमानस में कहते हैं कि राम के बारे में अब तक जो कुछ भी लिखा-पढ़ा या सुनाया गया है, वह लिखने-पढ़ने-सुनाने वालों की ‘स्वमति अनुसार’ ही है- आधिकारिक या प्रामाणिक नहीं. ऐसी कोई ‘स्वमति’ कुमति में बदल जाए तो उससे किसी भी सभ्य तर्क की कसौटी पर खरी उतरने की अपेक्षा नहीं की जा सकती.
चार शंकराचार्यों ने राम मंदिर के आयोजन में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उन्होंने ठीक ही कहा है कि यह धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भाजपा का राजनीतिक आयोजन है. फिर यह सीधी-सी बात कांग्रेस या दूसरी पार्टियां क्यों नहीं कह सकतीं?
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कांग्रेस के लोग यह सही कहते हैं कि उनके बिना राम मंदिर नहीं बन पाता. लेकिन यह गर्व की नहीं, लज्जा की बात होनी चाहिए. कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1949 में बाबरी मस्जिद में सेंधमारी नहीं हुई थी, सेंधमारी धर्मनिरपेक्ष भारतीय गणतंत्र में हुई थी.
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