फिल्म निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्टे के पिता रत्नाकर गुट्टे पर 5,500 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है. 2014 में रत्नाकर गुट्टे महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं.
रा वन, तुम बिन, गुलाब गैंग जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा ने कहा कि देश से हर हिंदुस्तानी प्यार करता है, उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए मजबूर न किया जाए.
संस्मरण: प्रख्यात गीतकार और कवि गोपालदास नीरज ख़ुद को जनता का कवि कहते थे. उनका मानना था कि जीवन को जीने के लिए मार्क्स को भी मानना होगा और कबीर को भी.
नई दिल्ली स्थित एम्स में गोपालदास नीरज ने ली अंतिम सांस. सीने में संक्रमण की शिकायत थी. 1991 में पद्मश्री, 1994 में यश भारती, 2007 में पद्मभूषण सम्मान से नवाज़ा गया था.
रीता भादुड़ी ने तीन दशक के अपने करिअर में बेटा, जूली, सावन को आने दो, कभी हां कभी ना जैसी फिल्मों के अलावा साराभाई वर्सेस साराभाई, छोटी बहू, कुमकुम, हसरतें, मुजरिम हाज़िर, खिचड़ी जैसे धारावाहिकों में काम किया था.
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मकार सईद अख़्तर मिर्ज़ा की किताब के लोकार्पण के मौके पर फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा कि हमारे देश की आत्मा सरकार से बहुत बड़ी है. यह देश सरकार नहीं है.
दलित मुद्दों पर फिल्म बनाने में आने वाली चुनौतियों पर स्वतंत्र फिल्मकार पवन के श्रीवास्तव से बात कर रहे हैं द वायर के फैयाज़ अहमद वजीह.
ब्लैक फ्राइडे, गुलाल और सरकार जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके अभिनेता केके मेनन ने कहा कि आपके अभिनय को चाहे कितना भी सराहा जाए इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. फिल्म में बड़े नाम न हो तो सिनेमा देखने कम लोग पहुंचते हैं.
तकरीबन 150 विज्ञापन फिल्में बना चुके ऐड मेकर देब मेढ़ेकर से उनकी पहली फिल्म बाइस्कोपवाला को लेकर प्रशांत वर्मा की बातचीत.
रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी ‘काबुलीवाला’ पर आधारित फिल्म ‘बाइस्कोपवाला’ में अभिनेता डैनी डेनजोंग्पा मुख्य किरदार निभा रहे हैं. फिल्म 25 मई को रिलीज़ हो रही है.
गोलमाल, धमाल, आॅल द बेस्ट, वन टू थ्री, फंस गए रे ओबामा में यादगार किरदार निभाने के बाद आंखों देखी, मसान, कड़वी हवा और अंग्रेज़ी में कहते हैं जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले अभिनेता संजय मिश्रा से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
अभिनेता सुमीत राघवन ने कहा कि मराठी फिल्म में कथानक महत्वपूर्ण है, जिसमें दर्शकों को थियेटर तक लाने का माद्दा होता है.
कलाकारों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा अवॉर्ड देने की 65 साल से चली आ रही परंपरा को तोड़ा जा रहा है. वहीं राष्ट्रपति भवन ने स्पष्टीकरण दिया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सभी पुरस्कार कार्यक्रमों में अधिकतम एक घंटे रुकते हैं, इसलिए वे केवल 11 लोगों को ही पुरस्कार देंगे.
जयंती विशेष: 1944 में उनकी एक गुमनाम शख़्स की तरह मौत हो गई जबकि तब तक उनका शुरू किया हुआ कारवां काफी आगे निकल चुका था. फिल्मी दुनिया की बदौलत कुछ शख़्सियतों ने अपना बड़ा नाम और पैसा कमा लिया था. घुंडीराज गोविंद फाल्के को हम आम तौर पर दादा साहब फाल्के के नाम से जानते हैं. भारतीय सिनेमा की शुरुआत करने वाले इस शख्स की पहचान सिर्फ आज एक अवॉर्ड के नाम तक महदूद रह गई है. भारत सरकार
साक्षात्कार: ‘ये वो मंज़िल तो नहीं’, ‘धारावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ जैसी फिल्में बनाने वाले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक सुधीर मिश्रा से प्रशांत वर्मा की बातचीत.