भारत के पहले क़ानून मंत्री डॉ. आंबेडकर का त्याग-पत्र आधिकारिक रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं: रिपोर्ट

सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत डॉ. बीआर आंबेडकर के क़ानून मंत्री के पद से त्याग-पत्र की प्रमाणित प्रति मांगी गई थी. याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रपति सचिवालय में इस संबंध में आवेदन किया था, लेकिन इन कार्यालयों ने इस संबंध में आधिकारिक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी है.

क्या आरएसएस किसी दलित स्वयंसेवक को सरसंघचालक बनाएगा?

आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बीते दिनों कहा था कि ईश्वर की दृष्टि में हर कोई समान है और उसके सामने कोई जाति या संप्रदाय नहीं है. यह सब पंडितों ने बनाया, जो ग़लत है.

पेरियार ललई सिंह को जानना क्यों ज़रूरी है

पुस्तक समीक्षा: पांच भागों में बंटी धर्मवीर यादव गगन की ‘पेरियार ललई सिंह ग्रंथावली’ इस स्वतंत्रता सेनानी के जीवन और काम के बारे में बताते हुए दिखाती है कि आज़ादी के संघर्ष में तमाम आंदोलनकारी कैसे एक-दूसरे से न केवल जुड़े हुए थे बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बहुजन एका की कार्रवाइयों को अंजाम दे रहे थे.

संस्कृत को देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं बनाया जा सकता: पूर्व सीजेआई एसए बोबडे

संस्कृत भारती द्वारा आयोजित अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन में देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने अदालतों में संस्कृत इस्तेमाल करने की बात करते हुए कहा कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.

हर व्यक्ति स्वतंत्र है, हमें एक दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गणतंत्र दिवस समारोह में कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि देश आपस में लड़कर ग़ुलाम हो गया, किसी दुश्मन के सामर्थ्य के कारण नहीं. हम आपस में लड़ते रहे, इसलिए गुलाम हुए.. हमारा बंधुवाद समाप्त हो गया. स्वतंत्रता और समता एक साथ लानी है तो बंधुभाव लाना चाहिए.

संविधान केवल दस्तावेज़ नहीं है बल्कि जीवन जीने का एक माध्यम है

जब संविधान के 'बुनियादी ढांचे के सिद्धांत' पर विवाद छिड़ा हुआ है, तो ऐसे में ज़रूरी मालूम होता है कि इसकी मूल भावना और उसके उद्देश्य को आम लोगों तक ले जाया जाए क्योंकि जब तक 'गण' हमारे संविधान को नहीं समझेगा हमारा लोकतंत्र सिर्फ एक 'तंत्र' बनकर रह जाएगा.

क्यों फिर से उभर रही है राजस्थान हाईकोर्ट से मनु की मूर्ति हटाने की मांग

मूर्ति या चित्र किसी का भी हो, यह सिर्फ प्रतिमा या तस्वीर मात्र न होकर किसी ख़ास विचारधारा का प्रतिनिधित्व भी होता है. मनु की मूर्ति भी एक विचार का प्रतिनिधित्व करती है, जो दलितों, महिलाओं और संविधान के ख़िलाफ़ है.

आज़ादी के 75 सालों बाद भी देश की दलित-बहुजन आबादी की सभी उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं

भारत और यहां रहने वाले सभी जातियों, समुदायों के नागरिकों का भविष्य अब संविधान के इसके वर्तमान स्वरूप में बचे रहने पर निर्भर करता है.

कोविड के बहाने एनसीईआरटी ने समाजशास्त्र की किताब से जातिगत भेदभाव से संबंधित सामग्री हटाई

एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को 'व्यवस्थित करने' और कोविड महामारी के बाद छात्रों पर से पठन सामग्री का भार 'कम' करने का हवाला देते हुए एक विशेषज्ञ समिति ने पाठ्यपुस्तकों से जाति, जाति विरोधी आंदोलन, साहित्य और राजनीतिक परिघटनाओं से जुड़े कई मौलिक उल्लेखों को हटा दिया है.

आंध्र प्रदेश: नए ज़िले का नाम बदलने पर हिंसक प्रदर्शन-आगज़नी, मंत्री-विधायक के घर में आग लगाई

आंध्र प्रदेश में बीते अप्रैल माह में 13 नए ज़िलों का गठन किया गया था. इसमें शामिल कोनासीमा का नाम बदलकर बीआर आंबेडकर कोनासीमा ज़िला करने के प्रस्ताव का विरोध हो रहा है. मंगलवार को अमलापुरम नगर में हिंसक प्रदर्शन के दौरान मुम्मीदिवरम से सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस विधायक पी. सतीश और परिवहन मंत्री पी. विश्वरूप के घर, एक पुलिस वाहन तथा एक शैक्षणिक संस्थान की बस को आग के हवाले कर दिया गया.

‘बीते दो सालों में मेरे और आनंद के लिए ज़िंदगी ठहर गई है…’

एल्गार परिषद मामले में आरोपी बनाए गए सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद डॉ. आनंद तेलतुम्बड़े ने अप्रैल 2020 में अदालत के आदेश के बाद एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. दो साल बाद भी उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप साबित होने बाक़ी हैं. उनकी पत्नी रमा तेलतुम्बड़े ने इन दो सालों का अनुभव साझा किया है.

भगत सिंह को राजनीतिक उपभोक्तावाद का शिकार बनाने की होड़ का नतीजा क्या होगा

भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों व छवियों के स्वार्थी अनुकूलन की क़वायदों को सम्यक चुनौती नहीं दी गई तो आने वाली पीढ़ियों की उनके सच्चे क्रांतिकारी व्यक्तित्व व कृतित्व से साक्षात्कार की राह में दुर्निवार बाधाएं और अलंघ्य दीवारें खड़ी हो जाएंगी.

संविधान निर्माण के समय सोशलिस्ट पार्टी का सुर अलग क्यों था

दिसंबर 1946 में स्वतंत्र भारत के लिए जब एक नया संविधान बनाए जाने की कवायद शुरू हुई और संविधान सभा का गठन किया गया तो कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं ने यह कहते हुए इसका बहिष्कार किया कि यह 'एडल्ट फ्रेंचाइज़' यानी बालिग मताधिकार के आधार पर आधारित चुनी हुई सभा नहीं है.

एमपी: एमबीबीएस प्रथम वर्ष में हिंदुत्व से जुड़े लोगों और आंबेडकर के बारे में पढ़ाया जाएगा

मध्य प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह जनसंघ व आरएसएस के संस्थापकों के सिद्धांतों एवं जीवन दर्शन के बारे में एमबीबीएस छात्रों को पढ़ा कर अपनी विचारधारा को लोगों पर थोपना चाहती है, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर इतिहास को मिटाने और दबाने का काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश और समाज के लिए जो आदर्श हैं, उनके बारे में सभी को जानने की ज़रूरत है.

बाबा साहेब के सपनों को साकार करने के लिए जातिवादी व्यवस्था के विरुद्ध मुहिम तेज़ करनी होगी

कोई भी राजनीतिक दल जाति व्यवस्था के अंत का बीड़ा नहीं उठाना चाहता है, न ही कोई सामाजिक आंदोलन इस दिशा में अग्रसर है. बल्कि, जाति आधारित संघों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. यह राष्ट्र एवं समाज के लिए एक घातक संकेत है.