उत्तर प्रदेश की राजनीति में निषाद वोट अहम हो गए हैं, जिसे लेकर निषाद पार्टी अपने प्रभुत्व का दावा करती रही है. राज्य में 150 से अधिक विधानसभा सीटें निषाद बहुल हैं, ऐसे में यह समुदाय निर्णायक भूमिका में हो सकता है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट बढ़ते ही निषाद वोटों पर अपने कब्ज़े को लेकर निषाद पार्टी और बिहार की विकासशील इंसान पार्टी के बीच खींचतान शुरू हो गई है.
उत्तर प्रदेश में शनिवार को पंचायत ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव के दौरान के कम से कम 18 ज़िलों से हिंसा की सूचना मिली. इटावा में पथराव और गोलीबारी हुई, जहां से सामने आए एक वीडियो में पुलिसकर्मी भाजपा सदस्यों द्वारा उनसे मारपीट और बम लाने की बात कहते सुनाई दिए. साथ ही एक पत्रकार ने उन्नाव में चुनाव की रिपोर्टिंग के दौरान मुख्य विकास अधिकारी और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें पीटने की बात कही है.
निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने उनके पुत्र और भाजपा सांसद प्रवीण निषाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न करने पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि निषाद समुदाय के लोग पहले ही भाजपा से दूर जा रहे हैं. अगर पार्टी ने अपनी ग़लतियां नहीं सुधारीं, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे.
उत्तर प्रदेश के ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में तिकड़म, धनबल, दबाव आदि के सहारे मिली जीत को जिस तरह 'जनता-जर्नादन का आशीर्वाद' और 'जनविश्वास की जीत' बताया जा रहा है, उससे लगता है कि हमें लोकतंत्र के लिए नई परिभाषा ढूंढना शुरू कर देना चाहिए.
ज़िला पंचायत चुनाव में मिली विजय पर फूली न समा रही भाजपा भूल रही है कि ज़िला पंचायत अध्यक्षों के अप्रत्यक्ष चुनाव में जीत किसी भी अन्य अप्रत्यक्ष चुनावों की तरह किसी पार्टी की ज़मीनी पकड़ या लोकप्रियता का पैमाना नहीं होती. कई बार तो संबंधित पार्टी को इससे मनोवैज्ञानिक बढ़त तक नहीं मिल पाती.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की अल्पसंख्यक इकाई मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक कार्यक्रम में कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा है. जो लोग लिंचिंग में शामिल हैं, वे हिंदुत्व के ख़िलाफ़ हैं. कई विपक्षी नेताओं ने उनके बयान पर 'कथनी-करनी का अंतर' कहते हुए निशाना साधा है.
राज्य के बाकी 53 ज़िलों में आगामी तीन जुलाई को मतदान होगा. उसी मतगणना शुरू होगी. उत्तर प्रदेश के इन ज़िलों में उम्मीदवारों की जीत विपक्ष के आरोपों के बीच हुई है कि भाजपा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है. वहीं, सपा पर अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए भगवा पार्टी ने पलटवार किया है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ उत्तर प्रदेश में गठजोड़ की ख़बरों को ख़ारिज करते हुए इन्हें पूरी तरह से ग़लत, भ्रामक और आधारहीन बताया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने केवल अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए ही शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन का ऐलान किया है.
भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद का दावा है कि प्रदेश में 160 विधानसभा क्षेत्र निषाद बहुल हैं और 70 क्षेत्रों में समुदाय की आबादी 75 हज़ार से ज़्यादा है. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री न सही, उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर चुनाव में जाने से भाजपा को फायदा होगा.
भाजपा के केरल प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन पर आरोप है कि उन्होंने आदिवासी नेता तथा जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष सीके जानू को अप्रैल में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में वापस लाने के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान किया था. इससे पहले सुरेंद्रन के ख़िलाफ़ मंजेश्वरम क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेने के लिए बसपा उम्मीदवार के. सुंदर को रिश्वत देने के आरोप में केस दर्ज किया था.
विधानसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले बसपा ने शिरोमणि अकाली दल के साथ चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है. बीते कई चुनावों में बसपा के प्रदर्शन और बसपा सुप्रीमो मायावती के अप्रत्याशित फैसलों के आलोक में राजनीतिक जानकार इस गठबंधन को लेकर ज़्यादा आशांवित नहीं हैं.
चुनाव आयोग को सौंपी गई योगदान रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में भाजपा को कंपनियों और व्यक्तियों से लगभग 750 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह कांग्रेस पार्टी को मिले 139 करोड़ रुपये से कम से कम पांच गुना अधिक है.
बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने वाले के. सुंदर ने हाल में आरोप लगाया था कि भाजपा द्वारा नामांकन वापस लेने के लिए उन्हें शुरू में तो धमकी दी गई, लेकिन बाद में 2.5 लाख रुपये की रिश्वत दी गई. हालांकि सुंदर के नामांकन वापस लेने के बावजूद प्रदेश भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन मंजेश्वर सीट से हार गए थे.
बसपा प्रमुख मायावती ने पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी के प्रमुख नेताओं लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को निष्कासित कर दिया है. पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 19 सीटें जीती थीं. निष्कासन के बाद विधानसभा में पार्टी के पास सात विधायक बचे हैं, जिनमें से एक मुख्तार अंसारी जेल में हैं.
कोई भी राजनीतिक दल जाति व्यवस्था के अंत का बीड़ा नहीं उठाना चाहता है, न ही कोई सामाजिक आंदोलन इस दिशा में अग्रसर है. बल्कि, जाति आधारित संघों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. यह राष्ट्र एवं समाज के लिए एक घातक संकेत है.