गोरखपुर की रैली से कांग्रेस ने दिखाया है कि अब वह भी भाजपा, सपा, बसपा की तरह बड़ी रैली करने में सक्षम है. पार्टी पूर्वांचल में एक और रैली करने के बाद लखनऊ में बड़ी जनसभा करने की तैयारी में है. बड़ी रैलियां या जनसभाएं चुनावी सफलता की गारंटी नहीं हैं, लेकिन इनके ज़रिये कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश करेगी कि लोग उससे जुड़ रहे हैं.
बसपा की ओर से कहा गया है कि वह एक समाचार संगठन द्वारा प्रसारित चुनाव पूर्व सर्वेक्षण से हैरान थी. पार्टी का कहना है कि इस सर्वेक्षण ने सत्तारूढ़ भाजपा को मज़बूत दिखाते हुए बसपा कार्यकर्ताओं का मनोबल कम करने का प्रयास किया. सर्वेक्षण में भाजपा को 40 फ़ीसदी से अधिक वोट शेयर मिलता हुए बताया गया था. यह अनुमान यूपी के 15 करोड़ मतदाताओं के मुक़ाबले कुछ हज़ार लोगों के साक्षात्कार पर आधारित था और पूरी तरह से निराधार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्षी दल किसी भी हद तक जा सकते हैं. आपने देखा होगा कि हाल ही में एक पार्टी (सपा) से कौन मिलने आया था, उमर ख़ालिद के पिता. वह उमर ख़ालिद, जिसने कहा था कि ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’. इस पर समाजवादी पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री विधानसभा चुनावों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं.
मामला ललितपुर का है, जहां एक 17 वर्षीय युवती ने अपने पिता समेत 28 लोगों पर पिछले पांच सालों से बलात्कार करने का आरोप लगाया है. पुलिस ने बताया कि लड़की की मां ने उनके पति पर अपने 10 साल के बेटे का भी यौन शोषण करने का आरोप लगाया था.
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर इलाके में यह घटना उस वक़्त हुई जब 55 वर्षीय दलित महिला घास काटने खेत में गई थी. पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है. मुख्य आरोपी अभी भी फ़रार है. राज्य के संतकबीरनगर ज़िले में सात वर्ष की बच्ची से बलात्कार का आरोपी मदरसा शिक्षक की भी पुलिस तलाश कर रही है.
घटना सात अक्टूबर को राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के प्रेमपुरा इलाके में हुई. कथित प्रेम संबध को लेकर दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या की गई. पुलिस ने महिला के पूर्व पति समेत अन्य आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या, अपहरण और एससी/एसटी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ी मानी जाने वाली जातियों के नेताओं को जगह देकर उनकी शुभचिंतक होने का डंका पीट रही है. हालांकि जानकारों का सवाल है कि यदि ऐसा ही है तो प्रदेश के यादवों, जाटवों और राजभरों पर उसकी यह कृपा क्यों नहीं बरसी?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में क़रीब पांच महीने बाकी हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. मंत्रिमंडल परिवर्तन से लेकर राजनीतिक दलों के गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं. पर राज्य की जनता क्या बदलाव चाहती है या वर्तमान व्यवस्था में उसका भरोसा बना हुआ है?
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार ऐसे समय में किया गया है, जब विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने रह गए हैं. बीते जून महीने में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद के अलावा पलटू राम, धर्मवीर सिंह, छत्रपाल सिंह गंगवार, संगीता बलवंत, संजीव कुमार गौड़ और दिनेश खटिक ने शपथ ली. प्रसाद को कैबिनेट मंत्री, जबकि अन्य को राज्य मंत्री का पद दिया गया है.
राज्य में साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद दोबारा जनादेश पाने की आकांक्षा में योगी आदित्यनाथ का बात-बात पर पूर्ववर्ती सरकारों पर बरसना सर्वथा अवांछनीय है क्योंकि जनता उनके किए का फल उन्हें पहले ही दे चुकी है.
वीडियो: सपा नेता, यूपी योजना आयोग के पूर्व सदस्य और लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सुधीर पंवार का कहना है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी वर्तमान में सभी समुदायों में सत्ता विरोधी वोटों को मज़बूत करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है. अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर द वायर के अजॉय आशीर्वाद से उनकी बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी के इस चुनाव में शामिल होने का ऐलान कर दिया है. ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने से उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरणों में क्या बदलाव होगा बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान.
बसपा प्रमुख मायावती ने मऊ से बसपा विधायक मुख़्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के कुछ दिन बाद यह घोषणा की है. मायावती ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर मऊ सीट से चुनाव लड़ेंगे.
वीडियो: बसपा प्रमुख मायावती ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो दलितों और ब्राह्मणों के ख़िलाफ़ अत्याचार के मामलों की जांच की जाएगी. इस बीच एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या से पार्टी के 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत की. इन घटनाक्रमों पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान के साथ आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
बसपा प्रमुख मायावती ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का समर्थन किया और घोषणा की कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो राज्य में तीनों विवादास्पद कानूनों को लागू नहीं किया जाएगा.