‘बाबासाहेब: माई लाइफ विद डॉ. आंबेडकर’ गंभीर छवि वाले जननेता के सबसे सौम्य रूप को दिखाती है

पुस्तक समीक्षा: डॉ. बीआर आंबेडकर की पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर की मूल रूप से मराठी में लिखी गई आत्मकथा का अंग्रेज़ी अनुवाद 'बाबासाहेब माई लाइफ विद डॉ. आंबेडकर' के नाम से आया है. यह किताब बाबासाहेब को विशिष्ट विद्वेता या युगांतरकारी छवि से उतारकर एक सामान्य, गृहस्थ के तौर पर सामने रखती है.

आंबेडकर ने हिंदू धर्म क्यों छोड़ा

14 अक्टूबर 1956 को आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था. वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने.

गुजरात सरकार ने कहा- बौद्ध अलग धर्म है, हिंदुओं को धर्म परिवर्तन के लिए अनुमति लेनी होगी

गुजरात सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि बौद्ध धर्म को एक अलग धर्म माना जाना चाहिए और हिंदू धर्म से बौद्ध, जैन और सिख धर्म में परिवर्तित होने के लिए गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के तहत संबंधित डीएम की पूर्व मंज़ूरी लेनी होगी.

हिंदुत्व या हिंदू धर्म के स्थान पर सनातन शब्द के प्रयोग के मायने क्या हैं?

बीते कुछ समय से भाजपा, आरएसएस तथा उनके द्वारा पोषित-समर्थित अन्य संगठन सनातन शब्द के प्रयोग पर ज़ोर देते नज़र आ रहे हैं. क्या वे हिंदुत्व शब्द से पीछा छुड़ाना चाहते हैं? सांप्रदायिक और दमनकारी हिंदुत्व की राजनीति के कारण भाजपा और संघ की बदरंग हुई छवि क्या सनातन शब्द से उजली हो जाएगी?

…नरक तुम्हारे भीतर है वह

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अज्ञेय द्वारा लिखित एकमात्र नाटक ‘उत्तर प्रियदर्शी’ सम्राट अशोक द्वारा पाटिलपुत्र में स्थापित नरक की कथा को लेकर था. इस नाटक, उसके मूल अभिप्राय की वर्तमान भारत के लिए प्रासंगिकता बिल्कुल स्पष्ट है. 

प्रोफेसर तुलसीराम: अपने समय के कबीर

पुण्यतिथि विशेष: प्रोफेसर तुलसीराम जाति व्यवस्था को परमाणु बम से भी ज़्यादा घातक मानते और कहते थे कि आप किसी शहर पर परमाणु बम गिरा दें तो वह उसकी एक-दो पीढ़ियों को ही नष्ट कर पाएगा. पर हमारे समाज पर थोपी गई जाति व्यवस्था पीढ़ी दर पीढ़ी संभावनाओं का संहार करती आ रही है.

नव बौद्ध अब मुस्लिम विरोधी हिंदुत्व की आग जलाए रखने को ईंधन बने रहने को तैयार नहीं हैं

सवर्ण समाज झूठ बोलता रहा है कि वह समानता के उसूल को मानता है. उसने किसी भी स्तर पर दलितों के साथ साझेदारी से इनकार किया. दलितों का हिंदू बने रहना मात्र एक जगह उपयोगी है- कि ‘मुसलमान, ईसाई’ के प्रति द्वेष और घृणा पर आधारित राजनीति के लिए ऐसे हिंदुओं की संख्या बढ़ती रहनी चाहिए.

दिल्ली: धर्मांतरण कार्यक्रम को लेकर हुए विवाद के बाद मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का इस्तीफ़ा

सीमापुरी से विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने दशहरे पर हुए बौद्ध धर्म अपनाने के कार्यक्रम पर छिड़े विवाद को लेकर कहा कि भाजपा को आंबेडकर और उनकी 22 प्रतिज्ञाओं पर आपत्ति है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे इसलिए इस्तीफ़ा दे रहे हैं ताकि उनकी वजह से अरविंद केजरीवाल और पार्टी पर कोई आंच न आए.

हिंदू धर्म की कारा में क्यों रहें?

हिंदुओं को यह सोचने की ज़रूरत है कि आखिर क्यों हिंदू ही धर्म परिवर्तन को बाध्य होता है? क्यों उसमें रहना दलितों के लिए सचमुच एक अपमानजनक अनुभव है? क्यों हिंदू इसकी याद दिलाए जाने पर अपने भीतर झांककर देखने की जगह सवाल उठाने वाले का सिर फोड़ने को पत्थर उठा लेता है?

राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाए: सूफी निकाय

बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता पर आयोजित एक अंतर धार्मिक सम्मेलन में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में कहा कि ऐसा कोई भी मोर्चा, जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

हिंदुत्व के पैरोकार महान अशोक से इतने ख़फ़ा क्यों रहते हैं

अशोक ने जिस भारत का तसव्वुर किया था, जिस तरह सब निवासियों के मिल-जुलकर रहने, प्रगति करने की बात की थी, उससे केंद्र में सत्तासीन हिंदुत्व वर्चस्ववादी हुकूमत और उनके समर्थकों को गहरी तकलीफ़ होती है.

देश में दो प्रकार के हिंदू, एक जो मंदिर जा सकते हैं और दूसरे जो नहीं जा सकते: मीरा कुमार

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.

बाबा साहेब के सपनों को साकार करने के लिए जातिवादी व्यवस्था के विरुद्ध मुहिम तेज़ करनी होगी

कोई भी राजनीतिक दल जाति व्यवस्था के अंत का बीड़ा नहीं उठाना चाहता है, न ही कोई सामाजिक आंदोलन इस दिशा में अग्रसर है. बल्कि, जाति आधारित संघों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. यह राष्ट्र एवं समाज के लिए एक घातक संकेत है.

उत्तर प्रदेश: ग़ाज़ियाबाद के गांव में वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने क्यों बौद्ध धर्म अपनाया

वीडियो: उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के कथित बलात्कार और मौत के बाद प्रशासन के व्यवहार से आहत ग़ाज़ियाबाद के करहैड़ा गांव के वाल्मीकि समुदाय के 236 लोगों ने बीते 14 अक्टूबर को बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था.