केंद्र सरकार पिछले चार सालों से 'जल जीवन मिशन' के तहत पूरे देश में 'हर घर नल से जल' योजना को यूं प्रचारित कर रही है कि आज़ादी के बाद पहली बार सरकार ने आम आदमी के घर तक पेयजल पहुंचाने का प्रबंध किया है. हालांकि, ज़मीनी हक़ीक़त सरकार के दावों के विपरीत है.
विशेष: बुंदेलखंड में केन नदी की लोअर स्ट्रीम का लगभग 106 किलोमीटर हिस्सा, जो मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले में अजयगढ़ से लेकर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिल्ला घाट तक फैला है, बेतहाशा अवैध खनन के कारण अपनी मूल संरचना खो चुका है.
ग्राउंड रिपोर्ट: बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लॉक का रसिन राज्य के लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय का गांव है. यहां ग्रामीण विस्थापन, बेरोज़गारी, आवारा पशु जैसी कई समस्याएं बताते हैं, हालांकि मतदान को लेकर उनकी राय मुद्दों की बजाय स्पष्ट तौर पर जातिगत समीकरणों पर आधारित है.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 ज़िलों में फैले बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाने की मांग क़रीब 65 वर्ष पुरानी है. नब्बे के दशक में इसने आंदोलन का रूप भी लिया, समय-समय पर नेताओं ने इसके सहारे वोट भी मांगे लेकिन अब यह मतदाताओं को प्रभावित कर सकने वाला मुद्दा नहीं रह गया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने सांसद ग्राम योजना की तर्ज पर अपने संसदीय क्षेत्र झांसी की पहुज नदी को गोद लेते हुए इसके संरक्षण का बीड़ा उठाया था, लेकिन आज वही पहुज नदी बांध निर्माण, प्रदूषण व अतिक्रमण के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.
वीडियो: केन-बेतवा नदियों को जोड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव, जल जीवन मिशन, पाइप जल योजना, सिंचाई योजनाओं और क्षेत्र के किसानों की स्थिति को लेकर केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल से द वायर के इंद्र शेखर सिंह ने बातचीत की.
ग्राउंड रिपोर्ट: झांसी बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है, जो स्मार्ट सिटी में भी शुमार है. लेकिन शहर और इससे सटे गांवों में पानी की भारी किल्लत और पलायन की समस्या क्षेत्र की समस्याओं की बानगी भर हैं.
बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है. एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि इस परियोजना से जैविक पर्यावरण को क्षति पहुंचने की आशंका है. मांग की गई कि बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस न दिया जाए.
पत्रकार आशीष सागर पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में केन नदी में अवैध बालू खनन की रिपोर्टिंग कर रहे हैं. आरोप है कि ज़िले के पैलानी क्षेत्र की अमलोर मौरम खदान से नियमों का उल्लंघन कर बालू निकाला जा रहा है, जिसके चलते नदी एवं पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है. इस संबंध में ज़िला प्रशासन से शिकायत की गई है. वहीं इलाके के एसडीएम का कहना है कि अवैध खनन नहीं हो रहा है.
बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है, जिसका व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा है. विडंबना यह है कि बीते दिनों पर्यावरण बचाने की कसमें खाने वाले सत्ता और विपक्ष के अधिकांश नेता इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं.
यह बेहद दुख की बात है कि तमाम गांवों में पशुओं की बड़ी संख्या में मौत होने के बावजूद अभी तक उनकी रक्षा के लिए कोई असरदार प्रयास नहीं हुए हैं.
बुंदेलखंड के गांवों में बहुत से हैंडपंप हैं, पर उनमें पानी नहीं है. गांव वालों को दो किमी. दूर तालाब पर जाना पड़ता है. गंदे पानी के उपयोग से कई बीमारियां फैल रही हैं
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से सपा में घमासान जारी है तो बसपा प्रमुख मायावती के तेवर नरम पड़े हैं. वहीं कांग्रेसी ‘गठबंधन ग़लती था’ का राग अलाप रहे हैं. यूपी में सपा, बसपा और कांग्रेस की हार को एक महीने से ज्यादा का वक़्त बीत चुका है. इस दौरान इन पार्टियों में तमाम तरह के फेरबदल हुए हैं. कई प्रमुख नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ दी है तो कुछ नेता अभी इसके फिराक़ में दूसरे
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे दौर में बसपा और सपा की सीधी टक्कर है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इनकी लड़ाई में भाजपा अपना फ़ायदा कैसे ढूंढ पाती है.