कॉप-29: चीन के रुख़ से जलवायु-विमर्श पर उमड़े नए प्रश्न

चीन के बढ़ता उत्सर्जन, वैश्विक व्यापार में प्रभुत्व और जलवायु वित्त में योगदान से बचने की नीति ने जलवायु विमर्श को कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है. पहले विकसित देश अमीर देशों के अन्यायपूर्ण दृष्टिकोण का सामना कर रहे थे, अब चीन का रुख़ भी इसमें शामिल हो गया है.

भारत ने सुरक्षा परिषद में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा संबंधी प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया

भारत ने इस क़दम का विरोध करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर चर्चा का उचित मंच ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ यानी यूएनएफसीसीसी है, न कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद. भारत के अलावा वीटो का अधिकार रखने वाले रूस ने इस प्रस्ताव के विपक्ष में वोट किया, जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया.

बढ़ते समुद्र, घटते ग्लेशियर; लगभग 100 प्रतिशत ग्लोबल वार्मिंग का कारण इंसान: यूएन जलवायु समिति

जलवायु परिवर्तन पर आई आईपीसीसी की हालिया रिपोर्ट बताती है कि अगर पृथ्वी के जलवायु को जल्द स्थिर कर दिया जाए, तब भी जलवायु परिवर्तन के कारण जो क्षति हो चुकी है, उसे सदियों तक भी ठीक नहीं किया जा सकेगा. आईपीसीसी इस बात की पुष्टि करता है कि 1950 के बाद से अधिकांश भूमि क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी, हीटवेव और भारी बारिश भी लगातार और तीव्र हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे ‘मानवता के लिए कोड रेड’ क़रार

कार्बन उत्सर्जन मामले में भारत, चीन से बड़ी समस्या: माइक ब्लूमबर्ग

न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर और अरबपति कारोबारी माइक ब्लूमबर्ग अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा किए गए फैक्ट चेक में चीन द्वारा उत्सर्जन को धीमा करने के संदर्भ में उनका बयान गलत साबित हुआ.