कंगना रनौत का एक साथी महिला कलाकार के काम को नकारते हुए उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास और घर गिराए जाने की तुलना बलात्कार से करना दिखाता है कि फेमिनिज़्म को लेकर उनकी समझ बहुत खोखली है.
अब्दुल बिस्मिल्लाह ने मुस्लिम समाज में मौजूद जातिवाद को कुठांव यानी मर्मस्थल की मानिंद माना है. उनके अनुसार यह एक ऐसा नाज़ुक विषय है अमूमन जिसका अस्तित्व ही अवास्तविक माना जाता है और जिसके बारे में बात करना पूरे मुस्लिम समाज के लिए एक पीड़ादायक विषय है.
एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार जेलों में बंद दलित, आदिवासी और मुस्लिमों की संख्या देश में उनकी आबादी के अनुपात से अधिक है, साथ ही दोषी क़ैदियों से ज़्यादा संख्या इन वर्गों के विचाराधीन बंदियों की है. सरकार का डॉ. कफ़ील और प्रशांत कनौजिया को बार-बार जेल भेजना ऐसे आंकड़ों की तस्दीक करता है.
बीते रविवार को अभिनेत्री कंगना रनौत ने ट्विटर पर भारत में जाति-व्यवस्था, आरक्षण और भेदभाव को लेकर टिप्पणियां की थीं.
एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर की शिकायत पर जांच कर रही समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महिला से आरोपी फैकल्टी सदस्य ने ‘अपनी औकात में रहो’ जैसे वाक्यों और जातिगत शब्दों का प्रयोग किया था, इसलिए उनके ख़िलाफ़ सख़्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.
हाल ही में सोशल मीडिया के बड़े प्लेटफॉर्म ट्विटर पर जातिवादी होने के आरोप लगे हैं. हम भी भारत की इस कड़ी में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी इस विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनताल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और द वायर की सोशल मीडिया एडिटर नाओमी बारटन से बात कर रही हैं.
बलिया के ज़िलाधिकारी ने आरोपों को निराधार बताते हुए मामले की जांच के आदेश दिए. वहीं, मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के एक प्राइमरी स्कूल में छात्रों से शौचालय साफ कराने का मामला सामने आया. कलेक्टर ने कहा कि अगर सफाई कराई है तो यह अच्छी बात है.
जब कोई फल पक जाता है, तब उसे तोड़ने के लिए सभी लपक पड़ते हैं. उसी तरह आज राजनीति में आंबेडकर चहेते हो गए हैं, लेकिन आंबेडकर दिखने में चाहे जितने आकर्षक हों, अपनाने में उतने ही कठिन हैं. वर्तमान राजनीतिक दल इस बात को जानते हैं इसीलिए वे 14 अप्रैल और 6 दिसंबर पर उनका नाम तो लेते हैं लेकिन उनकी वैचारिक तेजस्विता से डरते हैं.
जेएनयू, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और भारतीय दलित अध्ययन संस्थान द्वारा दो साल तक किए एक अध्ययन में सामने आया है कि देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत हिंदू उच्च जातियों और 3.7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं के पास है.
पुणे के पिंपड़ी चिंचवाड़ में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आर्थिक और सामाजिक समानता के आधार पर समाज को एक साथ लाने की ज़रूरत है और इसमें जातिवाद और सांप्रदायिकता की जगह नहीं है.
उज्जैन के महिदपुर के एसडीएम ने बताया कि 14 अप्रैल की रात को एक दलित बारात को उच्च जातियों के कुछ लोगों ने रोक लिया था. आगे ऐसी घटना न हो, इसलिए एहतियातन यह आदेश जारी किया गया था.
अफ़राज़ुल हत्याकांड: ये तीन लोगों की कहानी है. भगवान, अल्लाह, गॉड, इलाही जिसको भी आप मानते हो, वो कहता है, साउंड, कैमरा, एक्शन और एक सीन शुरू होता है.
सिर्फ ये कहना कि ये किसी पार्टी विशेष की सरकार के कारण हुआ, समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों से बचना है. सरकार की ज़िम्मेदारी है पर यह समझना भी ज़रूरी है कि हम ख़ुद अपने घरों में क्या बात कर रहे हैं.
आंबेडकर पर हुए एक सेमिनार में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने जातिवादी मानसिकता पर सवाल उठाते हुए लोगों से सोच बदलने की अपील की.