जन्मदिन विशेष: 'बिहार के लेनिन' कहे जाने वाले बाबू जगदेव प्रसाद कहते थे कि आज का हिंदुस्तानी समाज साफ तौर से दो भागों में बंटा हुआ है- दस प्रतिशत शोषक और नब्बे प्रतिशत शोषित. यह इज़्ज़त और रोटी की लड़ाई हिंदुस्तान में समाजवाद या कम्युनिज़्म की असली लड़ाई है. भारत का असली वर्ग संघर्ष यही है.
घटना इरोड ज़िले की है, जहां एक छात्र के अभिभावकों की शिकायत पर पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी प्रधानाध्यापिका फ़रार हैं.
एक निचली अदालत द्वारा एक शव को 'एससी/एसटी के लिए तय ज़मीन' पर न दफनाए जाने पर उसे बाहर निकालने के आदेश दिए गए थे. उसे रद्द करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कम से कम किसी इंसान के अंतिम समय में तो समानता बरती जानी चाहिए.
प्रतिभा के कारण अवसर मिलते हैं. यह वाक्य ग़लत है. यह कहना सही है कि अवसर मिलने से प्रतिभा उभरती है. सदियों से जिन्होंने सारे अवसर अपने लिए सुरक्षित रखे, अपनी प्रतिभा को नैसर्गिक मानने लगे हैं. वे नई-नई तिकड़में ईजाद करते हैं कि जनतंत्र के चलते जो उनसे कुछ अवसर ले लिए गए, वापस उनके पास चले जाएं.
संविधान की मूल संरचना का आधार समानता है. आज तक जितने संवैधानिक संशोधन किए गए हैं, वे समाज में किसी न किसी कारण से व्याप्त असमानता और विभेद को दूर करने वाले हैं. पहली बार ऐसा संशोधन लाया गया है जो पहले से असमानता के शिकार लोगों को किसी राजकीय योजना से बाहर रखता है.
घटना राजधानी बेंगलुरु से 80 किमी दूर चिक्कबल्लापुर ज़िले के केम्पडेनहल्ली गांव की है. जहां कथित उच्च जातियों से आने वाले दस लोगों ने जेवर चुराने के संदेह में चौदह साल के एक दलित किशोर को खंबे से बांधकर बुरी तरह पीटा. पुलिस के अनुसार, घायल किशोर का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
घटना कोलार ज़िले के मलूर तालुक के एक गांव में इस महीने की शुरुआत में घटी थी, जब गांव में निकाले जा रहे ग्राम देवता के जुलूस में 15 साल के लड़के के मूर्ति के स्पर्श के बाद उसके परिवार से साठ हज़ार रुपये का जुर्माना देने को कहा गया. ऐसा न करने पर उन्हें गांव से बाहर निकालने की धमकी दी गई.
मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर ज़िले के ताजपुर गांव में दलित युवक द्वारा वॉट्सऐप ग्रुप में टिप्पणी किए जाने को लेकर ग्राम प्रधान ने उन्हें चप्पल से पीटा और जान से मारने की धमकी दी थी.
असम के दरांग ज़िले के एक गांव की घटना. 65 वर्षीय अतुल शर्मा की बीते 9 अगस्त को मौत हो गई थी, लेकिन ग्रामीणों के कथित असहयोग के कारण परिवार को उनका शव जलाने के बजाय दफ़नाने के लिए मजबूर होना पड़ा. 27 साल पहले अंतरजातीय विवाह करने की वजह से ग्रामीणों ने उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया था.
सेलम ज़िले के पेरियार विश्वविद्यालय में एमए इतिहास के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा के प्रश्न-पत्र में पूछा गया था कि कौन-सी नीची जाति तमिलनाडु से संबंधित है. इसके बाद जाति उन्मूलन के लिए लड़ने वाले द्रविड़ विचारक पेरियार के नाम पर बने विश्वविद्यालय में ऐसा प्रश्न-पत्र तैयार करने को लेकर लोगों ने प्रबंधन की आलोचना की है.
लखनऊ के आशियाना इलाके का मामला है. ऑनलाइन आर्डर पर खाद्य सामग्री पहुंचाने वाली कंपनी जोमैटो के लिए काम करने वाले पीड़ित विनीत कुमार रावत ने आरोप लगाया कि एक घर के मालिक ने दलित होने के कारण उसके हाथों से खाना लेने से इनकार कर दिया और उसके चेहरे पर तंबाकू थूक दिया. उसके बाद करीब 12 अन्य लोगों के साथ उसे लाठियों से पीटा.
गूगल न्यूज़ में दलित अधिकार कार्यकर्ता थेनमोजी सौंदरराजन का जाति के मुद्दे पर होने वाला लेक्चर रद्द कर दिया गया. ख़बर आई कि भारतीय मूल के कथित ऊंची जाति से आने वाले कुछ कर्मचारियों ने सौंदरराजन को 'हिंदू-विरोधी' बताते हुए ईमेल्स भेजे थे.
रायबरेली ज़िले के जगतपुर थाना क्षेत्र का मामला है. दसवीं के एक दलित छात्र की पिटाई और एक युवक द्वारा उससे अपने पैर चटवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का देश के दो राज्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. एक पश्चिम बंगाल है और दूसरा महाराष्ट्र है. यह स्पष्ट है कि जो देश पर शासन कर रहे हैं, वे इन दो राज्यों में किसी भी क़ीमत पर सत्ता चाहते हैं.