मेडिकल और स्वास्थ्य के मुद्दों पर काम करने वाली अमेरिकी वेबसाइट स्टैट की रिपोर्ट के अनुसार, कोवैक्सीन की निर्माता भारत बायोटेक के एक निदेशक ने स्वीकार किया है कि टीकों को विकसित करने की प्रक्रिया में कुछ 'अनिवार्य' क़दम छोड़े गए थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गईं खांसी की चार दवाओं में डायथिलिन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल नामक पदार्थ पाए हैं, जो मनुष्यों के लिए ज़हरीले माने जाते हैं.
भारत बायोटेक ने ब्राज़ील के बाज़ार में कोवैक्सीन की बिक्री के लिए दवा निर्माता कंपनी प्रेसीसा मेडिकामेंटॉस और एनविक्सिया फार्मेस्यूटिकल्स लिमिटेड के साथ 20 नवंबर, 2020 को समझौता किया था. इसे लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद वहां के प्रशासन ने जांच शुरू की है.
ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सीन’ संबंधी एक सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों पर कथित रूप से कार्रवाई नहीं करने का आरोप है. ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को देशभर में बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन हुए हैं.
ब्राज़ील के एक विपक्षी सीनेटर ने राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ भारत बायोटेक के कोविड-19 वैक्सीन सौदे में उनकी भूमिका के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक औपचारिक आपराधिक शिकायत दर्ज करवाई है.
झारखंड हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उसकी उस टिप्पणी के कुछ दिनों के बाद आई है जब उसने कहा था कि झारखंड एक स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है. और सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता गंभीर चिंता का विषय है. हाईकोर्ट ने कहा कि झारखंड के अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन आधारित बिस्तर की अनुपलब्धता के कारण स्थिति दयनीय है.
ब्राज़ील सरकार ने कोवैक्सीन के दो करोड़ डोज़ प्राप्त करने के लिए वहां भारत बायोटेक का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनी के साथ क़रार किया था. वहां वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए देश की स्वास्थ्य नियामक एन्विसा की मंज़ूरी मिलना अनिवार्य है, जिसने कोवैक्सीन को स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट की ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ दोनों सुरक्षित हैं और इन्हें लेकर ग़लत सूचनाएं फैलाने वालों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई की जाए.
कोवैक्सीन को लेकर जानकारियों/आंकड़ों पर गोपनीयता का पर्दा पड़ा हुआ है और हम एक ऐसी मुश्किल स्थिति में हैं, जिसमें कम से कम कुछ लोगों के पास वैक्सीन लेने के अलावा शायद और कोई विकल्प नहीं है, भले ही उनके मन में अपनी सलामती को लेकर कितना ही संदेह क्यों न हो.
कोडरमा ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला स्वास्थ्य समिति की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी एवं एसीएमओ के 16 जनवरी के एक आदेश में सरकारी कर्मचारियों के टीका न लगवाने पर उनका वेतन रोकने की बात कही गई थी, जिसका काफ़ी विरोध हुआ.
कोविड-19 टीकाकरण अभियान के पहले दिन देशभर में जिन स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस का टीका लगाया गया उनमें से 75 से अधिक लोगों में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के मामले सामने आए. दिल्ली में एक गंभीर और 51 मामूली, जबकि महाराष्ट्र में ऐसे 14 मामले सामने आए.
कोवैक्सीन का केवल पहले और दूसरे चरण का ट्रायल पूरा हुआ है, जबकि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन अभी किया जा रहा है. दिल्ली के आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि उन्हें इसे लेकर कुछ संदेह है और उनमें से अधिकतर टीकाकरण अभियान में हिस्सा नहीं लेंगे.
बीते दिसंबर को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि आयोग बूथ स्तर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की पहचान करने में मदद करे. हालांकि चुनाव आयोग चाहता है कि टीकाकरण अभियान समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य अधिकारी ये डेटा मिटा दें.
बीते दिनों भारत के औषध महानियंत्रक यानी डीसीजीआई ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके कोवैक्सीन के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है. हालांकि इनको लेकर उठे सवाल अब भी अनुत्तरित हैं.
कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी संख्या क़रीब तीन करोड़ है. इसके बाद 50 साल की उम्र से अधिक और 50 साल से कम उम्र के वे समूह, जिनकी कोई कोमॉर्बिड अवस्था है, को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी संख्या क़रीब 27 करोड़ है.