प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चक्रवात ‘यास’ से प्रभावित ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. इसी माह के मध्य में पश्चिमी तट ने चक्रवात ताउते का प्रकोप झेला. ताउते अति भयंकर चक्रवाती तूफान के रूप में गुजरात तट से टकराया और उसने कई राज्यों में तबाही मचाई और क़रीब 50 लोगों की जान चली गई थी.
मुर्दे इतने अधिक हो गए कि लाशों को ठिकाने लगाने का सिस्टम बैठ गया. अब वे हिसाब मांगेगी. मृत्यु का, आंसू का, असहाय और अकेले पड़ने का, लुटने का, अस्पताल से लेकर अंतिम यात्राओं तक अपना आत्म सम्मान खोने का. जितना ढंकेंगे, चुप कराएंगे, झूठ बोलेंगे, सच उतना ही साफ होकर सामने आता जाएगा.
अदालत ने कहा कि गुजरात सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचे का विकास करना चाहिए कि महामारी की तीसरी या चौथी लहर आ सकती है, क्योंकि लोग मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता जैसे नियमों का पालन नहीं करने जा रहे. अदालत ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अस्पतालों को संबंधित इंजेक्शन के वितरण को लेकर राज्य सरकार की अधिसूचना अस्पष्ट और दोषपूर्ण बताया है.
आशा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के दौरान फ्रंटलाइन पर काम करने के बावजूद उनका बकाया भुगतान और सुरक्षा उपकरण नहीं मिल रहा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 18 मई को कंपनी को एक पत्र लिखकर कहा कि सात दिन के भीतर संतोषजनक जवाब न मिलने पर क़ानून के अनुरूप ज़रूरी क़दम उठाए जाएंगे. पत्र में वॉट्सऐप का इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि किस तरह उसकी निजता नीति मौजूदा भारतीय क़ानूनों और नियमों के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती है.
गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर गुजरात की मांग क्यों नहीं पूरी की जा रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले एक महीने से राज्य को प्रतिदिन करीब 16,000 शीशियों की आपूर्ति जारी रखी है, जबकि मांग प्रतिदिन लगभग 25,000 शीशियों की थी.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर रविवार को हिसार में एक कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे थे, जहां कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसान पहुंच गए. उन्हें कार्यक्रम स्थल से पहले ही रोक दिया गया और यहां उनके और पुलिस के बीच झड़प हुई. इसमें 70 से अधिक किसान और कुछ पुलिस कर्मी घायल हुए हैं.
केंद्र ने कहा कि हाल ही में गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है. नमामि गंगे मिशन राज्यों को इस पर रोक लगाने और शवों का सुरक्षित और सम्मानजनक निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देता है.
कोरोना संक्रमण मोदी सरकार की स्क्रिप्ट के हिसाब से नहीं आया था और इसीलिए इसका कोई तसल्लीबख़्श जवाब उसके पास नहीं है.
साक्षात्कार: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने द वायर से बात करते हुए देश के कोविड संकट के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि सरकार लोगों को उनके हाल पर छोड़ चुकी है, ऐसे में अपनी सुरक्षा करें और एक दूसरे का ख़याल रखें.
पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समयांतर बढ़ाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह दो डोज के बीच समयांतर को 28 दिनों से बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह तक कर दें. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच के समय में बदलाव नहीं किया गया है.
असम एनआरसी के समन्वयक हितेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर दावा किया है कि एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में कई गंभीर, मौलिक और महत्वपूर्ण त्रुटियां सामने आई हैं, इसलिए इसके पुन: सत्यापन की आवश्यकता है. सत्यापन का कार्य संबंधित ज़िलों में निगरानी समिति की देखरेख में किया जाना चाहिए.
अमेरिका की केंडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा था कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आर्थिक सुधारों में देरी कर सकती है, लेकिन पटरी से उतार नहीं सकती है. हालांकि अब इसने लंबी रुकावट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.
सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए. मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर वह बिल्कुल हैरान है. साथ ही संगठन ने कहा कि मंत्रालय ने पेशवरों के सुझावों को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है.