राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड की छपाई की कुल लागत की जानकारी हासिल करने की ख़ातिर भारतीय सुरक्षा प्रेस को आरटीआई आवेदन दिया था. हालांकि भारतीय सुरक्षा प्रेस ने तर्क दिया था कि सूचना सार्वजनिक किए जाने से देश के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
मुख्य सूचना आयुक्त यशोवर्धन कुमार सिन्हा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के उपसचिव और सीपीआईओ प्रवीण कुमार यादव को चेतावनी देते हुए उन्हें भविष्य में आरटीआई एक्ट के प्रावधानों का सख़्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा.
मई 2020 में एक व्यक्ति ने आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि क्या लॉकडाउन में सैलून बंद होने से प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर उतना ही प्रभाव पड़ा, जितना किसी आम नागरिक पर. सीआईसी ने इसे 'बेतुका' बताते हुए कहा कि यह अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के समान है.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में बताया कि 2021-22 में छह दिसंबर 2021 की स्थिति के अनुसार 32,147 आरटीआई अनुरोध लंबित थे. इससे पहले सतर्क नागरिक संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्रीय सूचना आयोग में अपील/शिकायत के निपटारे के लिए औसतन एक साल 11 महीने का समय लग रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठता और पदोन्नति के संदर्भ में एक कर्मचारी को आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि पहले कोर्ट ये तय करे कि ऐसे संगठन आरटीआई के दायरे में आते हैं या नहीं.
आईएएस अधिकारी ज्योति कलश ने साल 2018 में आरटीआई आवेदन दायर कर उच्च पेंशन लाभ के लिए भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के रूप में 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों के पैनल के लिए ‘कट-ऑफ स्कोर’ की जानकारी मांगी थी. उन्होंने मनोनयन के लिए तैयार किए गए वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी थी.
2018 में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति भवन में आरटीआई याचिका दायर कर 18 बिंदुओं पर जवाब मांगा था. केंद्रीय सूचना आयोग का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने बिना उचित कारण बताए गोपनीयता का हवाला देकर इसका जवाब देने से इनकार किया है.
नीलेश गजानन मराठे नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई आवेदन दायर कर पूछा था कि क्या उनके दो मोबाइल फोन की कोई ग़ैर क़ानूनी फोन टैपिंग की गई थी. इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि टेलीग्राफ क़ानून के तहत नियमानुसार फोन टैपिंग का प्रावधान है, लेकिन इसकी जानकारी नहीं दे सकते क्योंकि यह क़ानून के उद्देश्य को ही निरर्थक कर देगा.
गृह मंत्रालय में एक आरटीआई आवेदन दायर कर संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़े सभी दस्तावेज़, पत्राचार, फाइल नोटिंग्स, रिकॉर्ड इत्यादि की प्रतियां मांगी गई थीं.
विदेश मंत्रालय के द कॉन्सुलर, पासपोर्ट और वीज़ा डिवीज़न में एक आरटीआई आवेदन दायर कर ये पूछा गया था कि साल 2009 से 2013 के बीच कितने लोगों ने अपने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किए हैं. इसके जवाब में अधिकारी ने कहा था कि मांगी गई जानकारी आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर है.
पूर्व पत्रकार उदय महुरकर की बिना आवेदन किए ही केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्ति हुई थी. उन्होंने मोदी मॉडल पर किताबें भी लिखी हैं. उनकी नियुक्ति को लेकर भी विवाद हुआ था. हाल के दिनों में महुरकर ने अपने कुछ ट्वीट्स में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की नीतियों के प्रति समर्थन जताया है.
सीआईसी का यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की याचिका पर आया है, जिन्होंने ईवीएम और वीवीपैट की फर्मवेयर की जांच से संबंधित सूचना मांगी थी. फर्मवेयर किसी हार्डवेयर उपकरण पर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है. इन ईवीएम और वीवीपैट इकाइयों का इस्तेमाल 2019 के लोकसभा चुनाव में किया गया था.
सीआईसी के आदेश के अनुपालन में एक पत्र में सरकार की ओर से लिखा गया है कि कोविड-19 के मद्देनज़र ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) सचिव की अध्यक्षता में ऐसी कोई समिति गठित नहीं की गई थी. इस पर आरटीआई के तहत जानकारी मांगने वाले कार्यकर्ता ने कहा है कि जब ऐसी कोई समिति अस्तित्व में ही नहीं थी फ़िर सरकार ने सीआईसी के समक्ष उस समिति के रिकॉर्ड को
देश में अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से देशभर के कई कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई थी. इनमें से दिल्ली के दो अस्पतालों में ही 40 से अधिक कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सीआईसी ने आरबीआई के उस फ़ैसले पर रोक लगा दी है जिसमें उन्होंने आरटीआई एक्ट के तहत सारस्वत बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट, एनपीए और डिफ़ॉल्टर्स की सूची सार्वजनिक करने को कहा था.