विदेश मंत्रालय के द कॉन्सुलर, पासपोर्ट और वीज़ा डिवीज़न में एक आरटीआई आवेदन दायर कर ये पूछा गया था कि साल 2009 से 2013 के बीच कितने लोगों ने अपने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किए हैं. इसके जवाब में अधिकारी ने कहा था कि मांगी गई जानकारी आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर है.
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदनों को ‘लापरवाही’ से निपराटा करने के लिए विदेश मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है.
आयोग ने मंत्रालय के केंद्रीय जन सूचना आधिकारी (सीपीआईओ) को निर्देश दिया कि वे मांगी गई जानकारी मुहैया कराएं. सीआईसी ने कहा कि अधिकारी ने ‘बिना दिमाग लगाए’ ही मनमाने ढंग से सूचना देने से इनकार कर दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर की गई अपील पर मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने दोबारा ऐसा न करने की मंत्रालय को चेतावनी भी दी.
24 जून 2019 को द कॉन्सुलर, पासपोर्ट और वीजा (सीपीवी) डिवीजन में एक आरटीआई आवेदन दायर कर ये पूछा गया था कि ‘साल 2009, 2010, 2011, 2012 और 2013 के दौरान कुल कितने लोगों ने अपने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किए थे.’
इसके जवाब में सीपीआईओ सुबोध कुमार ने 28 जुलाई 2019 को कहा था कि ‘मांग गई जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत सूचना के परिभाषा से ही बाहर है.’ इसके बाद प्रथम अपील दायर की गई, लेकिन इसे भी खारिज कर दिया गया, जिसके चलते आवेदनकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग का रुख किया.
मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा आरटीआई मामलों पर इस तरह की कार्रवाई को लेकर सीआईसी ने गहरी नाराजगी जाहिर की और कहा कि बिना दिमाग लगाए ही सीपीआईओ ने इस तरह का जवाब दिया था.
आयोग ने तत्कालीन सीपीआईओ और डिप्टी पासपोर्ट ऑफिसर सुबोध कुमार को ये चेतावनी दी कि भविष्य में फिर कभी आरटीआई मामलों का इस तरह ‘लापरवाह अंदाज’ में निपटारा न किया जाए.
सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय की ओर से पेश हुए वकील पवित्रा रे चौधरी ने स्वीकार किया कि ‘तत्कालीन सीपीआईओ द्वारा गलत जवाब दिया गया था.’ उन्होंने कहा कि यदि आयोग द्वारा आदेश पारित किया जाता है तो रिकॉर्ड में उपलब्ध जानकारी आरटीआई आवेदक को प्रदान की जाएगी.
इसे लेकर मुख्य सूचना आयुक्त सिन्हा ने मौजूदा सीपीआईओ को निर्देश दिया कि वे आरटीआई आवेदन को फिर से देखें और एक महीने के भीतर जवाब मुहैया कराएं.