गांव का विकास हो और वहीं रोज़गार मिले तो आदमी शहर क्यों जाएगा: पंकज त्रिपाठी

वीडियो: नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म गुंजन सक्सेना में गुंजन के पिता का रोल निभाने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी से नम्रता जोशी की बातचीत.

‘दृश्यम’ और ‘मदारी’ जैसी फिल्मों के निर्देशक निशिकांत कामत का निधन

फिल्म निर्देशक और अभिनेता निशिकांत कामत को पिछले दो साल से लिवर सिरोसिस बीमारी थी. कामत ने साल 2005 में ‘डोंबिवली फास्ट’ से फिल्म निर्देशन का सफ़र शुरू किया था. इस फिल्म को मराठी भाषा में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.

भारतीय फिल्मों में कभी अल्पसंख्यकों को सही तरह से दिखाया ही नहीं गया: एमएस सथ्यू

साक्षात्कार: भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे का जो असर समाज पर पड़ा, उसकी पीड़ा सिनेमा के परदे पर भी नज़र आई. एमएस सथ्यू की 'गर्म हवा' विभाजन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है. इस फिल्म समेत सथ्यू से उनके विभिन्न अनुभवों पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया की बातचीत.

मशहूर कलाकार और हास्य अभिनेता जगदीप का निधन

जगदीप ने अपने 50 साल के करिअर में क़रीब 400 फिल्मों में काम किया. 1975 में आई फिल्म शोले के सूरमा भोपाली के उनके किरदार को प्रशंसक आज भी याद करते हैं. उनका डायलॉग ‘हमारा नाम सूरमा भोपाली एसे ही नहीं है’ काफी मशहूर है.

ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट अपने दायरे में लाने की तैयारी में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

डिजिटली प्रसारित होने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आईटी मंत्रालय के तहत आते हैं. अब इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है.

बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज ख़ान का निधन

तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं 71 वर्षीय सरोज ख़ान ने 80 से 90 के दशक में अपना सर्वश्रेष्ठ काम अभिनेत्री श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित के साथ किया. श्रीदेवी के साथ उन्होंने ‘हवा हवाई’ और माधुरी के लिए उन्होंने ‘एक दो तीन’, ‘तम्मा-तम्मा लोगे’, ‘धक-धक करने लगा’, ‘डोला रे डोला’ जैसे कई हिट गीतों की कोरियोग्राफी की थी.

बॉलीवुड में मेरा होना ही नेपोटिज़्म को चुनौती देता है: मनोज बाजपेयी

वीडियो: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से बॉलीवुड में परिवारवाद और नेपोटिज़्म या भाई-भतीजावाद को लेकर बहस तेज़ हो गई है. इस मुद्दे को लेकर अभिनेता मनोज बाजपेयी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

गिरीश कर्नाड: जिसने कल्पना और मिथकीय संसार के मोती के साथ वर्तमान को पिरोया

गिरीश कर्नाड के नाटकों में बेहद सुंदर संतुलन देखने को मिलता है, जहां वह भारत के तथाकथित स्वर्णिम अतीत या पौराणिक मिथक को कच्चे माल की तरह उपयोग तो करते हैं, पर उसके मूल में कोई समसामयिक समस्या या वर्तमान समाज के विरोधाभास ही निहित रहते हैं.

सुशांत की आत्महत्या, चैनलों की संवेदना की मौत

वीडियो: 14 जून को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की अचानक मृत्यु के बाद कुछ समाचार चैनलों ने इस बारे में स्तरहीन ख़बरें चलाईं, जिसकी काफ़ी आलोचना हुई. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नज़रिया.

मुट्ठी भर लोग बॉलीवुड चला रहे हैं: जतिन सरना

वीडियो: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की अचानक मौत के बाद बॉलीवुड में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है और इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद की संस्कृति पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. इस मुद्दे पर द वायर के शेखर तिवारी की अभिनेता जतिन सरना से बातचीत.

भारत-चीन के बीच दोस्ती की मिसाल है डॉ. कोटनिस की अमर कहानी

ख़्वाजा अहमद अब्बास के सिनेमाई जीवन, उनकी बहुमुखी प्रतिभा के बारे में बहुत-सी बातें कही लिखी जा चुकी हैं, लेकिन आज हिंदुस्तान और चीन के बीच जारी तल्ख माहौल में उनके उपन्यास डॉ. कोटनिस की अमर कहानी की प्रासंगिकता अधिक जान पड़ रही है.

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत अपने घर में मृत पाए गए

सुशांत सिंह राजपूत ने फिल्म काय पो चे से बॉलीवुड में कदम रखा था और शुद्ध देसी रोमांस, डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी, एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी, केदारनाथ और छिछोरे जैसी फिल्मों में नज़र आ चुके थे.

प्रख्यात फिल्मकार बासु चटर्जी का निधन

बासु चटर्जी को सारा आकाश, रजनीगंधा, छोटी-सी बात, उस पार, चितचोर, खट्टा मीठा, बातों बातों में, शौकीन, एक रुका हुआ फैसला और चमेली की शादी जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. दूरदर्शन पर प्रसारित चर्चित धारावाहिक ब्योमकेश बक्शी और रजनी का निर्देशन भी उन्होंने ही किया था.

लॉकडाउन: क्या ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म सिनेमाघरों के लिए चुनौती बनकर उभर रहे हैं?

कोरोना वायरस के मद्देनज़र लागू लॉकडाउन के बीच अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ सिनेमाघरों की बजाय सीधे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हो रही है. कुछ और फिल्में हैं, जो अब सीधे इन्हीं प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ होने वाली हैं. ऐसे में बंदी के दौर से गुज़र रहे सिनेमाघरों के सामने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने नया संकट खड़ा कर दिया है.

कोरोना वायरस महामारी के बीच ईरान में दशकों बाद कार में बैठकर फिल्म देखने की आज़ादी मिली

फारसी भाषा में इसे सिनेमा मशीन कहते हैं. कार पार्किंग में ही एक पर्दा लगा होता है और दर्शकों को फिल्म की आवाज़ उनकी कार में मौजूद एफएम रेडियो स्टेशन के ज़रिये सुनाई देती है. 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ड्राइव-इन थियेटर की सुविधा ईरान में बंद कर दी गई थी.

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