निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका सुन रही जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति संबंधी फाइल मांगते हुए कहा कि अदालत देखना चाहती है कि नियुक्तियों में किस तंत्र का पालन किया जा रहा है.
जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका सुन रही है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां कार्यपालिका की मर्ज़ी से की जा रही हैं.
सीजेआई के रूप में जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा. उन्होंने जस्टिस उदय उमेश ललित की जगह ली है, जिनका कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हुआ. जस्टिस चंद्रचूड़ देश में सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं.
प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस यूयू ललित का 74 दिन का संक्षिप्त कार्यकाल रहा. वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. सीजेआई के पद पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्षों का होगा.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे. वह देश के सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं. उनका कार्यकाल दो साल का होगा और वह 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे.
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने न्याय तक पहुंच को ‘सामाजिक उद्धार का उपकरण’ बताते हुए कहा कि आधुनिक भारत का निर्माण समाज में असमानताओं को दूर करने के लक्ष्य के साथ किया गया था. लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान मुहैया कराना है. सामाजिक उद्धार के बिना यह भागीदारी संभव नहीं होगी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण के गठन और पीठ की कमी के मुद्दे को हल करने के लिए अस्थायी तौर पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को एडहॉक के आधार पर नियुक्त करने की योजना का प्रस्ताव रखा था.
पहले अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस के उपलक्ष्य में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि वर्तमान में शीर्ष अदालत में चार महिला न्यायाधीश हैं, जो इसके इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है और निकट भविष्य में भारत पहली महिला प्रधान न्यायाधीश का गवाह बनेगा.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने यह टिप्पणी उस समय की, जब अदालत की पीठ छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त डीजी गुरजिंदर पाल सिंह के खिलाफ राजद्रोह, भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के अपराधों के लिए राज्य सरकार द्वारा दर्ज तीन एफआईआर के संबंध में तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
शीर्ष अदालत के नौ नवनियुक्त न्यायाधीशों के अभिनंदन के लिए आयोजित एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बीवी नागरत्ना ने कहा कि महिला न्यायाधीशों की अधिक संख्या महिलाओं की न्याय मांगने और अपने अधिकारों को लागू करने की इच्छा को बढ़ा सकती है. कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने महिला वकीलों से आह्वान किया कि वे न्यायपालिका में 50 प्रतिशत आरक्षण के लिए ज़ोरदार तरीके से मांग उठाएं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि साल 1975 में वह जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा थे, जिन्होंने ऐसा आदेश पारित किया, जिसमें इंदिरा गांधी को अयोग्य क़रार दिया गया. इस निर्णय ने देश को हिलाकर रख दिया था.
वीडियो: मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमनe ने सुप्रीम कोर्ट की तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई, जिससे सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 33 हो गई. इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों ने एक साथ ली. नियुक्तियां विवाद के बिना नहीं रही हैं क्योंकि त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अजिल कुरैशी शीर्ष अदालत में पदोन्नति के लिए चुने गए सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम में से
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो गई है.
स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि संसद में बहस की कमी के कारण क़ानून बनाने की प्रक्रिया में बहुत सारी अस्पष्टताएं होती हैं. हमें नहीं पता कि विधायिका का इरादा क्या है, क़ानून किस उद्देश्य से बनाए गए. इससे लोगों को असुविधा होती है. ऐसा तब होता है, जब क़ानूनी समुदाय के सदस्य संसद और राज्य विधानमंडलों में नहीं होते.
सीजेआई एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे संविधान में इस बात की गारंटी दी गई है कि लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा होगी, फिर भी थानों में क़ानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता जिसके अभाव में गिरफ़्तार या हिरासत में लिए गए लोगों को वहां सबसे अधिक ख़तरा रहता है.