राष्ट्रीय स्तर पर केरल को बदनाम करने के लिए बनाई जा रही हैं प्रोपेगेंडा फिल्में: पिनराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों को कमतर करके राज्य को कमज़ोर करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समन्वित प्रयास किया जा रहा है. कुछ लोगों द्वारा केरल समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

क्या हम साहित्य से बहुत अधिक उम्मीद लगाए बैठे हैं?

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: साहित्य अकेला और निहत्था है: बुद्धि-ज्ञान-विज्ञान के अन्य क्षेत्रों से समर्थन और सहचारिता नहीं मिल पा रहे हैं. पर कायर और चतुर चुप्पियों के माहौल में उसे निडर होकर आवाज़ उठाते रहना चाहिए. वह बहुत कुछ बचा नहीं पाएगा पर उससे ही अंतःकरण, निर्भयता और प्रतिरोध की शक्ति बचेगी.

हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बावजूद महाराष्ट्र में ‘भड़काऊ भाषणों’ का सिलसिला जारी

वीडियो: बीते कुछ महीनों में महाराष्ट्र के मुंबई, नागपुर, कोल्हापुर, पुणे समेत 30 शहरों में 'हिंदू जनाक्रोश रैलियां' आयोजित की गई हैं, जहां हिंदुत्ववादी नेता खुलेआम नफ़रत भरे सांप्रदायिक भाषण देते नज़र आते हैं. हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद इन पर रोक क्यों नहीं लग रही है?

समाज का काम कभी-कभी साहित्य के बिना चल सकता है, पर साहित्य का समाज के बिना नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: साहित्य उन शक्तियों में से नहीं रह गया जो मानवीय स्थिति को बदल सकती हैं- फिर भी हमें ऐसा लिखना चाहिए मानो कि हमारे लिखने से स्थिति बदल सकती है.

अब देश की जनता को ही सिकुड़ते लोकतंत्र के विरुद्ध खड़ा होना होगा

मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.

यूपी: इस चुनाव से क्या चाहते हैं इलाहाबाद के अल्पसंख्यक

इलाहाबाद के दक्षिणी और पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक आबादी अधिक है जो अमूमन निर्णायक भूमिका में रहती है. यहां युवाओं से लेकर महिलाओं तक का यही कहना है कि इस बार लड़ाई इज़्ज़त से ज़िंदा रहने और भय से मुक्ति की है.

क्यों भाजपा के लिए मुस्लिम ही एकमात्र मसला हैं

गुजरात भाजपा द्वारा साझा किए गए कार्टून से डरने की वजह है कि हम पहले भी एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाली इस तरह की सनक भरी नफ़रत देख चुके हैं और यह जानते हैं कि इसका अंजाम क्या होता है.