राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की प्रगति धर्म की प्रगति के बिना संभव नहीं है. सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है. इस भारत के रास्ते में कोई भी खड़ा होगा तो उसे हटा दिया जाएगा या समाप्त कर दिया जाएगा.
उत्तरी मुंबई के मालवणी इलाके में रामनवमी जुलूस के दौरान समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में भाजपा नेताओं तेजिंदर तिवाना, विनोद शेलार और बजरंग दल के पदाधिकारियों समेत 20 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा मानखुर्द इलाके में इसी दिन हुई हिंसा में शामिल होने के आरोप में सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया और चार अन्य को हिरासत में लिया गया है.
इंदौर के संभागायुक्त पवन शर्मा के मुताबिक, हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी. अब तक 84 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और इन आरोपियों के 50 अवैध निर्माणों की पहचान की गई है, जिन्हें गिराना शुरू हो चुका है. हिंसा को लेकर अफ़वाह फैलाने के लिए राज्य सरकार के चार कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की गई है.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एनसीआरबी डेटा के हवाले से बताया कि 2020 में सांप्रदायिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए. एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्र ने बताया कि 2018 से 2020 के बीच देश में एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 1,61,117 मामले दर्ज किए गए.
पिछले साल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद त्रिपुरा में आगज़नी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई थीं, इसके ख़िलाफ़ चार छात्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पर लोगों को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए नोटिस भेजने को लेकर त्रिपुरा पुलिस की खिंचाई की थी.
बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की 20 फरवरी की रात को डोड्डापेट थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और पत्थरबाज़ी एवं आगजनी की घटना हुई थी. पुलिस ने मामले के दस संदिग्धों पर यूएपीए लगाते हुए कहा है कि हत्या के पीछे किसी बड़ी साज़िश का संदेह है.
याचिकाकर्ता वकील एहतेशाम हाशमी के ख़िलाफ़ त्रिपुरा पुलिस ने पिछले साल राज्य में हुई हिंसा पर उनकी रिपोर्टिंग के लिए कठोर गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है. हाशमी ने एसआईटी द्वारा जांच की मांग की है, जिसमें एक मस्जिद को नष्ट करने सहित मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाओं को दरकिनार करने में पुलिस और त्रिपुरा सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है.
कर्नाटक के शिवमोगा में बजरंग दल के 28 वर्षीय एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी और पत्थरबाजी एवं आगजनी की घटना हुई, जिसमें एक फोटो पत्रकार और महिला पुलिसकर्मी समेत तीन लोग घायल हो गए. राज्य के भाजपा नेताओं ने हत्या की निंदा की है और इसमें कुछ इस्लामी संगठनों की भूमिका का आरोप लगाते हुए मामले की एनआईए से कराए जाने की मांग की है.
मामला बीते साल त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद की गई सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों से जुड़ा है. कोर्ट के आदेश के बावजूद इन लोगों को नोटिस भेजने को लेकर अदालत ने कहा कि अगर पुलिस ने लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो वह राज्य के गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तलब करेंगे.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि देश में वर्ष 2018 में सांप्रदायिक दंगों के 512 मामले, 2019 में 438 मामले और 2020 में 857 मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में कुल 8,565 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. सांप्रदायिक दंगों के सर्वाधिक मामले बिहार में दर्ज किए गए. इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा का स्थान रहा.
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी एक याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्वतंत्र जांच की मांग करने वालों की नीयत ठीक नहीं है और वे जनहित की आड़ में कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सी-ग्रेड न्यूज़ चैनल ऐसे तर्क देते तो समझा जा सकता था, पर किसी राज्य सरकार का ऐसा करना शोभा नहीं देता.
त्रिपुरा में बीते साल हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम के सदस्यों में एक वकील एहतेशाम हाशमी की याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि रिपोर्ट एकतरफा है और इसमें घटनाओं को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज कर्नाटक, ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस, ऑल इडिया पीपुल्स फोरम और गौरीलंकेश न्यूज़ डॉट कॉम ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने सांप्रदायिक तनाव के 71 मामलों की पहचान की है. ये सभी मामले जनवरी 2021 से अगस्त तक के हैं.
भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन का यह पत्र त्रिपुरा के उत्तरी ज़िले के पानीसागर उप-मंडल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे लोगों पर यूएपीए तहत केस दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की व्यापक आलोचना के बीच आया है.
यह मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी निवासी मोहम्मद फ़ैयाज़ मंसूरी से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने अगस्त 2020 को फेसबुक पर बाबरी मस्जिद को लेकर एक पोस्ट लिखा था, जिसके बाद उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया था.