नज़दीक आते लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस ने अपने संगठन में फेरबदल करते हुए कई राज्यों के प्रभारी बदले हैं. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की जगह अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है. इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में घोषणा-पत्र समिति गठित की गई थी.
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 47 सदस्यीय संचालन समिति का गठन किया जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी शामिल हैं.
कांग्रेस छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि उन्हें नई पार्टी के गठन की घोषणा करने की कोई जल्दी नहीं थी, फिर भी वे जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे क्योंकि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं. वहीं, आज़ाद के समर्थन में कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के पांच नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पृष्ठ के त्याग-पत्र में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद से सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की एक नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी.
कांग्रेस की ओर से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी के 'विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह-2024’ का हिस्सा बनकर दल में शामिल होने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पार्टी की ढांचागत समस्याओं को दूर करने के लिए उनसे ज़्यादा ज़रूरत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की है.
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य गुलाम नबी आजाद ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के बाद कहा कि फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन कोई मुद्दा नहीं है, उन्होंने सिर्फ संगठन को मज़बूत बनाने तथा आगे के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर अपने सुझाव दिए हैं.
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाली सभी ताक़तों के साथ संवाद की शुरुआत करे ताकि 2024 के लिए विश्वसनीय विकल्प पेश करने का एक मंच बन सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हालिया चुनावी हार की पटकथा लिखने के ज़िम्मेदार हैं, उन्हें ही चुनाव बाद के हालात के आकलन के लिए नियुक्त किया गया है.
कांग्रेस कार्यसमिति की ओर से कहा गया है कि मीडिया को झूठे मामलों में फंसाकर और छापे मारकर अपने वश में करने के लिए धमकाया गया. ग़ैर-सरकारी संगठनों को धमकाया गया और उनकी कल्याणकारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई. लोगों की आवाज़ दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया है.
कांग्रेस अब भी राष्ट्रीय राजनीति में मायने रखती है, लेकिन उसे वक़्त के हिसाब से ख़ुद को नया रूप देते हुए धर्मनिरपेक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
गांधी परिवार मौजूदा स्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ना नहीं चाहता क्योंकि राजनीतिक रूप से यह परिवार बहुत कमज़ोर स्थिति में हैं और अगर इस वक़्त पार्टी हाथ से निकल गई, तो इसके परिणाम दूरगामी होंगे.
कांग्रेस कार्य समिति ने महामारी के हालात सुधरने तक जून में प्रस्तावित पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव को अस्थायी तौर पर स्थगित कर दिया है. वहीं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि हालिया चुनावी विफलताओं की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
बीते दिनों कांग्रेस ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद कहा था कि इस जून में पार्टी का नया अध्यक्ष निर्वाचित होगा. अब दिल्ली कांग्रेस की बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के अलावा दो अन्य प्रस्तावों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफ़े की मांग की गई.
पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में वॉट्सऐप चैट, कृषि क़ानूनों और कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ टीकाकरण के मुद्दों को लेकर तीन अलग-अलग प्रस्ताव पारित किए गए.
कांग्रेस का पूर्ण अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव से पहले अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की. बीते अगस्त माह में लिखे गए इस पत्र में पूर्णकालिक एवं ज़मीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की गई थी.
कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में से कई लोगों का क़द छोटा कर दिया गया. पत्र लिखने वाले नेताओं मनीष तिवारी और शशि थरूर को भी फ़िलहाल कोई नई ज़िम्मेदारी नहीं दी गई है. प्रियंका गांधी को अब पूरे उत्तर प्रदेश के प्रभारी का ज़िम्मा आधिकारिक रूप से सौंप दिया गया है.