वीडियो: कोरोना वायरस महामारी से जुड़े ब्लैक और ह्वाइट फंगस के मामले देश में सामने आने के बाद यलो फंगस के भी कुछ मामले दर्ज किए गए हैं. सफाई बनाए रखने में विफल रहना इन फंगस के प्रसार का सबसे महत्वपूर्ण कारण हो सकता है.
राज्यों को स्वतंत्र तौर पर विदेशी कंपनियों से कोविड के टीकों की ख़रीद की अनुमति मिलने के बाद मॉडर्ना और फाइजर ने पंजाब और दिल्ली सरकारों के प्रस्ताव यह कहकर नामंज़ूर कर दिए कि वे सिर्फ केंद्र सरकार से क़रार करेंगी. इसके बाद केंद्र की ओर से कहा गया है कि वे वैक्सीन विनिर्माताओं से बात करेगा.
भारत बायोटेक की ओर से कहा गया है कि वह डब्ल्यूएचओ की आपात इस्तेमाल सूची में कोवैक्सीन के सूचीबद्ध होने को लेकर आश्वस्त है. हाल में कुछ ख़बरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं, उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस टीके को मान्यता नहीं मिली है.
उत्तर प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संघों द्वारा पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान हुए कोविड संक्रमण से जान गंवाने के बाद वाले कर्मचारियों की सूची जारी करने के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी ऐसी ही लिस्ट जारी करते हुए पीड़ित परिवारों को अनुग्रह राशि और आश्रितों की नौकरी देने की मांग की है.
देश में कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाओं की कमी के चलते कुछ लोगों ने अपने संबंधियों के लिए विदेशों से ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर मंगा दिया था, जिस पर केंद्र सरकार ने एक मई से 12 प्रतिशत एकीकृत जीएसटी लगा दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र के इस क़दम को असंवैधानिक क़रार देते हुए इस संबंध में जारी की गई अधिसूचना को ख़ारिज कर दिया है.
मध्य प्रदेश भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने अपने शिकायती ज्ञापन में कहा है कि कमलनाथ ने 22 मई को कहा था कि दुनिया में जो कोरोना फैला हुआ है, अब उसे ‘इंडियन वैरिएंट’ कोरोना के नाम से जाना जा रहा है. वह जनता को भ्रमित और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने झूठा आरोप लगाया कि सरकार लाखों लोगों की मौत का आंकड़ा छिपा रही है. यह बयान जनता में भय उत्पन्न करने वाला है.
वीडियो: कोरोना वायरस महामारी और ब्लैक फंगस से जूझ रहे देश में ह्वाइट फंगस ने दस्तक दे दी है. जानकारों का कहना है कि यह ब्लैक फंगस से भी ख़तरनाक है. ह्वाइट फंगस के पहले चार मामले बिहार के राजधानी पटना में सामने आए हैं.
देश में कोविड-19 टीकों की भारी कमी के बीच पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने आरोप लगाया है कि सरकार ने टीकों के उपलब्ध स्टॉक और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश को ध्यान में रखे बिना कई आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाना शुरू कर दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार की उस अधिसूचना को भी ख़ारिज कर दिया, जिसमें में कहा गया था कि व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयातित ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर 12 प्रतिशत एकीकृत जीएसटी लगेगा. अदालत ने कहा कि सरकार को कम से कम युद्ध, अकाल, बाढ़, महामारी के समय में करों के बोझ को कम करना चाहिए या कम से कम कम रखना चाहिए. इस तरह का दृष्टिकोण एक व्यक्ति को गरिमा का जीवन जीने की अनुमति देता है, जो संविधान के अनुच्छेद
देशभर में कोरोना संक्रमितों या इससे उबर चुके लोगों में ब्लैक फंगस संक्रमण देखा जा रहा है, पर मध्य प्रदेश में स्थिति बेहद ख़राब है. लगातार कई शहरों में बढ़ते मामलों और मौत की ख़बरों के बीच दवा और इंजेक्शन का अभाव तो बना ही है, वहीं सरकार को अब तक राज्य में आए ऐसे कुल मामलों की जानकारी तक नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को सलाह के तौर पर लेना चाहिए और उसे लागू करने के लिए हरसंभव क़दम उठाने चाहिए. उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे शहर के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज की बुरी स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शहरों का यह हाल है तो छोटे शहरों और गांवों के संबंध में राज्य की संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे ही कही जा सकती है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी उन वीडियो के आधार पर की, जिसमें ये देखा जा सकता है कि चार धामों में से दो- बद्रीनाथ और केदानाथ में बड़ी संख्या में साधू/पुजारी कोरोना नियमों को उल्लंघन करते हुए घूम रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने राज्य के दूरदराज़ के इलाकों में रह रहे लोगों की चिकित्सकीय ज़रूरतों पर ध्यान नहीं देने के लिए केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा कि वह पर्वतीय प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है.
मामला सागर ज़िले के रहली क़स्बे का है, जहां कोरोना कर्फ्यू के दौरान सब्ज़ी लेने जा रही एक महिला के मास्क न पहनने पर कथित रूप से कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें सड़क पर पीटा और बाल पकड़कर घसीटा. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एक महिला आरक्षक सहित दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है.
कोविड-19 से जूझ रहे मरीज़ों में पाए जा रहे ब्लैक फंगस संक्रमण अथवा म्यूकरमाइकोसिस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने को कहा है.
पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान हुए कोरोना संक्रमण से बड़ी संख्या में शिक्षकों, शिक्षा मित्रों आदि के प्रभावित होने पर सरकारी बेरुख़ी से उनके संगठन तो राज्य सरकार से ख़फ़ा हैं, वहीं महामारी के दौरान बढ़ी ज़िम्मेदारियों के बीच सुविधाओं के अभाव को लेकर मनरेगा कर्मी और संविदा एएनएम भी आक्रोशित हैं.