सीरम इंस्टिट्यूट के कार्यकारी निदेशक ने कहा- सरकार ने बिना विचार किए बढ़ाया टीकाकरण का दायरा

देश में कोविड-19 टीकों की भारी कमी के बीच पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने आरोप लगाया है कि सरकार ने टीकों के उपलब्ध स्टॉक और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश को ध्यान में रखे बिना कई आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाना शुरू कर दिया है.

सरकारी अधिकारी कोविड-19 के हालात से बेख़बर, भगवान इस देश को बचाए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी के उत्पादन संबंधी याचिका को सुनते हुए कहा कि जब केंद्र के पास लाखों टीकों की खुराक प्राप्त करने का अवसर है तब भी कोई दिमाग नहीं लगा रहा है, जबकि सरकार को इसे एक अवसर के तौर पर अपनाना चाहिए.

वैक्सीन के अभाव में दिल्ली सरकार को बंद करना पड़ेगा 18 साल से ऊपर का टीकाकरण: सिसोदिया

दिल्ली के अलावा तेलंगाना सरकार ने राज्य में कोविड-19 टीके की कमी के कारण 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को दूसरी खुराक देना स्थगित कर दिया है और अभी तक 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू नहीं कर पाया है.

कोविड-19: डॉ. रेड्डीज ने स्पुतनिक वी टीका भारत में पेश किया, दाम 995 रुपये प्रति खुराक

कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बाद देश में शुक्रवार को एक तीसरे टीके को भारतीय बाज़ारों के लिए जारी कर दिया गया और पिछले दो टीकों की केंद्र, राज्यों और बाज़ार के लिए अलग-अलग कीमत के बजाय इसकी एक ही कीमत 995.40 रुपये प्रति खुराक रखी गई है.

कोविशील्ड टीके की दो डोज़ के बीच का समय 6-8 सप्ताह बढ़ाकर 12-16 हफ़्ता किया गया: सरकार

पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समयांतर बढ़ाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह दो डोज के बीच समयांतर को 28 दिनों से बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह तक कर दें. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच के समय में बदलाव नहीं किया गया है.

संपादकीय: कोविड संकट में सरकार के नाकाम प्रबंधन की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग की ज़रूरत है

कोविड-19 की दूसरी लहर ने जिस राष्ट्रीय आपदा को जन्म दिया है, वैसी आपदा भारत ने आजादी के बाद से अब तक नहीं देखी थी. इस बात के तमात सबूत सामने हैं कि इसे टाला जा सकता था और इसके प्राणघातक प्रभाव को कम करने के लिए उचित क़दम उठाए जा सकते थे.

कोरोना वायरस के स्वरूपों का पता लगाया जाए, नए म्यूटेशन पर टीकों के असर का हो आकलन: राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि पता चला है कि भारत में हमारे आकार, आनुवांशिक विविधता और जटिलता से वायरस को अनुकूल माहौल मिलता है जिससे वह स्वरूप बदलकर अधिक ख़तरनाक रूप में सामने आता है. मुझे डर है कि जिस ‘डबल’ और ‘ट्रिपल म्यूटेंट’ को हम देख रहे हैं, वह शुरुआत भर हो सकती है.

कोविड संकट ‘सरकार बनाम हम’ की लड़ाई नहीं, बल्कि ‘हम बनाम कोरोना’ है: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर अपनी ज़िम्मेदारियों और कर्तव्यों से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में कोविड संक्रमण के हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए, जिससे महामारी से बेहतर ढंग से निपटने के लिए क़दम उठाना और जवाबदेही तय करना सुनिश्चित हो सके.

टीका बनाना विशिष्ट प्रक्रिया, रातों-रात उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकती: अदार पूनावाला

टीकों की बढ़ती मांग के बीच कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने कहा कि भारत की आबादी बहुत बड़ी है और सभी वयस्कों के लिए पर्याप्त खुराक का उत्पादन करना कोई आसान काम नहीं है. उन्होंने कहा कि कंपनी उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और अगले कुछ महीनों में 11 करोड़ टीकों की आपूर्ति की जाएगी.

कोविड टीका आपूर्ति का भारी दबाव, ताक़तवर लोग धमका रहे थे: अदार पूनावाला

देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान टीके की बढ़ती मांग के बीच लंदन पहुंचे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि वे दबाव के चलते देश से बाहर गए हैं. उन्होंने कहा कि सब उनके कंधों पर आ पड़ा है, जो उनके वश की बात नहीं है. उन्होंने भारत के बाहर वैक्सीन निर्माण की व्यावसायिक योजनाओं के संकेत दिए हैं.

कोविड टीकाकरण: आम आदमी की ज़िंदगी के प्रति भारत सरकार इतनी बेपरवाह क्यों है

टीकाकरण अगर सफल होना है तो उसे मुफ़्त होना ही होगा, यह हर टीकाकरण अभियान का अनुभव है, तो भारत में ही क्यों लोगों को टीके के लिए पैसा देना पड़ेगा? महामारी की रोकथाम के लिए टीका जीवन रक्षक है, फिर भारत सरकार के लिए एक करदाता के जीवन का महत्त्व इतना कम क्यों है कि वह इसके लिए ख़र्च नहीं करना चाहती?

कोर्ट ने केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाए, कहा- निर्माताओं पर न छोड़ें टीके की क़ीमत-वितरण

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की कोविड-19 टीकाकरण नीति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि हमें राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल को क्यों नहीं अपनाना चाहिए? केंद्र सौ प्रतिशत का अधिग्रहण क्यों नहीं कर सकता, निर्माताओं की पहचान करें और उनके साथ बातचीत करें और फिर राज्यों को वितरित करें.

भाजपा शासित मध्य प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों ने एक मई से टीकाकरण में जताई असमर्थता

केंद्र की मोदी सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण के तीसरे चरण में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाने की शुरुआत करने की तारीख़ एक मई तय कर दी है. हालांकि राज्यों का कहना है कि उनके पास टीका का पर्याप्त स्टॉक नहीं है, इसलिए एक मई से टीकाकरण की शुरुआत कर पाना उनके लिए मुश्किल है.

सीरम इंस्टिट्यूट ने राज्यों के लिए टीके की कीमत 300 रुपये की, पूनावाला को मिली वाई श्रेणी सुरक्षा

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की कीमत राज्यों के लिए 400 रुपये कर दी थी, जिसकी काफ़ी आलोचना हो रही थी. भारत बायोटेक ने भी कोवैक्सीन की कीमत बढ़ा दी है. इस बीच गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला की सीआरपीएफ के सुरक्षाकर्मी सुरक्षा करेंगे.

कंपनियां कोविड वैक्सीन की अलग-अलग कीमत तय कर रही हैं, केंद्र क्या कर रहा है: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ के लिए 150 रुपये पर समझौता किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों को राज्यों और खुले बाज़ार के लिए कीमत तय करने की छूट दी, वैसे ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने क्रमश: राज्यों के लिए 400 और 600 रुपये, जबकि निजी अस्पतालों के लिए 600 और 1200 रुपये प्रति खुराक कीमत तय कर दी. विभिन्न राज्यों ने इन कंपनियों पर संकट काल में मुनाफ़ाखोरी का आरोप लगाया