बीते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा व इसकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों के शव मिलने के बाद केंद्र ने दोनों राज्यों की सरकार से इस पर रोक लगाने को कहा था. जल शक्ति मंत्रालय के साथ बैठक में यूपी सरकार ने कहा है कि प्रदेश के कुछ हिस्सों में शवों को प्रवाहित करने की परंपरा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने कहीं पढ़ा था कि महाराष्ट्र में 2,900 से अधिक बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है. हमारे पास ऐसे बच्चों की सटीक संख्या नहीं है. न्यायालय ने कहा कि ऐसे बच्चों के साथ सड़कों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की देखभाल करने का निर्देश राज्य सरकारों और संबंधित प्राधिकारियों को दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कोविड-19 से जुड़ी बीमारी ब्लैक फंगस की दवा की किल्लत और मरीज़ों को हो रहीं दिक्कतों से जुड़ीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. साथ ही केंद्र को संबंधित दवाओं के आयात की मौजूदा स्थिति और खेप के कब तक आने की संभावना है, इस पर विवरण पेश करने का निर्देश दिया है.
वीडियो: रामदेव ने एलोपैथिक दवाओं पर अपने बयान को भले ही वापस ले लिया, लेकिन विवाद अभी ख़त्म होता नहीं दिख रहा है. बीते दिनों इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने एक टीवी बहस के दौरान रामदेव को फ़टकार लगाई थी. डॉ. लेले से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
उत्तर प्रदेश में बीते साल मई से एस्मा लागू है और इसी हफ़्ते तीसरी बार इसकी अवधि छह महीनों के लिए बढ़ाई गई है. महामारी के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर योगी सरकार से नाराज़ चल रहे कई कर्मचारी संगठनों ने इसे आपातकाल और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला क़रार दिया है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 27,729,247 हो गई है और मौत का आंकड़ा 322,512 हो गया है. विश्व में संक्रमण के कुल 16.94 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं, जबकि 35.23 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
मुर्दे इतने अधिक हो गए कि लाशों को ठिकाने लगाने का सिस्टम बैठ गया. अब वे हिसाब मांगेगी. मृत्यु का, आंसू का, असहाय और अकेले पड़ने का, लुटने का, अस्पताल से लेकर अंतिम यात्राओं तक अपना आत्म सम्मान खोने का. जितना ढंकेंगे, चुप कराएंगे, झूठ बोलेंगे, सच उतना ही साफ होकर सामने आता जाएगा.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि आप प्रधानमंत्री है, आप ज़िम्मेदारी किसी और पर नहीं डाल सकते हैं. लब्बोलुआब यह है कि आप ज़िम्मेदार हैं. अब तक भारत की केवल 3 प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण क्यों किया गया है? प्रधानमंत्री ने टीकों का निर्यात किया, क्योंकि वह यह समझ ही नहीं पाए कि हो क्या रहा है. इस बीच आम आदमी पार्टी ने कहा कि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार टीकों
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली के आईपी स्टेट थाने में दर्ज करवाई गई शिकायत में कहा कि रामदेव ने कोविड-19 की स्थिति का लाभ उठाने के लिए एलोपैथिक दवाओं और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अन्य संबद्ध उपचार तकनीकों के बारे में भ्रामक और ग़लत बयानबाज़ी की है.
केंद्रीय सूचना आयोग का ये फैसला मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 28 अप्रैल को जारी उस निर्देश के बाद आया है, जिसमें अदालत ने कहा था कि कोरोना मामलों की सुनवाई के लिए आयोग को एक विशेष पीठ का गठन करना चाहिए. आरटीआई कार्यकर्ता सौरव दास ने इस मामले में याचिका दायर की थी. दास को इसलिए हाईकोर्ट का रुख़ करना पड़ा था, क्योंकि सीआईसी इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर नहीं ले रही थी.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 27,555,457 हो गई है और महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या 318,895 हो चुकी है. विश्व में संक्रमण के 16.90 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं और मौत का आंकड़ा 35 लाख के पार कर चुका है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते साल मई में छह महीने की अवधि के लिए एस्मा लागू किया था. बाद में नवंबर 2020 में इसके प्रावधानों को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि कोविड-19 के एलोपैथिक इलाज के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार वाला अभियान चलाने के लिए रामदेव पर तत्काल राजद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए. संगठन ने रामदेव को मानहानि का नोटिस भी भेजा है. इस बीच रामदेव का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें वो कथित तौर पर कह रहे हैं कि उनके बाप भी उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सकते हैं.
भाजपा विधायक सतीश रेड्डी का गिरफ़्तार सहयोगी बाबू बीते चार मई को दक्षिणी बेंगलुरु से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या और पार्टी के अन्य नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के साथ बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका के उस कोविड-19 वार रूम में पहुंचा था, जहां सूर्या ने 16 मुस्लिम कर्मचारियों पर कथित कोविड-19 बेड घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.
अदालत ने कहा कि गुजरात सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचे का विकास करना चाहिए कि महामारी की तीसरी या चौथी लहर आ सकती है, क्योंकि लोग मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता जैसे नियमों का पालन नहीं करने जा रहे. अदालत ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अस्पतालों को संबंधित इंजेक्शन के वितरण को लेकर राज्य सरकार की अधिसूचना अस्पष्ट और दोषपूर्ण बताया है.