अगस्त 2021 में मध्य प्रदेश के इंदौर में हिंदू महिलाओं को कथित तौर पर परेशान करने के आरोप में भीड़ ने एक चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली को बुरी तरह पीटा था. अब स्थानीय अदालत ने उन्हें छेड़छाड़ के उस मामले में बरी कर दिया है, जिसके लिए उन्होंने 107 दिन जेल में बिताए थे.
बिहार के छपरा ज़िले में हुई घटना. मृतक की पहचान सीवान ज़िले के हसनपुर गांव के रहने वाले 56 वर्षीय नसीम क़ुरैशी के रूप में हुई है. मृतक के परिजनों ने पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है.
वीडियो: मध्य प्रदेश के इंदौर में 13 वर्षीय स्कूली छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेज़ों की जालसाज़ी के मामले में साढ़े तीन महीने तक जेल में रहने के बाद उत्तर प्रदेश के रहने वाले चूड़ी विक्रेता तसलीम अली को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश के इंदौर में 13 वर्षीय स्कूली छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेज़ों की जालसाज़ी के मामले में साढ़े तीन महीने तक जेल में रहने के बाद ज़मानत पर रिहा हुए चूड़ी विक्रेता तसलीम अली ने दावा किया कि वह बेगुनाह हैं और उन्हें छेड़छाड़ के झूठे मामले में फंसाया गया है.
मध्य प्रदेश के इंदौर में इस साल रक्षाबंधन के मौके पर कुछ लोगों ने चूड़ी बेच रहे तस्लीम अली का नाम पूछकर उनकी बर्बर पिटाई कर दी थी. इसे लेकर जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, तो दूसरे पक्ष की ओर से अली पर एक नाबालिग से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कराया गया था.
मामला बेंगलुरु का है, जहां तौसीफ़ पाशा नाम के एक युवक को पिछले सप्ताह झगड़ा करने के आरोप में थाने ले जाया गया था. उनका आरोप है कि वहां पुलिस ने उन्हें बर्बर तरीके से पीटा, उनकी दाढ़ी काट दी और उनकी रिहाई के लिए पैसे मांगे.
बेंगलुरु के वरथुर पुलिस स्टेशन ने 22 वर्षीय युवक सलमान को बैटरी चोरी के आरोप में हिरासत में लिया था. पीड़ित ने आरोप लगाया है कि इस दौरान उन्हें बर्बर तरीके से पीटा गया, जिसके कारण उन्हें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा.
मामला कासगंज ज़िले का है. पुलिस का दावा है कि हिरासत में लिए गए अल्ताफ़ नाम के युवक ने शौचालय के नल की टोंटी से फांसी लगाकर आत्महत्या की है. घटना के बाद पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है. विपक्षी दलों ने राज्य की योगी सरकार और यूपी पुलिस पर निशाना साधते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है.
यह दरगाह मध्य प्रदेश नीमच ज़िले में रतनगढ़ पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत वन क्षेत्र में एक सुनसान इलाके में स्थित है. आरोप है कि बीते 2-3 अक्टूबर की दरमियानी रात में 20 से अधिक नक़ाबपोश लोगों ने कथित रूप से इस दरगाह को निशाना बनाया था. हमलावरों ने मौके पर एक पर्चा भी छोड़ा है, जिसमें कहा गया है कि दरगाह में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराकर मुसलमान बनाया जाता है, जो सनातन धर्म के ख़िलाफ़ है.
वीडियो: राजस्थान के अजमेर शहर में कानपुर के रहने वाले अशमन अली को उनके नाम और धर्म के कारण ही पीटा गया था. हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता ललित शर्मा ने उनके परिवार के साथ भी मारपीट की थी. इसके बावजूद पुलिस ने अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. द वायर से बातचीत में ललित शर्मा का दावा है कि वह किसी भी चीज़ से नहीं डरते. चूंकि उन्हें बजरंग दल के नेताओं और स्थानीय पुलिसकर्मियों का भी समर्थन प्राप्त है.
मध्य प्रदेश के देवास ज़िले का मामला. राज्य में यह इस तरह का दूसरा मामला है. बीते 21 अगस्त को इंदौर शहर में भी एक मुस्लिम चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली के साथ बर्बर मारपीट की घटना हुई थी. हालांकि अली को बीते 25 अगस्त को पॉक्सो एक्ट के तहत एक 13 वर्षीय लड़की को चूड़ियां बेचते समय अनुचित तरीके से छूने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
पुलिस ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले के 25 वर्षीय चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली ने रविवार देर रात शिकायत दर्ज कराई कि इंदौर के गोविंद नगर में पांच-छह लोगों ने उनका नाम पूछा और नाम बताने पर लोगों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया. राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सावन के पवित्र माह में इस शख़्स द्वारा ख़ुद को हिंदू बताकर महिलाओं को चूड़ियां बेचने से विवाद की शुरुआत हुई.
मुसलमान विरोधी घृणा से मुक्ति फ़ौरी राष्ट्रीय काम है. इसमें पहले ही 70 साल की देर हो चुकी है. अब और देर नहीं की जा सकती. अगस्त के महीने में यह नहीं हो सकता कि चीखें भारत के आसमान को ढंक लें: मुझे बचाओ और आप स्वाधीनता के बैंड बाजे के शोर से उन चीखों को दबा दें. स्वाधीनता का ऐसा पतन हमें क़बूल नहीं होना चाहिए.
देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने अपनी नई किताब ‘द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ में कहा है कि मुस्लिमों ने जनसंख्या के मामले में हिंदुओं से आगे निकलने के लिए कोई षड्यंत्र नहीं रचा है और उनकी संख्या देश में हिंदुओं की संख्या को कभी चुनौती नहीं दे सकती.
दिल्ली पुलिस ने दंगा मामले में गवाही देने वाले 15 सार्वजनिक गवाहों ने जान को ख़तरा बताया था, जिसके चलते छद्मनामों का इस्तेमाल कर उनकी पहचान गुप्त रखी गई थी. पिछले दिनों अदालत में दाख़िल पुलिस की 17,000 पन्नों की चार्जशीट में इन सभी के नाम-पते सहित पूरी पहचान ज़ाहिर कर दी गई थी.