उत्तराखंड के पर्यावरणीय ख़तरे समूचे हिमालय के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं

उत्तराखंड में हाल ही में घटी लगातार आपदाएं हिमालयी जनजीवन के अस्तित्व पर आगामी सदियों के ख़तरों की आहट दे रही हैं. सरकार व नौकरशाही के कामचलाऊ रुख़ से जलवायु परिवर्तन समेत मानव निर्मित गंभीर विषम स्थितियों का सामना करना दुष्कर हो चला है.

क्या वन संरक्षण नियम, 2022 देश के आदिवासियों और वनाधिकार क़ानूनों के लिए ख़तरा है

आदिवासियों ने कई दशकों तक अपने वन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिसके फलस्वरूप वन अधिकार क़ानून, 2006 आया था. अब सालों के उस संघर्ष और वनाधिकारों को केंद्र सरकार के नए वन संरक्षण नियम, 2022 एक झटके में ख़त्म कर देंगे.

वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव, केंद्र वनवासियों की सहमति बिना पेड़ काटने की दे सकता है मंज़ूरी

वन संरक्षण अधिनियम-2022 के तहत लागू नए नियम बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि को डाइवर्ट करने की प्रक्रिया को सरल और संक्षिप्त बनाएंगे. इन नियमों के तहत जंगल काटने से पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति प्राप्त करने की ज़िम्मेदारी अब राज्य सरकार की होगी, जो कि पहले केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य थी.

जम्मू कश्मीर: वन क्षेत्र बढ़ाने के वादे के उलट प्रशासन ने सशस्त्र बलों को अतिरिक्त वन भूमि दी

साल 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा ख़त्म किए जाने के बाद से 250 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि ग़ैर-वन कार्यों के लिए ट्रांसफर किया गया है. ये भूमि पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील है और यहां कई लुप्तप्राय जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से कुछ इलाकों में रहने वाले लोगों का आरोप है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इन प्रस्तावों को मंज़ूरी देने से पहले यहां की पंचायत समितियों या स्थानीय लोगों से परामर्श नहीं किया

केरल ने मुल्लापेरियार बांध के पास तमिलनाडु को दी गई पेड़ काटने की अनुमति पर रोक लगाई

पिछले सप्ताह केरल के वन विभाग द्वारा तमिलनाडु जल संसाधन विभाग को दी गई अनुमति को निरस्त करना उस आलोचना के मद्देनज़र आया है, जिसमें कहा जा रहा है कि इस क़दम से मौजूदा 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के बदले एक नए बांध की केरल की मांग कमज़ोर हो जाएगी. केरल की मांग है कि एक नया बांध बनाया जाना चाहिए और तमिलनाडु कह रहा है कि एक नए बांध की आवश्यकता नहीं है.

दिल्ली: राजमार्ग के निर्माण के लिए काटे जा सकते हैं 5,100 से अधिक पेड़

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने छह लेन वाले दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग के 14.75 किलोमीटर के हिस्से के विकास के लिए दिल्ली वन विभाग से यह अनुमति मांगी है. वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि प्राधिकरण ने इन काटे गए पेड़ों के बदले में पेड़ लगाने के लिए कहीं और ज़मीन उपलब्ध नहीं कराई है.

कोर्ट ने मेट्रो कार शेड को कांजूर मार्ग में बनाने के महाराष्ट्र सरकार के आदेश पर रोक लगाई

महाराष्ट्र सरकार ने बीते एक अक्टूबर को मेट्रो परियोजना के लिए कांजूर मार्ग साल्ट पैन में 102 एकड़ की भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने दावा किया है कि यह ज़मीन उसके अधीन आती है. पहले यह कार शेड आरे कॉलोनी में बनाए जाने का प्रस्ताव था, जिसका लोगों ने विरोध किया था.

आरे से मेट्रो कार शेड हटाया जाएगा, प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज केस वापस होंगे: उद्धव ठाकरे

सितंबर 2019 में बीएमसी ट्री अथॉरिटी ने मुंबई मेट्रो रेल के लिए प्रस्तावित कार शेड के निर्माण के लिए आरे जंगल में 2,700 पेड़ों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए मंज़ूरी दे दी थी. इसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोगों ने विरोध किया था. तब कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आरआर दर्ज की गई थी.

केंद्र की वन सलाहकार समिति ने जंगलों के ‘लेन-देन’ वाली योजना को मंज़ूरी दी

इस नई योजना के ज़रिये व्यक्तियों या निजी कंपनियों को ये अनुमति मिल जाएगी कि वे भूमि की पहचान कर वनीकरण करें और वन भूमि की क्षतिपूर्ति के लिए उद्योगों को इसे बेच सकें.

उद्धव ठाकरे ने मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड परियोजना पर रोक का ऐलान किया

मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई थी, जिसका पर्यावरणविद् विरोध कर रहे हैं.

आरे मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मेट्रो प्रोजेक्ट पर कोई रोक नहीं, पेड़ नहीं कटने चाहिए

मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई है, जिसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.

आरे कॉलोनी: 29 प्रदर्शनकारियों को रिहा किया गया, धारा 144 में ढील

बीते रविवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सात हजार रुपये के निजी मुचलके और प्रदर्शन न करने की शर्त पर प्रदर्शनकारियों को जमानत दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई

कानून के छात्रों द्वारा इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र के बाद मामले की सुनवाई के लिए दो जजों की पीठ गठित की गई थी.

रात भर पेड़ों की हत्या होती रही, रात भर जागने वाली मुंबई सोती रही

यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है. मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो कैसे पेड़ काटे गए? नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला था तो पेड़ कैसे काटे गए? क्या अब से फांसी की सज़ा हाईकोर्ट के बाद ही दे दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में अपील का कोई मतलब नहीं रहेगा? वहां चल रही सुनवाई का इंतज़ार नहीं होगा?

मुंबई: शुक्रवार रात से आरे कॉलोनी के 2,134 पेड़ काटे गए

मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई है, जिसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.