दिल्ली में हुए धर्म संसद में कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना 19 दिसंबर 2021 को हुई थी और एफ़आईआर पांच महीने बाद दर्ज की गई. इतना समय क्यों लगा? ऐसे मामलों में आरोपियों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए और केवल ‘नाम’ के लिए एफ़आईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए.
शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें दिल्ली और हरिद्वार में हुए ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण की एसआईटी जांच के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. दिल्ली पुलिस ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि दिसंबर 2021 को हिंदू युवा वाहिनी द्वारा राजधानी में आयोजित कार्यक्रम में किसी भी समुदाय के ख़िलाफ़ कोई नफ़रत व्यक्त नहीं की गई थी.
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को एक हलफ़नामे के ज़रिये सूचित किया था कि पिछले साल 19 दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित ‘धर्म संसद’ में किसी समुदाय के ख़िलाफ़ कोई भी नफ़रत भरा भाषण नहीं दिया गया था. अदालत ने इससे अप्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए पुलिस को ‘बेहतर हलफ़नामा’ दाख़िल करने का निर्देश दिया है.
दिल्ली पुलिस 19 दिसंबर 2021 को हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में दिए नफ़रती भाषण संबंधी मामले की जांच कर रही है. उसने कहा कि भाषण में ऐसे किसी भी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था, जिसका अर्थ या व्याख्या नस्ली सफाये के लिए मुस्लिमों के नरसंहार या पूरे समुदाय की हत्या के आह्वान के तौर पर मानी जा सकती है. पुलिस ने मामले को ख़ारिज करने की भी अपील की है.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में पिछले महीने गिरफ़्तार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी के बिना उनकी रिहाई का कोई मतलब नहीं है और उनकी रिहाई के लिए वह भूख हड़ताल फिर शुरू करने जा रहे हैं. जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी इस मामले के सह-अभियुक्त हैं.
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में हरिद्वार की एक अदालत ने दिसंबर 2021 में शहर में आयोजित हुए विवादास्पद धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने और उनके नरसंहार का आह्वान करने के मामले में यति नरसिंहानंद को ज़मानत दे दी थी.
बीते साल दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ खुलकर नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था. कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे. उन्होंने भड़काऊ बयानबाज़ी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.
धर्म संसद की प्रवक्ता पूजा शकुन पांडेय ने बताया कि प्रस्तावित कार्यक्रम को कोविड महामारी और राज्य में जारी विधानसभा चुनावों के कारण स्थगित किया गया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्था की प्रमुख मांग देश के हर ज़िले में धर्म गुरुओं की नियुक्ति का प्रावधान करना है, जो सरकार में सलाहकारों के रूप में काम करेंगे.
22-23 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सनातन धर्म संसद’ के आयोजन का ऐलान किया गया है. बीते दिसंबर महीने में हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ऐसे ही धर्म संसद कार्यक्रमों में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान किया गया था.
उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' में नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में पुलिस ने कुछ माह पूर्व हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ़्तार किया है. वहीं, यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा को आईपीसी की धारा 14 के तहत पेश होने के नोटिस भेजे गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों हरिद्वार और दिल्ली में हुए ‘धर्म संसद’ में कथित रूप से मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने और उनके नरसंहार का आह्वान करने वालों पर कार्रवाई करने का निर्देश देने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में इसी तरह के कार्यक्रमों को लेकर अपनी चिंताओं के संबंध में प्रतिवेदन स्थानीय प्राधिकरण को देने की भी अनुमति दी.