फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की आरोपी छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलीता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल कर कहा है कि उन्हें मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वीडियो और एक ग्रुप से संबंधित वॉट्सऐप चैट की ज़रूरत है. उन्होंने अदालत से इन्हें उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है.
पुलिस ने दावा किया है कि सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों में शामिल उमर ख़ालिद एवं अन्य ने दिल्ली में दंगों का षड्यंत्र रचा, ताकि दुनिया में मोदी सरकार की छवि को खराब किया जा सके. यूएपीए के तहत अक्टूबर 2020 में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को गिरफ़्तार किया था.
यूएपीए के तहत अक्टूबर 2020 में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को गिरफ़्तार किया था. यूएपीए के साथ ही इस मामले में उनके ख़िलाफ़ दंगा करने और आपराधिक साजिश रचने के भी आरोप लगाए गए हैं. जून 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस संबंध में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और इक़बाल आसिफ़ तन्हा को ज़मानत दे दी थी.
उमर ख़ालिद को दिल्ली दंगों संबंधित मामले में पेशी पर हथकड़ी लगाए जाने के ख़िलाफ़ उनके वकीलों की याचिका पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने एक आदेश में कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर किसी ज़िम्मेदार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की निगरानी में जांच के बाद रिपोर्ट दायर कर बताएं कि क्या उमर को हथकड़ी में पेश किया गया, यदि हां तो किस आधार पर.
फेसबुक ह्विसिलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन हानिकारक ऑनलाइन सामग्री पर नकेल कसने के लिए ब्रिटेन सरकार के मसौदा क़ानून पर काम कर रही संसदीय समिति के सामने पेश हुईं और कहा कि फेसबुक सुरक्षा पर मुनाफ़े को प्राथमिकता दे रहा है.
फेसबुक के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली दंगे के दौरान फेसबुक और वॉट्सऐप पर हिंसा के लिए उकसाने और अफ़वाहों भरे मैसेजेस की बाढ़ आई गई थी और फेसबुक को इसकी जानकारी थी. फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया कि ये रिपोर्ट अंतिम नहीं हैं. इसमें नीतिगत सिफारिशें नहीं हैं.
दिल्ली दंगों से जुड़े कई आरोपों में गिरफ़्तार जेएनयू के पूर्व छात्र और कार्यकर्ता उमर ख़ालिद के वकील ने कहा कि जांच अधिकारी ने चार्जशीट में काल्पनिक कहानियां लिखीं. पुलिस इस मामले में सभी आरोपियों को ‘एक ही लाठी से हांकना’ चाहती है. उन्होंने पूछा कि क्या चक्काजाम का आयोजन आतंकवाद रोधी क़ानून- यूएपीए लगाने का आधार देता है.
दिल्ली की एक अदालत को बताया गया कि दंगों संबंधित मामले में नासिर अहमद नाम के व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज केस की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है और यहां तक कि प्राथमिकी में नामजद लोगों से पूछताछ भी नहीं हुई है. इस पर कोर्ट ने को फटकारा. बीते कुछ समय में अदालत दिल्ली दंगों के विभिन्न मामलों से निपटने के तरीके को लेकर पुलिस पर कई बार सवाल उठा चुकी है.
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से कहा गया कि फ़रवरी 2020 में देश की राष्ट्रीय राजधानी को हिला देने वाले दंगे स्पष्ट रूप से पल भर में नहीं हुए और वीडियो फुटेज में मौजूद प्रदर्शनकारियों के आचरण से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है. यह सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए सोचा-समझा प्रयास था.
दिल्ली की एक अदालत ने आगज़नी के आरोप रद्द करते हुए कहा कि शिकायतकर्ताओं ने अपने शुरुआती बयानों में दंगाई भीड़ द्वारा आग या विस्फोटक पदार्थ के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा. पुलिस एक खामी को छिपाने का और दो अलग-अलग तारीख़ों की घटनाओं को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली दंगे के मामलों में बार-बार बुलाए जाने के बावजूद अभियोजक के अदालत में नहीं पहुंचने, जांच अधिकारी के बिना पुलिस फाइल पढ़े देरी से अदालत पहुंचने और सवालों का जवाब न दे पाने को लेकर मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उक्त टिप्पणी की.
आरोपपत्र के अनुसार, आरोपी गौरव ने 24 फरवरी 2020 को भजनपुरा इलाके में पेट्रोल बम से एक धार्मिक स्थल में कथित तौर पर आग लगाई थी, जबकि अन्य आरोपी प्रशांत ने उसी क्षेत्र में दुकानों, मकानों और वाहनों में तोड़फोड़ और लूटपाट की थी.
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन पांच आरोपियों ने करावल नगर इलाके में मोहम्मद अनवर नाम के व्यक्ति के घर के पास एक मैदान में उन्हें गोली मारकर आग लगा दी थी. अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
अदालत दिल्ली दंगे के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. इस मामले में पहले ही पांच लोगों को ज़मानत मिल चुकी है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह हमारे संविधान में निहित सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है कि एक आरोपी को मुक़दमे के लंबित रहने के दौरान सलाखों के पीछे रहने दिया जाए.
बीते साल 13 सितंबर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में यूएपीए के तहत छात्र नेता उमर ख़ालिद को गिरफ़्तार किया था. यूएपीए के साथ ही इस मामले में उनके ख़िलाफ़ दंगा करने और आपराधिक साज़िश रचने के भी आरोप लगाए गए हैं.