वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 15 (4) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष कानून बना पाए. संविधान में पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए क्या कानून है, इसकी जानकारी दे रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि लोकतंत्र और संविधान पर भाजपा के कथित हमलों के ख़िलाफ़ ‘एकजुट होकर और प्रभावशाली ढंग से’ संघर्ष करने का समय आ गया है और विपक्षी नेताओं को देश के लोगों के लिए एक ‘विश्वसनीय विकल्प’ पेश करने की कोशिश करनी चाहिए
ग़लत तरीके से बिना गुनाह के एक लंबा समय जेल में गुज़ारने वाले लोगों द्वारा झेली गई पीड़ा की जवाबदेही किस पर है? क्या यह वक़्त नहीं है कि देश में पुलिस प्रणाली और अपराध न्याय प्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए जाएं?
साक्षात्कार: महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों, सीमित किए जा रहे अधिकारों के बीच उनसे संबंधित मुद्दों पर बात करने की ज़रूरत और बढ़ गई है. देश में महिलाओं की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर बीते पांच दशकों से महिला आंदोलनों का हिस्सा रहीं वरिष्ठ अर्थशास्त्री निर्मला बनर्जी से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.
एक ऑनलाइन चर्चा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उस दौरान जो भी हुआ वह ग़लत था, लेकिन वह वर्तमान परिप्रेक्ष्य से मौलिक रूप से बिल्कुल अलग था, क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी देश के संस्थागत ढांचे पर क़ब्ज़ा करने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने दावा किया कि पार्टी में चुनाव कराने की मांग को लेकर उनकी आलोचना की गई थी.
वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 12 भाग तीन के लिए 'राज्य' को परिभाषित करता है. संसद, विधानसभा, नगर निकायों के साथ कौन-सी अन्य संस्थाएं है, जिनके ख़िलाफ़ नागरिक मौलिक अधिकारों के हनन के लिए अदालत जा सकते है. इस अनुच्छेद और संबंधित फैसलों के बारे में बता रही हैं अवनि बंसल.
वीडियो: अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर बॉलीवुड का एक जाना माना चेहरा हैं. कांग्रेस के बाद शिवसेना में शामिल होने से लेकर अपनी ज़िंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से उन्होंने साझा किए. बॉलीवुड का कुछ चुने हुए मुद्दों पर ही बोलने के क्या मायने हैं और देश के लोकतंत्र को वो किस तरह देखती हैं? आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की उनसे बातचीत.
वीडियो: मौजूदा दौर में राजनीति और मीडिया के बड़े मंच ऐसे दयनीय हाल में हैं कि ख़ुद ही चुटकुला बन गए हैं. दूसरी तरफ गंभीर पत्रकारों या कॉमेडियंस की टिप्पणियों से कभी सरकार, तो कभी न्यायपालिका को आहत हो रहे हैं. इन्हीं मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन और टीवी एंकर मीनाक्षी श्योराण से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यदि कोई पार्टी सत्ता में आ जाती है तो वो आलोचनाओं से परे नहीं रह सकती है. असहमति का अधिकार ऐसी आलोचनाओं की इजाज़त देता है.
वीडियो: हमारा संविधान कार्यक्रम की पहली कड़ी में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल बता रही हैं कि कैसे संविधान लोकतंत्र को स्थापित करता है और लोकतंत्र को रंग-रूप देता है संविधानवाद. संविधान और संविधानवाद में क्या अंतर होता है?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे ने कहा कि आलोचना के लिए न्यायपालिका को तैयार होना चाहिए, क्योंकि अवमानना की सुनवाइयों में कीमती न्यायिक समय बर्बाद होता है और ज़रूरी मुद्दे नहीं सुने जाते.
जैसे आर्थिक नीतियों को देशवासियों के बजाय कॉरपोरेट के लिए उदार बनाने की प्रक्रिया को उदारवाद का नाम दिया गया और देश के संसाधनों की लूट की खुली छूट देने को विकास के लिए सुधार कहा जाता है, क्या वैसे ही अब सारी अलोकतांत्रिकताओं को लोकतंत्र कहा जाने लगेगा?
एक ऑनलाइन कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में कड़े सुधार नहीं ला सकते क्योंकि यहां ‘बहुत ज़्यादा लोकतंत्र’ है. उनके इस बयान से मुकरने के बाद कुछ मीडिया संस्थानों ने इस बारे में प्रकाशित की गई ख़बर हटा ली, हालांकि सामने आए कुछ वीडियो में वे ऐसा कहते नज़र आ रहे हैं.
आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को ज़मानत मिलने के संबंध में कथित आपत्तिजनक ट्वीट के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के ख़िलाफ़ हाल ही में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंज़ूरी दी है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर हम युवाओं को उनके विचार अभिव्यक्त नहीं करने देंगे तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि वे जो अभिव्यक्त कर रहे हैं, वह सही है या ग़लत.