सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस केएम जोसेफ एक कार्यक्रम में संविधान से 'धर्मनिरपेक्षता' का संदर्भ हटाने की मांग का ज़िक्र करते हुए कहा कि विविधता में एकता का अर्थ यह नहीं है कि आप विविधता को मिटा सकते हैं. इसका मतलब यह भी नहीं हो सकता कि आप विविधता को मिटाकर एकता हासिल कर लेंगे.
मत-पत्रों की पूर्ण पारदर्शिता के विपरीत, ईवीएम-वीवीपैट प्रणाली पूरी तरह से अपारदर्शी है. सब कुछ एक मशीन के भीतर एक अपारदर्शी तरीके से घटित होता है. वहां क्या हो रहा है, उसकी कोई जानकारी मतदाता को नहीं होती. न ही उसके पास इस बात को जांचने या संतुष्ट होने का ही कोई मौका होता है कि उसका मत सही उम्मीदवार को ही गया है.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में बीते 20 फरवरी को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा एक टीवी रिपोर्टर से यह पूछने पर कि क्या उनके चैनल का मालिक दलित है, विवाद खड़ा हो गया था. एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि एक जीवंत लोकतंत्र को हमेशा पत्रकारों को ख़तरे में डाले बिना निडर होकर रिपोर्ट करने की स्वतंत्रता देनी चाहिए.
बीते 10-11 फरवरी को हुए एक लोकतंत्र सम्मेलन में नागरिक समाज के सौ से अधिक सदस्य, पूर्व सिविल सेवकों, मीडिया पेशेवर और शिक्षाविद इकट्ठे हुए थे. इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी, माकपा नेता सीताराम येचुरी और सांसद कपिल सिब्बल भी शामिल थे.
अजीत पवार और एनसीपी के आठ विधायक पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुए थे. कुछ ही समय बाद पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में बोलते हुए सांसद और सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई के भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कई बार व्यवधान डाला, जिस पर गोगोई ने कहा कि विपक्षी सांसदों को उनके भाषण के दौरान रोका जाता है, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्य सदन में कोई भी मामला उठा सकते हैं.
वीडियो: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बोलते हुए सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई को भाषण के दौरान कई बार टोका था. इस पर गोगोई ने कहा कि विपक्षी सांसदों को उनके भाषण के दौरान रोका जाता है पर सत्ता पक्ष के सदस्य सदन में कोई भी मामला उठा सकते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ओडिशा में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लोगों से लोकतंत्र बचाने की अपील की और कहा कि उनके लोकसभा चुनाव जीतने पर रूस में व्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही भारत में होगा. आगे कोई चुनाव नहीं होगा. वे (मोदी) देश पर शासन करने के लिए अपनी ताक़त का इस्तेमाल करेंगे.
भारतीय गणतंत्र इस बात को भी भला कैसे भूलेगा कि इसके लिए प्रधानमंत्री ने ‘धर्माचार्य’ का चोला धारण कर लिया था और उनके ‘सिपहसालार’ उन्हें विष्णु का अवतार और प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख को 1947 के 15 अगस्त जितनी महत्वपूर्ण बता रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आगमन की तैयारियां भी रामलला के स्वागत की तैयारियों से कमतर नहीं हैं. स्ट्रीट लाइट्स पर मोदी के साथ भगवान राम के कट-आउट्स लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई पीएम के कट-आउट्स से भी कम है. यह भ्रम होना स्वाभाविक है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम आएंगे या प्रधानमंत्री मोदी को आना है?
जहां तक धार्मिक आस्थाओं की बात है, उन्हें यों भी समझ सकते हैं कि प्राय: सभी धार्मिक समूहों में ऐसी पवित्र पुस्तकें और बानियां हैं, जिन्हें परमेश्वरकृत ‘परम प्रामाणिक सत्य’ माना जाता है. इनमें आस्था इस सीमा तक जाती है कि उनमें जो कुछ भी कहा या लिखा गया है, वही संपूर्ण सत्य और ज्ञान है और जो उनमें नहीं है, वह न सत्य है, न ज्ञान.
केंद्र सरकार ने पिछले साल ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति का गठन किया था. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकार, संसद और चुनाव आयोग को इसके बजाय लोगों के जनादेश का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
सवाल है कि राम मंदिर को लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने के बाद पूरे चार साल तक मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही. जवाब यही है कि 2024 के आम चुनावों के कुछ दिन पहले ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहाने हिंदुत्व का डंका बजाकर वोटों की लहलहाती फसल काटना आसान बन जाए.
मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में भाजपा सरकार के कार्यकाल में भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण प्रथाओं को उजागर करते हुए कई घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है.
23 सितंबर 2023 को हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष की शिकायत पर पुलिस ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की प्रो. समीना दलवई के ख़िलाफ़ क्लास में एक डेटिंग ऐप पर छात्राओं की प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में केस दर्ज किया था. शिक्षाविदों ने कहा है कि उन्हें उनकी मुस्लिम पहचान और उनकी राजनीतिक मान्यताओं के लिए निशाना बनाया गया है.