जन गण मन की बात की 267वीं कड़ी में विनोद दुआ स्विस बैंक में भारतीयों के बढ़ते धन, निकी हेली की भारत यात्रा और मगहर में मोदी के भाषण पर चर्चा कर रहे हैं.
नोटबंदी के एक साल बाद स्विस बैंक में जमा भारतीयों का पैसा 50 प्रतिशत बढ़ गया है. ज़रूरी नहीं कि स्विस बैंक में रखा हर पैसा काला ही हो लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि यह किसका और कैसा पैसा है?
स्विस बैंक खातों में जमा भारतीय धन में 13 साल में सबसे अधिक वृद्धि. मोदी सरकार के चौथे साल में स्विस बैंक में भारतीयों का धन 7,000 करोड़ रुपये पहुंचा.
बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज़्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.
नोटबंदी के फ़ैसले के बाद से अर्थव्यवस्था के और अधिक वित्तीयकरण के प्रयासों का परिणाम होगा कि आगे किसी भी वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को ज़्यादा चोट पहुंच सकती है.
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के चार टायरों में से तीन- निर्यात, निजी निवेश और निजी उपभोग- पंक्चर हो चुके हैं. यह स्थिति सरकार की ग़लत नीतियों के चलते पैदा हुई. भाजपा ने चिदंबरम के आरोपों को बेबुनियाद बताया.
रिज़र्व बैंक के अनुसार कटे-फटे और गंदे नोटों को बदलने संबंधी मौजूदा आरबीआई अधिनियम में 200 और 2,000 रुपये के ख़राब नोट बदलने से जुड़ा कोई प्रावधान नहीं है.
माना जाता है कि जो सरकार जीएसटी लागू करती है वो चुनाव हार जाती है. मलेशिया में ऐसा हुआ लेकिन वहां के अनुभव को भारत से जोड़ने से पहले भारत के अनुभवों और यहां की राजनीति को समझना होगा.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में हर महीने 13 लाख लोग कामकाज करने की उम्र में प्रवेश करते हैं. आंकड़ों के अनुसार, भारत की रोज़गार दर लगातार गिर रही है.
मलेशिया में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'मैं महिलाओं को पुरुषों के बराबर नहीं मानता, बल्कि पुरुषों से बेहतर मानता हूं. मेरा मानना है कि पश्चिमी समाज समेत सभी समाजों में महिलाओं के प्रति एक पक्षपाती सोच है.'
ग़ैर सरकारी संगठन ऑक्सफेम इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 101 अरबपतियों की संपत्ति जीडीपी के 15 प्रतिशत के बराबर है.
इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ अकाउंटेंट्स के सर्वे में 1200 लोगों को शामिल किया गया. भारतीय कारोबारियों ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन ने भारतीय व्यावसायिक समुदाय के लिए परेशानियां खड़ी की हैं.
जन गण मन की बात की 188वीं कड़ी में विनोद दुआ आगामी बजट और उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर चर्चा कर रहे हैं.
हम भी भारत की 18वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, भारत में आर्थिक असमानता पर दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर कृष्ण कुमार एस. और आॅक्सफेम इंडिया की निदेशक रानू भोगल से चर्चा कर रही हैं.
निजी निवेश अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और सुधार का भी कोई संकेत नहीं दिख रहा है.