रोज़गार दर या श्रम भागीदारी अनुपात इस बात का मापक है कि अर्थव्यवस्था में कितने नौकरी लायक सक्षम लोग वास्तव में नौकरी की तलाश कर रहे हैं. सीएमआईई के मुताबिक, भारत का श्रम भागीदारी अनुपात मार्च 2021 में 41.38 फीसदी था (जो अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के बिल्कुल क़रीब है) लेकिन पिछले महीने यह गिरकर 40.15 फीसदी रह गया.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू होने के समय दूसरे राज्यों के लोग वहां ज़मीन या अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. संसद में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि इस अनुच्छेद के निरस्त होने के बाद से सूबे के बाहर के व्यक्तियों ने कुल सात भूखंड खरीदे, जो जम्मू क्षेत्र में आते हैं.
अमेरिका में लगातार बनी रहने वाली उच्च मुद्रास्फीति भारत जैसे विकासशील देशों के आर्थिक प्रबंधन में बड़े व्यवधान का कारण बन सकती है.
लॉकडाउन से पहले इन नौ क्षेत्रों में कुल 307.8 लाख लोग कार्यरत थे, जो कि लॉकडाउन के बाद घटकर 284.8 लाख लोग रह गए. सरकार द्वारा संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक, आईटी/बीपीओ, वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य क्षेत्रों के मुकाबले विनिर्माण, निर्माण, शिक्षा और व्यापार क्षेत्रों को अधिक नुकसान हुआ है.
बीते कुछ दिनों से भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नज़र आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में विफल रही है. महंगाई पर स्वामी के एक ट्वीट पर एक उपयोगकर्ता ने कहा था कि यह पूरी तरह से ‘मोदीनॉमिक्स’ है. इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि या ये ‘मोदीकॉमिक्स’ है, क्योंकि वह अर्थशास्त्र नहीं जानते हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंडियन वेटरीनरी एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि दूध के अतिरिक्त गाय-भैंसों का गोबर, गोमूत्र आदि से भी कई वस्तुएं तैयार होती हैं. हम चाहें तो अपनी अर्थव्यवस्था को इन गतिविधियों से सुदृढ़ कर सकते हैं और देश को भी आर्थिक रूप से संपन्न बना सकते हैं.
स्मृति शेष: मध्यकालीन भारत के इतिहासकार और जेएनयू के सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल स्टडीज़ के प्रोफेसर रहे रजत दत्ता का बीते दिनों निधन हो गया. अठारहवीं सदी से जुड़े इतिहास लेखन में सार्थक हस्तक्षेप करने वाले दत्ता ने इस सदी से जुड़ी अनेक पूर्वधारणाओं को अपने ऐतिहासिक लेखन से चुनौती दी थी.
वीडियो: देश में लगातार बढ़ रही महंगाई और बेरोज़गारी का हाल ऐसा है कि प्रधानमंत्री द्वारा रोज़गार के रूप में गिनाया गया पकौड़ा बेचने का काम भी करना अब मुश्किल होता जा रहा है. वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था, बेरोज़गारी और बढ़ती महंगाई पर बाथ यूनिवर्सिटी के विज़िटिंग प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा से द वायर के मुकुल सिंह चौहान से बातचीत.
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए मौजूदा संकट के लिए यूपीए को दोष देना आसान है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह ख़ुद कोयले के भंडार जमा करने और बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने में बुरी तरह विफल रही है.
17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन के अवसर पर ट्विटर पर दिनभर कई ऐसे हैशटैग ट्रेंड करते रहे, जिनसे ट्विटर यूज़र्स ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी और देश में गहराते आर्थिक संकट की तरफ ध्यान आकर्षित किया और इस बारे में प्रधानमंत्री से जवाब मांगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की पूरी प्रचार मशीनरी अप्रैल-जून 2021 के दौरान भारत की जीडीपी में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि को बड़े आर्थिक सुधार के रूप में दिखा रही है. हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अप्रैल-जून 2021 की यह वृद्धि साल 2019 और 2018 के आंकड़ों से कम है. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में काफ़ी ज़्यादा गिरावट आई थी, इसलिए पिछले साल से तुलना कर काफ़ी ज़्यादा वृद्धि का भ्रम फैलाया जा रहा है.
सतत आर्थिक विकास के किसी भी दौर के साथ-साथ ग़रीबी में कमी आती है और श्रमबल कृषि से उद्योगों और सेवा क्षेत्रों की तरफ गतिशील होता है. हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि देश में एक साल में क़रीब 1.3 करोड़ श्रमिक ऐसे क्षेत्रों से निकलकर खेती से जुड़े हैं. वैश्विक महामारी एक कारण हो सकता है, लेकिन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों ने इसकी ज़मीन पहले ही तैयार कर दी थी.
सांख्यिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन ने 2017-18 में वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण करना शुरू किया, जो अब तक केवल हर पांच वर्षों पर होता था. हाल में एनएसओ ने अपना तीसरा वार्षिक सर्वेक्षण 2019-20 जारी किया, जिसके आंकड़ों से पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी की स्थिति अब भी दुरुस्त नहीं है.
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि देश की आज़ादी के बाद अर्थव्यवस्था को पंगु बनाकर महंगाई बढ़ाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह नेहरू परिवार है. महंगाई एक-दो दिन में नहीं बढ़ती. अर्थव्यवस्था की नींव एक-दो दिन में नहीं रखी जाती है. 15 अगस्त 1947 को लाल क़िले की प्राचीर से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिए गए भाषण की ग़लतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि कोविड-19 संकट से बुरी तरह प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक ऑफ इंडिया में सबसे ज़्यादा 12,184.66 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 177 मामले सूचित किए. उसके बाद भारतीय स्टेट बैंक में 10,879.28 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 5,725 मामले सामने आए हैं.