ऑनलाइन कोचिंग कराने वाली शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी वेदांतू 15 दिन पहले 200 कर्मचारियों की छंटनी की थी. कंपनी ने इस क़दम के पीछे वैश्विक परिस्थितियों और ‘मंदी’ की आशंका का हवाला दिया है. वहीं पुराने वाहनों की ख़रीद-बिक्री के ई-कॉमर्स मंच ‘कार्स24’ ने कहा है कि प्रदर्शन के आधार पर भारत से 600 कर्मचारियों का हटाया गया है.
तालिबान द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश अंतिम है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. आचरण एवं नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिजाब या हेडस्कार्फ़ मुस्लिम महिलाओं के लिए आवश्यक है और ढंके हुए चेहरों वाली महिला टेलीविज़न प्रस्तुतकर्ता अफ़ग़ानिस्तान में सभी महिलाओं के लिए अच्छे रोल मॉडल के रूप में काम करेंगी.
तालिबान की ओर से कहा गया है कि अगर एक महिला घर के बाहर अपना चेहरा नहीं ढकती है तो उसके पिता या निकटतम पुरुष रिश्तेदार को क़ैद कर लिया जाएगा या सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा. तालिबान ने बीते मार्च महीने में देश के अधिकतर हिस्सों में कक्षा छह के बाद लड़कियों को स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बाद उत्तराखंड ऐसा पांचवां भाजपा शासित राज्य है, जिसने हिंदू धर्मग्रंथों को शामिल करने के लिए अपना स्कूली पाठ्यक्रम संशोधित करने की बात कही है.
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आने के पंद्रह साल बाद के 'नए भारत' में अल्पसंख्यक समुदायों विशेषकर मुस्लिमों की समस्याओं या हक़ों की बात करने को बहुसंख्यकों के हितों पर 'आघात' माना जाता है. ख़ुद मुस्लिमों के लिए भी अब सबसे बड़ा मुद्दा जान-माल की हिफाज़त बन गया है.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार को कुलपतियों का चयन करने का अधिकार नहीं होने के कारण उच्च शिक्षा पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है. पूर्व में राज्यपाल कुलपतियों का चयन करने से पहले राज्य सरकार से परामर्श करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ऐसा नहीं किया जा रहा.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने एक एडवाइज़री जारी कर भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान में उच्च शिक्षा हासिल नहीं करने को कहा गया. चीन के संस्थानों में भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से बचने की चेतावनी देने के एक माह के भीतर यूजीसी और एआईसीटीई की ओर से यह परामर्श जारी किया गया है.
बंद का आह्वान संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने किया था. इसे व्यापारी, वकील और अन्य संगठनों का भी समर्थन मिला. बता दें कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 30 मार्च को लीक हो गया था. इस आरोप में पुलिस ने बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया है. स्थानीय पत्रकार संघों का आरोप है कि पत्रकारों को पेपर लीक होने की ख़बर करने के चलते फंसाया गया.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों में महत्वपूर्ण पदों के ख़ाली होने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र से संपर्क करना चाहिए क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.
केंद्र सरकार ने पहली बार छात्रों को एक ही विश्वविद्यालय या अलग-अलग संस्थानों से समान स्तर के दो पूर्णकालिक डिग्री कार्यक्रमों में एक साथ प्रत्यक्ष तरीके से पढ़ाई करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है. हालांकि कई शिक्षाविदों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता कमतर हो सकती है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा विश्वविद्यालय परिसर के भीतर चट्टानों से निर्मित एक ढांचे में भगवा झंडे के साथ राम और हनुमान की तस्वीरें लगाई गई थीं, साथ ही कथित तौर पर अनुष्ठान भी किए गए थे. अन्य छात्र समूह इसे विश्वविद्यालय के भगवाकरण के प्रयास के तौर पर देख रहे हैं.
केंद्र के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने के निर्णय के ख़िलाफ़ पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि नीट की तरह यह भी विविध स्कूली शिक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर देगा और छात्रों को प्रवेश परीक्षा के अंकों में सुधार के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर बना देगा.
शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी अनएकेडमी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कई तरह के आकलन के निष्कर्ष के आधार पर कर्मचारियों, अनुबंधित कर्मियों और शिक्षकों का फिर से मूल्यांकन किया गया. इसके आधार पर कुछ कर्मचारियों की छंटनी की गई है.
स्मृति शेष: देश के सबसे प्रभावशाली मार्क्सवादी चिंतकों में से एक एजाज़ अहमद का बीते महीने निधन हो गया. अहमद को साहित्य और समाज, इतिहास, अर्थतंत्र और राजनीति के जटिल अंतर्संबंधों की अंतर्दृष्टिपूर्ण व्याख्या के लिए जाना जाता था.
अगर शिक्षा को हम ‘मन की किवाड़ों के खुलने’, सृजनात्मकता को नई उड़ान देने की प्रक्रिया के तौर पर देखें तो धर्म उसकी बिल्कुल विपरीत प्रक्रिया की मिसाल के तौर पर सामने आता है, जहां स्वतंत्र विचार को नकारने पर ही ज़ोर रहता है. और जब आप किसी पाठ्यक्रम में धार्मिक ग्रंथ का पढ़ना अनिवार्य कर देते हैं, तब एक तरह से शिक्षा के बुनियादी उद्देश्य को ही नकारते हैं.