चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार रही मेघा इंजीनियरिंग के ख़िलाफ़ सीबीआई केस दर्ज

हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग चुनावी बॉन्ड योजना में दूसरी सबसे बड़ी खरीदार कंपनी थी. बॉन्ड खरीदने के तुरंत बाद इस कंपनी को कई परियोजनाएं सौंपी गई थीं. अब सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर मेघा इंजीनियरिंग, एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट और इस्पात मंत्रालय के आठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.

चंदा देने से प्रतिबंधित नई कंपनियों ने खरीदे चुनावी बॉन्ड: रिपोर्ट

चुनावी बॉन्ड को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि कम से कम 20 ऐसी नई कंपनियों ने बॉन्ड के माध्यम से लगभग 103 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिनका अस्तित्व तीन साल से भी कम समय का रहा है. क़ानूनन इस तरह की कंपनियां राजनीतिक चंदा नहीं दे सकतीं.

भारत में कौन जनतंत्र को ज़िंदा रखना चाहता है

चुनाव के साफ़ सुथरा और निष्पक्ष होने में विपक्ष के अलावा जनता को दिलचस्पी होनी चाहिए. आशा की जाती है कि जब शासक दल निरंकुश होने लगे तो राज्य की बाक़ी संस्थाएं मिलकर जनतांत्रिक प्रक्रियाओं की हिफ़ाज़त करेंगी. लेकिन जान पड़ता है राज्य की सभी संस्थाओं ने भाजपा में अपना विलय कर दिया है.

सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से केवल आठ ने राजनीतिक चंदे का खुलासा किया: रिपोर्ट

सेंसेक्स की सूचीबद्ध कंपनियों ने सामूहिक तौर से पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक पार्टियों को चंदे के तौर पर 628 करोड़ रुपये दिए हैं. भारती एयरटेल ने सबसे ज़्यादा 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.

चुनावी बॉन्ड: कोरोना में रही मंदी के बाद कांग्रेस को मिले चंदे में हुआ था इज़ाफ़ा 

कांग्रेस को सबसे ज़्यादा चंदा देने वालों में वेदांता (125 करोड़ रुपये), वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड (110 करोड़ रुपये) और एमके जालान समूह की कंपनियां (69.35 करोड़ रुपये) हैं.

चुनाव बॉन्ड पाने वाली चौथी सबसे बड़ी पार्टी रही बीआरएस, मेघा इंजीनियरिंग ने दिया सर्वाधिक चंदा

बीआरएस को चंदा देने वालों में एक दिलचस्प नाम किटेक्स गारमेंट्स का सामने आया है, जिसने केरल में ट्वेंटी-ट्वेंटी नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी और साल 2022 में अरविंद केजरीवाल ने इसके साथ गठबंधन का ऐलान भी किया था.

चुनावी बॉन्ड: सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद मोदी सरकार ने छापे 8,350 करोड़ रुपये के बॉन्ड

साल 2024 में छापे गए 1 करोड़ रुपये के 8,350 करोड़ रुपये के बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस योजना की शुरुआत से अब तक जुटाई गई रकम से भी अधिक हैं.

क्या चुनाव आयोग वाकई में निष्पक्ष है?

वीडियो: 18वीं लोकसभा के लिए चुनावों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कई बार दोहराया कि लोकतंत्र के लिए निष्पक्षता ज़रूरी है, लेकिन क्या देश के सभी राजनीतिक दलों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव 'लेवल प्लेयिंग फील्ड' है? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

चुनावी बॉन्ड: शीर्ष खरीदार कंपनी को लेकर कैग रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं

लॉटरी में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद साल 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ऑडिट का निर्णय लिया गया था, जिसमें कंपनी के मालिक सैंटियागो मार्टिन एक अहम व्यक्ति थे. इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को सर्वाधिक कुल 1,368 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.

डीएमके, एआईडीएमके को फ्यूचर गेमिंग और चेन्नई सुपर किंग्स समेत कई कंपनियों से मिला चंदा

डीएमके को फ्यूचर गेमिंग ग्रुप से कम से कम 504 करोड़ रुपये मिले हैं, वहीं इंडिया सीमेंट लिमिटेड के स्वामित्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड, जिसकी सहयोगी कंपनी पर इस साल की शुरुआत में ईडी ने छापा मारा था, उसने एआईडीएमके को 2019 में पांच करोड़ रुपये का चंदा दिया है.

चुनावी बॉन्ड: शीर्ष खरीदारों ने चार सालों तक अपने मुनाफ़े से छह गुना अधिक चंदा दिया

राजनीतिक दलों को सर्वाधिक चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच अपने लाभ के छह गुना से अधिक चंदा दिया है. पार्टियों को चंदा देने में दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का नाम भी शामिल है, जिसने घाटे के बावजूद चुनावी बॉन्ड खरीदे.

30 फार्मा और स्वास्थ्य सेवा कंपनियों ने मिलकर 900 करोड़ रुपये से ज़्यादा के चुनावी बॉन्ड खरीदे

निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित जानकारी की अवधि में कुल 12,155 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे गए थे. इस राशि का लगभग 7.4% फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने खरीदा था. इसमें से यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में सर्वाधिक छह चरणों में 80 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 80 करोड़ रुपये है.

अब तक 16,000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके, योजना चलाने में करदाताओं के 13.5 करोड़ ख़र्च हुए

स्टेट बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना आने के बाद से 29 चरणों में 15,956.3096 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे गए हैं. बताया गया है कि दानदाताओं को बैंक को कोई सेवा शुल्क नहीं देना पड़ता, यहां तक कि बॉन्ड की छपाई लागत का भुगतान भी सरकार या करदाता वहन करते हैं.

1 2 3