बीते हफ्ते बेंगलुरु पुलिस ने एक विशेष अदालत के निर्देश पर एनजीओ जनाधिकार संघर्ष परिषद द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर चुनावी बॉन्ड के ज़रिये वसूली में शामिल होने के आरोपों पर एफआईआर दर्ज की थी. अब हाईकोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता पीड़ित पक्ष नहीं है.
बीते 27 सितंबर को बेंगलुरु की एक अदालत ने एक एनजीओ जनाधिकार संघर्ष परिषद द्वारा दायर याचिका पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था. याचिका में उन पर चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन उगाही में शामिल होने के आरोप लगाए गए थे.
बेंगलुरु की अदालत का यह आदेश एक एनजीओ जनाधिकार संघर्ष परिषद के एक्टिविस्ट द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर कथित तौर से ईडी का इस्तेमाल कर चुनावी बॉन्ड्स के ज़रिये जबरन वसूली का आरोप लगाया है.
हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग चुनावी बॉन्ड योजना में दूसरी सबसे बड़ी खरीदार कंपनी थी. बॉन्ड खरीदने के तुरंत बाद इस कंपनी को कई परियोजनाएं सौंपी गई थीं. अब सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर मेघा इंजीनियरिंग, एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट और इस्पात मंत्रालय के आठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
चुनावी बॉन्ड को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि कम से कम 20 ऐसी नई कंपनियों ने बॉन्ड के माध्यम से लगभग 103 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिनका अस्तित्व तीन साल से भी कम समय का रहा है. क़ानूनन इस तरह की कंपनियां राजनीतिक चंदा नहीं दे सकतीं.
चुनाव के साफ़ सुथरा और निष्पक्ष होने में विपक्ष के अलावा जनता को दिलचस्पी होनी चाहिए. आशा की जाती है कि जब शासक दल निरंकुश होने लगे तो राज्य की बाक़ी संस्थाएं मिलकर जनतांत्रिक प्रक्रियाओं की हिफ़ाज़त करेंगी. लेकिन जान पड़ता है राज्य की सभी संस्थाओं ने भाजपा में अपना विलय कर दिया है.
सेंसेक्स की सूचीबद्ध कंपनियों ने सामूहिक तौर से पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक पार्टियों को चंदे के तौर पर 628 करोड़ रुपये दिए हैं. भारती एयरटेल ने सबसे ज़्यादा 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
कांग्रेस को सबसे ज़्यादा चंदा देने वालों में वेदांता (125 करोड़ रुपये), वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड (110 करोड़ रुपये) और एमके जालान समूह की कंपनियां (69.35 करोड़ रुपये) हैं.
बीआरएस को चंदा देने वालों में एक दिलचस्प नाम किटेक्स गारमेंट्स का सामने आया है, जिसने केरल में ट्वेंटी-ट्वेंटी नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी और साल 2022 में अरविंद केजरीवाल ने इसके साथ गठबंधन का ऐलान भी किया था.
साल 2024 में छापे गए 1 करोड़ रुपये के 8,350 करोड़ रुपये के बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस योजना की शुरुआत से अब तक जुटाई गई रकम से भी अधिक हैं.
वीडियो: 18वीं लोकसभा के लिए चुनावों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कई बार दोहराया कि लोकतंत्र के लिए निष्पक्षता ज़रूरी है, लेकिन क्या देश के सभी राजनीतिक दलों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव 'लेवल प्लेयिंग फील्ड' है? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
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लॉटरी में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद साल 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ऑडिट का निर्णय लिया गया था, जिसमें कंपनी के मालिक सैंटियागो मार्टिन एक अहम व्यक्ति थे. इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को सर्वाधिक कुल 1,368 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
डीएमके को फ्यूचर गेमिंग ग्रुप से कम से कम 504 करोड़ रुपये मिले हैं, वहीं इंडिया सीमेंट लिमिटेड के स्वामित्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड, जिसकी सहयोगी कंपनी पर इस साल की शुरुआत में ईडी ने छापा मारा था, उसने एआईडीएमके को 2019 में पांच करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
राजनीतिक दलों को सर्वाधिक चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच अपने लाभ के छह गुना से अधिक चंदा दिया है. पार्टियों को चंदा देने में दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का नाम भी शामिल है, जिसने घाटे के बावजूद चुनावी बॉन्ड खरीदे.