बृजभूषण के क़रीबी संजय सिंह को फिर कुश्ती महासंघ की कमान मिलने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह सोमवार से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का पूर्ण प्रभार मिल गया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह घटनाक्रम भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की उस घोषणा के बाद का है जिसमें उसने कहा है कि वह संजय के नेतृत्व वाली डब्ल्यूएफआई कार्यकारी समिति को निलंबित करने के बाद सरकार के निर्देशों के तहत गठित तीन सदस्यीय एडहॉक समिति को ‘तत्काल प्रभाव से’ भंग कर रहा है. आईओए ने कहा है कि यह निर्णय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा पिछले महीने डब्ल्यूएफआई से प्रतिबंध हटाने और पेरिस ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल के ‘सफल समापन’ के जवाब में लिया गया था. इस फैसले का मतलब है कि डब्ल्यूएफआई के नियमित कुश्ती गतिविधियों के प्रशासन और प्रबंधन पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा, जिसकी कमान संजय के हाथ में होगी. संजय को पिछले साल दिसंबर में बृजभूषण के स्थान पर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष चुना गया था, जिसे लेकर प्रदर्शनकारी पहलवानों में से एक साक्षी मलिक ने संन्यास ले लिया था, वहीं विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने अपने पदक लौटा दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बॉन्ड्स से जुड़े विशिष्ट (यूनिक) कोड का विवरण जारी करने को कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा कि एसबीआई चुनिंदा जानकारी नहीं दे सकता. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को अपने पास उपलब्ध सभी विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है. हम स्पष्ट करते हैं कि इसमें खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या और सीरियल नंबर, यदि कोई हो, शामिल होंगे. इसने यह भी स्पष्ट किया कि इसके पिछले आदेश में इसने भारतीय स्टेट बैंक से ‘सभी विवरण’ का खुलासा करने के लिए कहा था, जिसमें बॉन्ड नंबर भी शामिल हैं. बैंक सभी विवरणों का खुलासा करने में चयनात्मक नहीं हो सकता. इस अदालत के आदेशों का इंतजार न करें.

तेलंगाना और पुडुचेरी की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने इस्तीफ़ा दे दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वे या तो पुडुचेरी की एकमात्र लोकसभा सीट या तमिलनाडु की दक्षिण चेन्नई या कन्याकुमारी सीट से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. सुंदरराजन ने नवंबर 2019 में तत्कालीन तेलंगाना राज्य के दूसरे राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी और फरवरी 2021 में उन्हें पुडुचेरी की उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. उनके पुडुचेरी की एकमात्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है. सुंदरराजन ने 2019 का लोकसभा चुनाव थूथुकुडी सीट से लड़ा, लेकिन वे बुरी तरह हार गई थीं. इससे पहले उन्होंने 2009 में चेन्नई (उत्तर) सीट से भी चुनाव लड़ा, जहां उन्हें हार मिली थी. उन्होंने तीन बार- 2006, 2011 और 2016 में तमिलनाडु विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था, जहां तीनों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. तेलंगाना की राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल के दौरान सुंदरराजन की तेलंगाना की तत्कालीन बीआरएस सरकार के साथ कई बार गतिरोध हुए थे. बीते साल मार्च में अन्य कई गैर-भाजपा राज्य सरकारों की तरह बीआरएस सरकार भी विधेयकों मंजूरी लटकाने को लेकर राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आदीश अग्रवाल को चुनावी बॉन्ड के फैसले की स्वत: समीक्षा की मांग करने वाले पत्र के लिए फटकार लगाई है. अग्रवाल ने 11 मार्च को लिखे गए सात पन्नों के पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए कहा था कि विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले कॉरपोरेट्स के नामों का खुलासा करने से कॉरपोरेट्स उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील हो जाएंगे. बार एंड बेंच के अनुसार, चुनावी बॉन्ड मामले की सुनवाई कर रही पांच-न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व कर रहे सीजेआई ने कहा कि ऐसा लगता है कि ऐसा पत्र प्रचार के लिए लिखा गया है. जब अग्रवाल ने पीठ के समक्ष अपने पत्र का उल्लेख करने की मांग की तो उन्होंने कहा, ‘एक वरिष्ठ वकील होने के अलावा आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं. आपने एक पत्र लिखकर मुझसे मेरी स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियों का उपयोग करने के लिए कहा है. ये सभी पब्लिसिटी से जुड़ा है, हम इसमें नहीं पड़ेंगे. मुझे और कुछ कहने को मजबूर मत कीजिए. इससे पहले एससीबीए ने अग्रवाल के पत्र की निंदा करते हुए इससे खुद को अलग कर लिया था.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मुंबई के एक अख़बार में काम करने वाले पत्रकार की मौत के मामले की जांच की मांग की है. द हिंदू के मुताबिक, गिल्ड ने शनिवार को  हिंदुस्तान टाइम्स, मुंबई के प्रबंधन से मांग की है कि इसके पत्रकार सतीश नंदगांवकर की मौत से संबंधित आरोपों की ‘निष्पक्ष और पारदर्शी’ जांच की जाए. सतीश की बीते दिनों उनके दफ्तर में हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई थी. इसके बाद से सोशल मीडिया पर उन पर वरिष्ठ कर्मियों द्वारा अनुचित दबाव और प्रताड़ना के आरोप लगाए जा रहे हैं. अपने बयान में गिल्ड ने कहा कि नंदगांवकर की असामयिक मृत्यु के बारे में जानकर बेहद दुख हुआ और शोक संतप्त परिवार के प्रति उनकी हार्दिक संवेदना हैं. साथ ही ‘गिल्ड का ध्यान नंदगांवकर के निधन के संबंध में हाल के दिनों में जारी किए गए कई बयानों की ओर भी गया है, जिसे लेकर गिल्ड संबंधित समाचार संगठन के प्रबंधन से आरोपों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने का आग्रह करता है.

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