असम के कामरूप ज़िले में बेदखली अभियान 12 सितंबर को हिंसक हो गया. पुलिस ने दावा किया है कि महिलाओं सहित ग्रामीणों ने अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिसके जवाब में किए गए लाठीचार्ज और फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई.
मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बेदख़ली अभियान पर इसी अदालत के 2020 में दिए यथास्थिति के आदेश को रद्द करने के कुछ दिनों बाद चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया. इंफाल पूर्वी ज़िले में ध्वस्त की गईं तीन चर्चों में से एक 1974 से अस्तित्व में थी. राज्य की 41 प्रतिशत से अधिक आबादी ईसाई है.
वीडियो: सरकार ने दिल्ली के प्रगति मैदान के सामने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को इन्हें खाली करने का नोटिस दिया है. यहां क़रीब 60 परिवार जनता कैंप में रहते हैं और उनके बच्चे पास के स्कूलों में पढ़ते हैं. यहां रहने वाले लोगों ने आरोप लगाया कि जी-20 शिखर सम्मेलन के कारण उन्हें निकाला जा रहा है.
कई भाजपा नेताओं ने कोलकाता में रेलवे पटरियों के किनारे बसी एक झुग्गी बस्ती की तस्वीर ट्वीट करते हुए दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में इस अतिक्रमण को वैध कर दिया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में 4,000 से अधिक परिवारों को उस ज़मीन से बेदख़ल करने का आदेश जारी किया था, जिस पर रेलवे ने अपना दावा किया था. इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है.
20 दिसंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित तौर पर रेलवे की ज़मीन पर बसे क़रीब 4,000 से अधिक परिवारों को हटाने का आदेश दिया था. इसके ख़िलाफ़ वहां के निवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. लोगों का दावा है कि उनके पास भूमि का मालिकाना हक़ है और वे यहां 40 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं.
आरोप है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि पिछले साल सितंबर में दरांग जिले के गरुखुटी गांव में किया गया बेदखली अभियान बदले की कार्रवाई था. इन बेदखली अभियानों में से एक के दौरान 23 सितंबर को गरुखुटी में पुलिस की फायरिंग में 12 साल के बच्चे सहित दो स्थानीय लोगों की मौत हुई थी.
कांग्रेस के लोकसभा सदस्य अब्दुल खालेक ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने 10 दिसंबर को कहा था कि दरांग ज़िले के गोरुखुटी में बेदख़ली अभियान 1983 की घटनाओं (असम आंदोलन के दौरान वहां कुछ युवाओं की हत्या) का बदला था. बीते सितंबर में गोरुखुटी में अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए लगभग 1,200-1,400 घरों को ढहा दिया गया था.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और मिज़ोरम के प्रमुख समाचार.
असम में ज़मीन से ‘बाहरी’ लोगों की बेदख़ली मात्र प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक अभियान है. बेदख़ली एक दोतरफा इशारा है. हिंदुओं को इशारा कि सरकार उनकी ज़मीन से बाहरी लोगों को निकाल रही है और मुसलमानों को इशारा कि वे कभी चैन से नहीं रह पाएंगे.
एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पता चला है कि असम के दरांग जिले में 21 सितंबर को प्रशासन द्वारा बेदख़ली अभियान के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में जिन तीन लोगों को गोली लगी थी, उनके शरीर से 27 सितंबर तक गोलियां नहीं निकाली गई थीं.
कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद को बीते दिनों दरांग ज़िले में हुए अतिक्रमण रोधी अभियान को लेकर विवादित टिप्पणी करने के लिए शनिवार को गिरफ़्तार किया गया है. कांग्रेस की असम इकाई ने बताया कि पार्टी के अनुशासन का ‘बार-बार उल्लंघन करने’ को लेकर अहमद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
आरोप है कि कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद ने 1983 में असम आंदोलन के दौरान सिपाझार इलाके के पास राज्य के आठ युवाओं की हत्या पर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि आंदोलन के दौरान मारे गए आठ युवा ‘शहीद’ नहीं बल्कि ‘हत्यारे’ थे, क्योंकि वे अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य लोगों की हत्या में शामिल थे. बीते दिनों इसी इलाके में प्रशासन की ओर से चलाए गए बेदख़ली अभियान के दौरान हिंसा में 12 साल के एक बच्चे
असम के दरांग ज़िले के सिपाझार में 23 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा एक कृषि परियोजना के लिए अधिग्रहीत ज़मीन से कथित ‘अवैध अतिक्रमणकारियों’ को हटाने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी. इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई, जबकि नौ पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हुए थे.
घटना दरांग ज़िले के सिपाझार की है, जहां पुलिस ने अतिक्रमण हटाने के एक अभियान के दौरान गोलियां चलाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस का दावा है कि स्थानीय लोगों ने उन पर हमला किया था, जिसके बाद उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा. राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.
असम के दरांग ज़िले के धालपुर में स्थानीय प्रशासन ने सैकड़ों परिवारों के घरों को ढहा दिया है, जिसके चलते वे कोरोना महामारी के बीच दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं. पिछले तीन महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ जब धालपुर के लोगों को बेदख़ल किया गया है. यहां ज़्यादातर पूर्वी बंगाल के मूल वाले मुसलमान रहते हैं.