बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान में ‘विश्वास की कमी’ दिखाकर, इसकी संस्था यानी सुप्रीम कोर्ट पर हमला कर संवैधानिक पदों पर रहने से ‘ख़ुद को अयोग्य’ कर लिया है.
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हमारे पास कॉलेजियम प्रणाली से बेहतर व्यवस्था नहीं है. न्यायपालिका सक्षम उम्मीदवारों की योग्यता पर फैसला करने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में होती है, क्योंकि वहां उनके काम को सालों तक देखा जाता है.
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान के बीच बीते शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कॉलेजियम की सिफ़ारिशों पर केंद्र द्वारा देरी किए जाने पर इसे गंंभीर मुद्दा बताते हुए चेतावनी दी थी कि मामले में किसी भी देरी का परिणाम प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्रवाई के तौर पर निकलेगा.
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल की यह टिप्पणी केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार और न्यायपालिका में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि दोनों एक-दूसरे पर हमले कर रहे हों और उनके बीच ‘महाभारत’ चल रहा हो.
केंद्र और न्यायापालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर चल रही खींचतान के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश की सभी स्वतंत्र संस्थाओं पर ग़ैर-क़ानूनी रूप से क़ब्ज़ा करने के बाद अब ये लोग न्यायपालिका पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं. जनता ऐसा कभी नहीं होने देगी.
क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ‘महाभारत’ हो रही है. वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस सोढ़ी ने क़ानून मंत्री द्वारा कॉलेजियम पर उनके बयान के समर्थन के बाद कहा कि उनके कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की बजाय सरकार और न्यायपालिका को इस मुद्दे पर परिपक्व बहस करनी चाहिए.
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आरएस सोढ़ी के विचारों का समर्थन किया है. जस्टिस सोढ़ी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार संविधान का अपहरण कर लिया. इसके बाद कहा कि वह न्यायाधीशों की नियुक्ति ख़ुद करेगा और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं, ने केंद्रीय क़ानून मंत्रालय को एक विस्तृत नोट भेजते हुए कहा है कि जजों के नाम की सिफ़ारिश को लेकर कॉलेजियम के फैसले की फिर से पुष्टि होने के बाद सरकार नियुक्ति अधिसूचित करने के लिए बाध्य है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई सिफारिश की जाती है, तो सरकार के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन उस पर अपनी टिप्पणी अंकित करके वापस भेजे बिना उसे रोके नहीं रखा जा सकता है. अदालत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से की जा रही कथित देरी से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी.
हाल ही में ख़त्म हुए संसद सत्र में कई बार उच्च न्यायपालिका पर निशाना साधने के बाद केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार कभी भी अपनी सीमा पार नहीं करेगी और न्यायपालिका के क्षेत्र में दख़ल नहीं देगी.
विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार के साथ ही उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता और सामाजिक विविधता की कमी को लेकर सरकार को कई मेमो मिले हैं.
कॉलेजियम को लेकर क़ानून मंत्री की टिप्पणियों के बीच एक चैनल से बातचीत में वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सारे सार्वजनिक संस्थानों पर मौजूदा सरकार का नियंत्रण है और यदि वह 'अपने जज' नियुक्त कर न्यायपालिका भी कब्ज़ा लेती है, तो यह लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक होगा.
बीते हफ्तेभर में केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू संसद में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत अर्ज़ियां और 'दुर्भावनापूर्ण' जनहित याचिकाएं न सुनने को कह चुके हैं, इसके बाद उन्होंने अदालत की छुट्टियों पर टिप्पणी की और कोर्ट में लंबित मामलों को जजों की नियुक्ति से जोड़ते हुए कॉलेजियम के स्थान पर नई प्रणाली लाने की बात दोहराई.
गुरुवार को राज्यसभा में देश की अदालतों में लंबित मामलों के बारे में पूछे गए एक सवाल को केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायाधीशों के रिक्त पदों से जोड़ते हुए कहा कि यह मुद्दा जजों की नियुक्तियों के लिए 'कोई नई प्रणाली' लाए जाने तक हल नहीं होगा.
भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में लाखों की संख्या में मामले लंबित हैं. ये अदालतें गर्मियों में लगभग 47 दिन और सर्दियों में लगभग 20 दिनों तक बंद रहती हैं, जबकि अन्य सभी सार्वजनिक कार्यालय साल भर काम करते रहते हैं.