हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने विधानसभा में बताया कि राज्य में कृषि क़ानूनों के विरोध में हुए प्रदर्शनों के संबंध में ज़्यादातर मामले कुरुक्षेत्र, सोनीपत, भिवानी, हिसार, सिरसा और फ़तेहाबाद ज़िलों में दर्ज किए गए हैं. ये मामले दंगा, घातक हथियार से लैस होने, आदेश की अवज्ञा, लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने सहित विभिन्न धाराओं से संबंधित हैं. सभी 138 मामले सितंबर 2020 से अब तक दर्ज किए गए हैं.
भारतीय किसान संघ ने कहा है कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत समेत फ़सल की लाभदायक कीमत देने की मांग पर आठ सितंबर को देशव्यापी आंदोलन होगा. तीन नए कृषि क़ानूनों में एमएसपी सुनिश्चित करने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए एक अलग क़ानून बनाना चाहिए. इसके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के बारे में भी अपनी संघ ने आपत्ति जताई, जो बड़ी कंपनियों को कुछ वस्तुओं को स्टॉक करने की अनुमति देता है.
भाजपा के पूर्व विधायक सुखपाल सिंह नान्नू के अनुसार, भाजपा का झंडा हमेशा उनके घर के ऊपर लगा रहता था, लेकिन अब उन्होंने इसे भारी मन से हटा दिया है और किसानों के मुद्दों को अब तक हल नहीं कर पाने वाली केंद्र सरकार के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए इसकी जगह काला झंडा लगा दिया है.
तीन कृषि क़ानूनों को पूरी तरह से समझने पर ज़ोर देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विरोध का माहौल बनाया जा रहा है और किसानों को इसे समझना चाहिए. न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भ्रम भी पैदा किया गया. किसानों ने सच जानना शुरू कर दिया है और उन्होंने अपने लाभ तथा हानि की गणना करनी शुरू कर दी है.
पंजाबी कथाकार गुरदयाल सिंह की कहानियां राजधानियों से कहीं दूर घटती हैं, पर राजधानी में लिए गए निर्णयों का आम खेतिहर मज़दूरों की ज़िंदगी पर कैसा असर पड़ता है, ये उनके लिखे में दिखता है. आज दिल्ली की सीमाओं पर नौ महीनों से बैठे किसान सिंह के आधी सदी पहले लिखे शब्दों को जीते नज़र आते हैं.
वीडियो: दिल्ली के जंतर मंतर पर बीते नौ अगस्त को प्रदर्शनकारी महिला किसानों ने किसान संसद का आयोजन किया था. इस दौरान महिला किसानों ने केंद्र सरकार के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव पारित किया. महिला किसान संसद में भाग लेने के लिए दिल्ली और आसपास के इलाकों की महिलाएं जंतर मंतर पहुंचीं और मंच से अपनी बात रखी.
बीते मई में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर अन्य आरोपों के साथ राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किसान दलबीर सिंह को ज़मानत देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है.
उत्तर प्रदेश भाजपा के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से 29 जुलाई को एक कार्टून पोस्ट किया गया था. इस कार्टून में एक बाहुबली को एक आंदोलनकारी किसान को प्रदर्शन के लिए लखनऊ न जाने की सलाह देते हुए दिखाया गया है, क्योंकि वहां योगी आदित्यनाथ का शासन है. कार्टून में बाहुबली की बात सुनकर किसान को यह सोचते हुए भी दिखाया गया है कि उसे बाल पकड़कर खींचा जा रहा है. बाल खींचने वाले का हाथ दिखाया गया है, जिसने भगवा
संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन को तेज़ करने के लिए चार चरणों में आंदोलन की योजना बनाई है. पहले चरण में राज्यों में आंदोलन में सक्रिय संगठनों के साथ संपर्क और समन्वय स्थापित किया जाएगा. दूसरे चरण में मंडलवार किसान कन्वेंशन और ज़िलेवार तैयारी बैठक होगी. तीसरे चरण में पांच सितंबर को मुज़फ़्फ़रनगर में किसानों की महापंचायत आयोजित की जाएगी और चौथे चरण में मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत होगी.
केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शन करते हुए 200 किसानों के एक समूह ने दिल्ली के जंतर मंतर पर गुरुवार से किसान संसद शुरू की. इस बारे में एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए मीनाक्षी लेखी ने किसानों को मवाली कहा था, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया.
दिल्ली सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, बीते 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और पिछले साल उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के वकीलों की नियुक्ति करने संबंधी उपराज्यपाल अनिल बैजल की सिफ़ारिश को मंत्रिमंडल ने ख़ारिज कर दिया है. बताया जा रहा है कि इस क़दम से केंद्र और उपराज्यपाल के साथ दिल्ली सरकार का टकराव बढ़ सकता है.
वीडियो: संसद के मानसून सत्र से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने द वायर से ख़ास बातचीत में बताया कि किसान हार नहीं मानेंगे और आने वाले मानसून सत्र में किसान संसद का घेराव करने जा रहे हैं.
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इस दौरान संसद के बाहर केंद्र के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ रोज़ क़रीब किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा. साथ ही सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन में क़ानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को चेतावनी पत्र दिया जाएगा.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बीते 30 जून को ग़ाज़ीपुर प्रदर्शन स्थल के पास भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़प हुई थी. भारतीय किसान यूनियन की ओर से कहा गया है कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास है. दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई तो किसान राज्यभर के थानों पर धरना देंगे. किसानों ने भी कथित भाजपा समर्थकों के एक समूह के ख़िलाफ़ इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बुधवार को ग़ाज़ीपुर प्रदर्शन स्थल के पास भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़प हुई थी. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि यह प्रकरण सात महीने पुराने विरोध को दबाने के लिए भाजपा और आरएसएस की साज़िश है.